পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/৬৫৪

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শিক্ষলখগুলি কি ইঞ্জি • दणिङ्गैड दद्र ! জপন্ধয়াজিত জমাছে কি, এটা, জন থল আদি শূল ও ওঙ্গে, ৰন জনে | খিাব-পোঞ্চলটেঙ্কাপ খোৰা নিরোধ এবং জনা মঞ্চজগত লক্ষণাত্তম প্রকাশ পাই থাকে। हिंकक्छ। केवकिहरनग्न छबिहे देशव्र छिक्दिन। कब्रिटळ श्र, टक्न न छच्छबहे कह१ ● रूरी जर्षां९ मिशन शचभक्ि अॉइअकरे ब्ररूब । [♚शंक्ॐ cद१] छ्न सिक्काशश९ आक्र्डरी किनार। ' चांबfचि ह झेौख{बॆट्भवश्चाडिशैटि ॥“ चनाराजांप्शत किभव &पर ५ो,-डडेशै। इ*२ जा", निनूण ७ छांनं, एब्रैौडकैौ * छनं अद९ सफ़ नकगिबांम ७कख वर्णिन कर्मेिंद्र छॉद्विजांमाँ की चई८डांण अॉजांइ ८णयन कभ्राहेण जांनारुत्वाप्नब *चि रण । व, रबीज्री, श्छिाद्ग, क्वकाब, পিঞ্জাই এ স্থত এই সৰল বােৰ সমভাগে প্রিভ कहिीं डांशद्र sांबिक्रिय इहे चांना भाजांग्र शहेश नदन कद्वारेण जांनाश्रादर्थं★ विप्नव लेनरूहि करद। ४षष्ठनषबणे, नाबन्हि हेक्षरच्शैक्लन, उफाईल, छक्कूणांश बल ७ ब्रिाछ इडुअम्लखि सेवषअिनि 'फेनोइ ७ खेदोक्र्ड cब्राप्ण चिषशांं । . . - --. ‘. . भक्षागध,-अमर • भाषड cशrर्भ वाइभाडिकांबक चेनावा िचारात्रुचि। श्रृश्राच्य इञ्च भनिच्पूप्न चा बेकहकरशत अजबबिंड कfीश <भवन क्झश्व करे, कला.६*ी ७०बोहन अखि प्रज वथ्च्च शन, शत्र३ि cकांबण शधनञ्च क्रनdर गूगrātrनाड खजकबैौ बबूर थाहेरङ इ९५क नया रथ्द नादव - बिडीब गङ्गष९, छोरक्क बन. भाका ०..., चाउ, रेक ७८न्तान अडिa eसिक्रु। খৰিকালে উপযুক্ত খোজা শক্ষিঙ্গে রয়ে স্বওধ কৰে ०. रिचात्र अन्तर् श क्षेमध्च्कन चयन्ति cाञ्चल करिख ७ यतिं cझार्, झश क्षं ।

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এক উত্তৰামে (বঙ্গৰ কৰা পৰি ৰঞ্জিলে প্লারি .وهي سيميلادي، مينه وبي... ميوي . . ... بينما RHR * उक्तांक, ७करी* ७ ककजक कलन, बलेि जाभवन, विवांछकब करी औरे ब्रांप्नद्र थविकtतक, जण्थद ॐअले शिषकक • जांनांइ cब्राश्रrञा । ९ विक्क । विवक्रम (मै) क्निक्करण कफन । आश्कांन। .. विषक्कयन (५९) , दको लेबम्ब्रज बर्णनन्प्रङ्ग दिदि बख्न (ব্যাণ্ডের) বিশেষ। বিন্ধে বিধে কু"। (স্বপ্রভ } বিবন্ধৰর্তি (খ্ৰী) আখের পূরোগজে। ঘোড়ার ৰে রোগ ररेण छांशंब्र शूलैौषशांtर्ण अभय इद्र अषt c" के भङाड cबश्न ● नाएँग्लौचणिद्वज्र यकनद९.{ दैiदिब्रां ब्रांथांब्र छांब्र) नैौफ़ अष्ट्रय क्छ, छाशद्र नाम बिक्कबठिंबाण । - "নোৎস্বজেকে পুীৰৰ সীমাং শূলপীড়িত।” (জয়ন্ত ৪৩ জ) विक्कू (बि) ४ वङ्गशेन । २ निकृरीम। “ৰা ছুয়াৰ স্বয়ভান গাৰ পূবায়র্কে নিসৃষ্ট। গ্রন্থখনত স্বভাৰুনিৰ এবে গাঙ্কাৰনে ফাৰ।" . . (खां★वफ ७४७) विथई (श्रृं९) » वई। (जि) १ कईदिब्रश्छि। বিৰল (জি) ১ ঘর্বল। ই বিশেষরূপ বলা। दिक्लांक (बि) चभनिगडि बश्कि, कांश श्रणे क्झि९ निर्गठ शा मारे ! “क्षिणांक बग्नदाबाः ।” (इग्निदान) ‘ৰলাল জাৰস্থিৰপাত্তানি জঞ্জি বিলাকঃ।( नैौणक%) বিষাণ (ৰি) বাগদহিঙ্গ, আশপুর। ; ... ". क्षिांनंबा (बि) ऋ* *क्र था (४१ व हिंन} अरिङ, शंशरख धनं स वोन बहेि ? * * * * * ** o ... বিৰাশৰি (ৰি) আনবিলাটি। । , विदांव (बि) *काश ऋ यवहरिरू, निकfश, कांश्कूल का ಕಕರ , {ನಿಗ#ಣ)*** ARaji.fir) বিবিৎ (ৰি) বৰষ্টি : : क्विांनी (जि}* पाहाकरिड*:९ कितककलक्षमिदूछ .

ઃિ tશિ) જ્યાણના કાણા ,

নিলি (ৰি) কিঞ্জি