পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/২০৫

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શસન નષ્ક્રિની ના t 1-1_સનનના નાના-નાના ७{१ीर्घेौ७ क्कमर्हर | ஆ ... • * * is o.o. ভূপে চিত্ত জাতীৰ পণ্ডিত্যপূর্ণ একখানি বাঙ্গালী গড়ে প্রতিবাদ cबोौकड भी- अश् । बैबभूवन उर्कनकद्र मानक बtनक ******** ईनसिक बहे 4इ-aनदरमग्न के कई नषरष

    • ३ छइडक* नक्रमांकांकन जीककईक थाछ भषङ जइdने जनlरि भूकचगइन्नद्र अष्ठणिछ एव ध्वक्रूिष* छांश थाभूबिक गांनाछकईक जबछि बश्रइ रेछापथरिन ब्रोक्नांबांद१५ब बभूवानिदांनी चैवूळ cगौबैोकॉल खडेiठारी प्रयभूत थांकिङ बांकनक् िपर्नsडूडेन यकृउिइ पावश*ी विक्षिांभनिक्५ ऋकिनूद्राश्नलिहांन डीझषमांड नॉ:१rभांडझण बीयांश्न उ अ* यङ्गसि नांना अनाननबूह *पर लिबजाउँौह भीब དས་ག་(༢ गांबणैौ७ थाब्ररी यकृछि वहक्षि tगौकिक श्यमान ७ गर्दूल चांज्ञां कू*tर्कब्र कैoहवभूर्विक cपक्अमेड tणांक• भकन्नब्रांकडूंक द्रिकांनावृ*िड जदिगैड डीब्रडक्शैक छांपू** कtáब १षांर्षक्रान नवदश्च शरद्रबनकतन अ११ ५३ ष*विपरा चबांउँौद्रषिबांडोझ cणाकनबूर कईक cद नकल रिङeाचीन नरकोtनद्र नष्टांवब उोश७ नान भांडीझ थनां★, वृ*ाड ७ नएपूङि चाब्र निब्रांकग्न१itर्ष o: माइम अंकू ●थेखड़ कब्लिब्रांrèज /*

