পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/১৫৫

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' . 3. * . . . - వ్రై. ." कि बाबानव मरः उग्रtश कडकजनभ****चअtaात्र ' इं इव मृम चक् प्रष्कह जनिअ *रुड कविता % cशनcरइ दिनांक दरेण चांगवीन कक्ष " - ভাং শঙ্কণ ৰ'বা। -

  • ...*

. નસના નિમિત્રતાનની નાનાભાઇ fछशिरक्ब्र जिनिभििब्रनाश मिडांड भच मtर । शृण्टक ब्रैब्रिडांब्र শিঙ্গ না থাকিলেও উৎকেন্সি ছবির চিত্ত লিনা মনে হয়, - श्रेबाँरश्५ डिब्र अशंइम्स अिहेब्रर्ण cश्वक्षमा आरश् - 螺 - আপনার পক্ষ ও পুত্ৰ বিশিদিন দিনে

  • अषrव यडूद्र मांव मरनरल छवित्र । जात्र अब tनरन जोश नक्न छति ॥

●*नप्इ णका?ीब्र निद्रछ शर्मिण। জাৰায় প্রস্তাপে পূমি ভারতে অখিল । aणूद्रक्षॆौम्न श्रृंiनwiरका ध*ांब कब्रिज्ञां । सक गंभ कहिर जांभांद्र कd tब्रहः ॥ थाॉन इइच्णडि कवणू श्रृंकड छपांनी । कत्रि अिहiछ जङाक्कैप्टेब्रम्न cछ रित्रि ' ফকিরাম দাস একখানি সত্যনারায়ণ কথা রচনা করেন। शूलरक्ब्र उनिष्ठांइ छैशंब कबिब्रांज $नांषि এবং পুস্তক শেৰে দাসপুৰী দৃষ্ট হয়। তিনি বৈষ্ণবের দৈন্যতম প্রদর্শন করিতে দাস উপাধি লইয়াছিলেন কি না বলা ৰায় না। পুস্তকখানি সম ১৯১৭ সালে সমাপ্ত Ý $❍ | 1: a Y: **← ~$ 蠍 “दछि जब शंखांब नङा ४लाई बांटन ? नाज कण भूखक भकिकडांब कांप्न ” - rač कृकिङ्गब्रुब दोन এই সৰল পুস্তক ব্যতীত জ্ঞানদল ও বিস্কারপ্রণেতা ৰাঙ্গালায় জঞ্জসিদ্ধ কৰি ভারতচন্দ্র রায় গুণা- কয়েন্ত্র চিত্ত একখানি সত্যনারায়ণকথা अधछनिछ छांट्छ । छांब्रफळ्रवव्र खांबांप्यांबमl cव नग्नण ७ व्रमात्र, छाश वणारे वाहना। देशक बख्निपूब कांगैौ ऋजइ७ बिज़न शनःि।। ८श्! श्ांश्च । श्लष्ठविधि१ *खरं झंश्च शबिवत्र ~रैक्ांश्i េ , 懿 o : хуш ثمم • वाइड०**********त अणन गeिधारण *देश गच्छनर कब्र चांत्रांकन *... gয়ার্ক), লেন্সইল-গপ্পে , - 鐵 - --- - L G-Tسا - سعت গলে শত লেখকগণ · <娜 পুত্রকখানি নিতা প্রাচীন লছে t ভাষায় সঙ্গ দেখিলেই हt" cवांछ कुणी ब्रांक, गढ़ॉरेण भाँइनी ॥ , , ' गrष कब चइबलि, नरुक्षं ककिल भूरि, cज्बछि काँग्ला भणि, न कखि दूषणैः । ** cभांडीब्र नहिक छांझे, दāि tशांन् पइकांद्र, जडरूश गांव गांध, नान का छौडनी " " জি রামকৃষ্ণের সত্যনারায়ণ বা সত্যবেঠাকুরের পাঁচালী বা । vब्रिकद्र भोंसब्र वांछ। भै कब्रषनि ॐइ uरुजरमब्र कि शृषकू थक् दाख्द्रि ८णथl, फांश ऍक क्ण बांग्र न । cषरशडू शृणाकब्र विदङ्ग uक इश्रणe $शंरबङ्ग ब्रक्रमांच्च ও কবিত্বে অনেক পার্থক্য আছে । অমিয়া সন ১১৪১ সালে निषिङ नङाrषक#ांडूजङ्ग cय नॅiछांणैौ •ाहेबांश्,ि छांशंत्र ¢नtष এইরূপ লেখা আছে והוfהשני העוף) הוחזה)" नछाबांब्रॉब्रन चांनिरननं शूबॉब दिन ॥ 踐 জtসিলেন সত্যদেৰ দিলেন খাটে । जठjमlब्रtब्रt'{# अञr tइल अनृॉन हॉtख इंट्छ षट् । আবার রামকৃষ্ণের পাঁচালীর শেষভাগে জামরা জষ্টৰূপ বর্ণনা দেখিতে পাই-- • “छकठि थभंछि श्वद्धि किहू बाहेि अ*ि} कम जगब्रॉष रुब्रि वडू छजनी१ि ॥ छख्रि कब्लिन्नां ल७ मांङ्गाँब्राइंग्न नtश । कश्णि *'tsांशैौ tरै कब्रइ अंगांश् ॥ খিঙ্গ রামকৃষ্ণে ৰলে ফরিদ প্রশস্তি। *कt* श्रृंखक cय इऍण नभjद्धिं ♚” किड प्लेआम श्रेष्ठ आभब्र cद “कथानि गद्यानबाझ्षत्र জি আৰও পাঁচালী পাইয়াছি, তাহ ১৯৯৩ মীর বझांबकूक निनि । $इांtङ क्जि ब्रपूनांक ७ विज ब्रांक কৃষ্ণের ভণিতা দৃষ্ট হয়— ૨૬ - & ( *) “वित्र ब्रांभकूक कद्र बन गडांबन ! • , शशिनःि यश्च fo॥ शस्त्रि श्r t१) “षिण बांशक्रकन वगै, $ प्रवगडूकrवश्ले, ९, “গাচারি ১টা সৰু জি শৃঙ্গ નાન્ન ભિન્ન બત્ત S BBD DBBDD DD DBSBB tttt DBB BBB S ge.