পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৩০৮

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সর্গ 1 به هم ]. श्f. ४ ऋथका गड बाब्रा विष cश्मन कैब एक शश,.*क्ष प्रांज्ञा, মেরুপ হয় না। যচিকিৎসাই সপরিবারথের শ্রেঃ खेगा। cर गरूण शङि निङगड, जांशत्र क्व दिशtन हेर्शक ििक९ण करिण निकाहे देश घरबाधों श्। हे मल्ल अश्न रूब्रिtऊ श्रेण जैौ, नांश्न ७ बवू शब्दिछां★ कब्र विtषद्र ॥ फांदांब्र बिठांशद्र, नविज ७ कूनचर्दिी ईश्व usष१ अंकथांणाॉश् िछेन्रशंद्र नब्रिडाांश कब्रिtद। ५३ नवइ जामांविष $नशंद्र अगएशनानि দ্বারা দেৰজাদিগের পূজা ক্ষয় বিধেয়। মঞ্চ বিধিপূর্বক গৃহীত न श्रेरण बी चाबc{ीन दशण नs बांद्रां कर्ष निरुि दद्र ना। जद्धtgर cयहे इरन शैक्ष eथाब्रांशं कब्र कर्डवा । * ििक९णक रुक्ष्म ८बथिएक्न, श्र दिय भीत्र ऋषा नकद्रण कब्रिrङ जांकड इहेब्राrइ, इछ, नांव वा गना अझठि cद इरण शं शं न शङ्गिशांश्,७tशंीा छांशिक्षिकिन्न भिन्न बिषं ह्निंबन । जे गकण विद्र! कि इहेछ। ब्रउ बिःणाब्रिज्र इहेरण क्वि अछामक *ब्रिमांcण बांश्ब्रि श्रेंद्र बांश । जड७व ब्रख्गबांभ१ जबश्च क6षा अवः ३शरे के९झडे ऽिकिरना। uहे ब्रrग पहे शrनत्र कडूर्गिक् चान्ब्न शङ्गिव। चश्ङ्ग वेगश् षिषि ५६१ श्ळै छन्ाम ७ cुबiशूशप्रिंटिंङ छण शांशंtफ निब्रड श्रृंग्लिtष5म कब्रिप्य । गt*ब्रि बाडि थइनाएइ जशश नाम कबारेष्ठ श्छ । इ५, इङ ७ अ५ eथड़णि अत्रप्रब जइनाम ॥ ५हे गफ्ण जप्काग्र जखांप्व फेकद{ वचौक वृद्धिक७ जष्ठनीरन वादबड शहेरठ नारङ्ग । कण, कूणच कणारें, बछ व कॅर्घौ शनि कब्रिटछ नाहे । जछ cष cरून शिनक् िझषा चङि चन्न शृङ्गेिषit१ श्रूलः श्रूमः श्रीनि काङ्ग्रऎश्ा। शूनः श्रृंमः दमन कब्रदेस्क्। क्मन चाँब क्रि गश्त्र निर्भुङ श्त्र। कर्णविनिटे बt*ाँब «qथम विक्रवाणं ब्रङgभांक्रन रूéया । शिर्डौद्र cवरण इङ e यधू नदrषांc अभव गॉन, फूडीौद्र cवरनं विषनांनक मछ ७ अबन थtबां★, छडूर्षcवtन बमन कब्रांरेज इङ e মধু সহযোগে ৰেগ্ন মণ্ড পান, পঞ্চম ও ষষ্ঠ বেগে প্রথমে ৰমম ও बिzब्रध्म eथtब्रांनं uष९ औछ cवांक्नैौ जक cफांजन, जक्o८ष जखम ८वtनं जैौच निरब्रांविरब्रध्न मछ, जश्चन ७वः कांकनष जांकांtब्र मखरू बू७ब जषष cनई"शांtन नब्रड बांश्न ८इन ५हे लकण ॐांब अवणषब कब्रिटक् । म७णैौत्र विार७ यषब ७ रिशैब८कन भूर्लब छात्र अजिल्ला कब्र विषत्र। उ९गरब वक्न कब्राहेक इड ०नबू नष्टशष्ण कवत्र बo नाम कब्राहेरष । छूडौद्र cवरुन ठीक वथन ७ क्रिब्रक्रम चाब्र শরীরশোধনপূর্বক পূৰ্ব্বোক্ত প্রকারে স্বৰেন্থ মণ্ড পান করা दिtषक 1 छछू* e *+अ cषtनं वैजणश्चकिइ कडवा । वd शiश्मिणाशि९, मधूंशं ७ ६५ रिङएा, गच्च क्षिभिश् जनरक्ब मछ èश्रृंकग्रंौ । - इड ७ क्यूबारण जश्नभान, विचैद्र एकलह.