७थानि «यठिषांत्र &इ इऍणe ऐशरठ धेश्वब्रांखिएस्ब्र निकांड ৰিচায়, অদৃষ্টৰিচায়, , পূজোপাসনার প্রয়োজনীতা, ব্ৰহ্মাও জীবভেদবিচার, টুম্বকৰ্ম্মবাদ, লগুণনিগুশোপাসনা, প্রতিমাপূজা, দেবার নানা বিচার, পূজায় আবগুক, দ্রব্যাদি ऎौर्षमांझांज्रा, आकांग्न ७ द{षेिकांग्न अछ षम &रइब्र श्रान्क्र খেদের শ্রেষ্ঠতা প্রতিপাদন নাম শাস্ত্রার্থ ৰিচায়, ঈশ্বরের পরিণাম কি সন্দেহ নিরসন, মৃত্যুর পরে আত্মার গতি প্রভৃতি ৰহৰিধ বিষয় ধৰ্ম্মশাস্ত্র ও দর্শনশাস্ত্রের দৃঢ় সিদ্ধান্তের আলোকে জালোচিত হইয়াছে । গ্রন্থকার কোন সংস্কৃত শাস্ত্রে পারদর্শী, श्रिणन न, श्रांद्रदौ ७ नोर्गेी छायांप्ङ७ ईशग्न पाशहे अषिकांब्र ছিলম। শুনা যায় ইনি রঙ্গপুরে জজ আদালতের দেওয়ান ছিলেন। পূৰ্ব্বোক্ত প্রতিবাদ গ্ৰন্থখানিতে স্ববিখ্যাত রাজা ब्रांबtभांश्रमब्र éधष्ठि cवक्र* यात्र, निन ७ झर्मांक बर्ष१ कब्र হইয়াছে, ইহাতে সেরূপ গালাগালি মা খাকিলেও ব্যঙ্গবিক্রপের উীক্ষাগের কৰুমকি অনেক স্বলেই বিদ্যমান সমগ্ন গ্ৰন্থখানি শাস্ত্রপাণ্ডিত্যে পরিপূর্ণ। এই গ্রন্থ দ্বাবিংশ অধ্যায়ে সমাপ্ত। ইহাতে गांकtणा यांइ आफ़ाई *उं शृéी जांtश् ॥ ७ हcण ७ई dirइद्र जब नक्क किरूि५ नमून अछूड कब बांश्ब्रह्। $” “नचडि किइषिषन रहेज 4क नश चित्र नझनागकाको भूकंप चाब्राह LDDD DDD BBkk BBBDDSBDDD BBB BBB BBBB সাধারণ লোকের गरिङ पएका ७ किनइनर बचाप्रुत्व छाब्षक कोि थानिwइव *क क्रीड१ि अबड'जणांच चर्ष कaिण गणि अsia करिअश्वं । शशई ब्रूणयtशांधन भरे ** cनकंगकण थोोन मछ नमछ सिनक्लेशबीउला...... अिन्त अिन्त कषांड लेखहकञ११वछ अकां* क*िछ * * अठछ कथािनांव । *. * छहल• ੋੜ੍ਹਾਂ கண்ண்ைகி भानौ भिन्नः श् चिts चक्.चं, श्मश् चम् , अपूछद्र tनषtcभन।* , . dहै &rईङ्ग उदि ज७धांशन मट्टश् ॥ १९कि*ि६ नर्मिवर्डिंड श्रेरणहे ७श चांधूनिक नcछब्र डांइ अडिडांड इश्ध्वं । । cशः प्रनी-वैमडी निद्राब्रखेरच्द्र जनांषवानक गपtष इचन्न भtब्रग्न जष्ट्रवांश। ४९s णांtण बूजि७ । *ब गरषा ७० । । भुटेक्ष्मई नषचैौब शूखक। कविठ कूग-uहे शूडकथानि sv२७ नॉरण थकांनिऊ श्छ । हैशंहरू »०७ (ब्रांक स वनांष्ट्रवांव जांग्रह । *ब गर१I s९ ।। uई श्रृंखकथानि qषांनकांब्र छांद्भक्षेित्रहरू भा? कब्रिटफ इहेड । ১৮৬৪ সাল পর্যন্তও এখালি পাঠ্য গ্রন্থ ছিল। ब्रांबद्रा-४४२a गांtण मनैौङ्गांङ्ग (जणांदांगैौ ७क जम बांदब्रव बांक५ ब्रांमब्रङ्ग मांग बिध्नl cनरैौ छां★वड &रहब्र क्भांशूदांच क्रमम। थीtषांचाड-sv२० ५४ारण ५३ अइ बूबिउ श्छ। nड़े अइथानि “निखारून् भरुडि” । देशप्ड जरकृङ बूण ७ क्लाइवान आtइ । हैहांब्र थtशङl-१भांकिtभांब्र छप्लेफ्रिांर्षीं । छांबा अङि ●वांबण भृश्थtबांश । षषों: “क्षांज्ञ ७ इणच4 कछ, ७ eइ जघ्रिं बांक १ &यांय:कांtज भीtबांथांब कब्रिt cष बर्लन करā cन विभक श्रठ मूख इद्र । * ७ aांड:घांन कक्रिण - अणनि कार्बी अश्किाइ श्ब्र। जस्त्रkम अषक cनाप्राउ छाजि.७ cष गा” कई कtब्र cनहै पाखि अ॥७:धicन रतक ३छ ।" इडमार्कडी-मजण-s४७० गारण बैयूङ कर्णौङ्गक वांशझरब्रव्र भश्बलाश्नांरब ठगैौशगङांग औपूख ब्रांमध्ठ उर्कणिकांब्र কবিকেশরী এই গ্রন্থ প্রণয়ন করেন । ইহায় জাগুন্তই পঞ্চ । ॐइषनि ७७० शृईब्रि गन्भूर्न। ७iहे अtइग्न जाः शृ*ांद्र अइकांद्र cर श्रांप्यू॰ग्निरुग्न भिद्रांरह्म फांशरङ किकि९ शैष्ठिशंगिक विषग्न जॉ८छ् १श्रृंi- 嘯 ':बांश्चौद्र शूलिन, cमदणमय जबूब्रांन, अविगछि हिग भक्न ब्राङ्ग । विtज भांबांब्रक भश्रिी, चांगनि हईशां ब्रांश्री, दनमitख ८ग्रंथी क्रेिण छब्र । - गरअरछ नहीघ्र हट, नषitव चर्णन करा, o, निग्रन्{! *देल अबैौंकांग्रैौं ? ..." ककडूण नगूडप, গোপখিনি . कप्रश्नाथश्लिrी ॥ ..... इकिलाने कडरिण, .. शृक्ष छन क्लि, : - शकि* *कांश भित्री । * . . . o ঞ্জিকা" বা ক্ষ,