कब्राहेश चभर नान, कृशैइ cषणं क्तिनांचक जङ ७ जसिकश'.... तक्म ७ उ क्यूबांम्भ कक्त्र ब७”ाब, क्व ८... केच्न अक्रिा, कd अडिनब जैौझ जबम झण नछrव बछथाझ१कéश । अलिंगे, वाणरू ० वृक देशक्भिरक नगYबरनन अत्रित नित्र विइ न कहिता वृइ अणैकत्र कब1णांवष्टक। इविल ििस्थानक দেশ, রোগীর প্রকৃতি,স্বত্যাগ,খা,বিষের বেগ,রোগীৰ কাৰল चङि बिरुष क्ांशं श्छिब! शङ्गिणां शिखा यबि्रह्मा चङ्क्तः फ़िकि९णां कब्रिटबन । মালবের জ্ঞায় ছাগ, গৰ্গক ও গো প্রকৃতিকেও সর্ণ দংশন कब्रिzण छांशंरषद्व७ छेख eणांजैौ अछूनांtब्र ब्रख cमांच१ कब्रिrछ दङ्ग ७य१७ख सेक्ष अश्रुि क्रिमएक cणषम रुङ्गाहेरउ हङ्ग । ८ब्रां★ौन्न क्षम बिंब छछ विकांब्र केनहिङ श्ब्र, छषन ८गहे cनहे विकांटबब क्लिकि९ण रुब्र जांवछक । बिट्व भन्नैौत्र विक्4, कटैिन, বা ফুলিয়া উঠিলে এবং বেদনবিশিষ্ট হইলে পূৰ্ব্বোৰু ৰিধি অন্ধুসারে শীঘ্র রক্তমোক্ষণ করিতে হয়। বিৰাওঁ রোগী ক্ষুধার্জ বা दिष बछ बांबूथझडिविनिडे इहेrण विtवघ्ननाशूर्कक फांशष्क দধি, শুক্র, স্বত, মধু কিংবা মাংসল প্রদান করিৰে। রোগীর निस अछ कृक, षांश, पाई e अखांनष्ठ पनि गश्वांश्न प्राम, e শীতল প্রসেক সত্ত্ব করিতে পারে না, সুতরাং সেই সকল cबांशैौष्क ५वा मूहिंड cब्राश्रौष्क जैक सेवषetशाण बयन रुद्राहे८व । विट्यग्न थtकां८° निख छछ मण ७ दांबूझक श्हेब्रl ८कtईमांश्, cबममां, भांभ्रांम ७ जूजटब्रांथ शहेण विाइल्म कब्राहेtव। छकू भएषा कूणिइ छेद्वैिरण विवर्ष ब जांविण इहेtण चक्ष्व नवरा বৰকে বিৰূর্ণ দেখিলে মেত্রে অঞ্জন প্রয়োগ কর্তব্য। মস্তকের वांछन, श्रृंग्रैौcब्रग्न cशोब्रय स जांणछ, इछ्छछ, श्रणअश् ७श्य६ अछांछछ ७हे नकल छेन्जय कां★ण *ि८ब्राक्रिब्रध्न नछ eव८ब्रांश कब्रिtष । क्षिषिकां८ब्र cनांशैौ छत्रू फेब्रिणिफ कब्रिब्रां षाक्tिग uवर लांमधूंछ व औद उन श्रेरण छांशत्र गणमcषा नण चाब्रा दिtब्रक्रमहून नक्गनिङ कब्रिट्व ५वर दड, नव ७ जणांटोब निब्रा अरूण छांड़िड कब्रिट्व । जर्षी९ (बै निंब्रां जकण क्कि कब्रिग्नां झुदिइ ब्रड बश्ब्रि करिव । अंशरच् पनि विरक्इ थरका°बनऊ* ब्रडटवाय अ झ्छ, छांद श्रेरण बखकरवरश्व कांक°क चांकांtइ कठ कब्रिब्रा ब्रडावांव कझडेtद, जवंब cनई शानब्र সরক্ত মাংস ও চর্ণ ভূদিয়া কেলিৰে এবং সেই স্থানে চর্গइएकत्र कांध दां ठून अरबीन कक्रिष। cबांगैौ जनगूंछ श्रण ছন্দুভি সামঞ্চ ৰাষ্ট বিশেষে জগন্ধ লেপন করির মোগীগ পার্শ্বে वांक्न कब्रिoड थॉक्एिव। देशtछ वर्षि cबाँऔब्र खांन एब, फांद!