পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৪১৯

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প্রাণ বোমূলক রাখে রেখেই একটৰ খইছে। बांकड गस्यंदांटका.pाॉक्डबलबकांनैौब छांव कांवत्रीं चक्छरें | ‘जवरहबढ़:लांकि अकéहः। कूर्बभूब्रॉन नांदर्भ अ#नीं पाँझ बश्बरत्कब्र नक्क ब्रूभछि;थरे नाकांड यrईब्र कष8 फेबठि -नाशन कब्रिटिशन १ शत्रक बु-छि आस झू-छिद्र श्रृङ । इँइब्र ग्रुखब्र अभि शाचङ । नांकङ कांजी नांद्ररक्छ मिकछे ♛हे नांचङ शरद्वब्र ॐ°रमन झtä हल्लेब्रtfर्मकाहब्र बांछ्रह्मत्र कfमांद्र निबध्न दांकिएडन । हेनि डूscणांणानि कब्र नॉरुक थई अवर्डिङ क्रtबन । पथ “जवांश्tण नकल्ड नांब रिहङख्ग थडांगबांम्॥ भश्ांष्व निनिद्मंख्र श्रृदेिक्षi१ श्नः ॥ न मोब्रनश वक्ष्माय् कञ्चरक्काप्तीनाडिा । उछ नब्राफू थिाख् गाङ्गङ१ मांब cोङबन्। क्ष्वेड झभिtङ्t हू७fशैीमां शिखांबड्य् ॥ গান্ধগুপ্তপ্ত পুজোংমুং সর্বশাস্ত্রৰিশাৱনঃ। *श्ोरंशां भङ्गिबिंचम *श्लष्ठ९ *ाणैर्सिखम् ॥ গাৰকঃ সত্বসম্পন্নঃ কৌশল্যান্‌ স্বযুৰে জতান। चङ्कं ?ःबतांश् cofध१ बिहू१ 6कारबुष१ ब्रूiिम् ॥“ কেৰ্ম্মে পূৰ্ব্বভাগে বন্ধুবংশানুকীর্তনে । ७ख्न्।ोब्रो बायाँ चाँहेरफरक्क cद cजकर्षि मोक्रय क्छवीव्र अ१७ নৃপত্তিৰে যাত্বত ধর্মের উপদেশ প্রদান করিয়াছিলেন। সুতরাং वारुल गचथनांइ cष बडि cथfशैब हेशंरछs ठाशग्न अवान *ांeब्रां बारेरङtझ् । [*कब्रांब नtश दिइड विक्जन अठेषा । ] ९ वइक्केब्र गच्छब्राछभूख । (कूई५ भूर्लङ' ३e च? ) १ ब4गकब्र जांडिक्लिष । बङ्गणशश्छिद्र देशझ विक्द्र आहेझन निषिङ जांtइ cष बांडा देवछ कईरू नब4 श्रीप्ङ छ९-ज शखांनशण बिाबांखा थाषा थांख श्छ, यष प्रषदांsांर्ष, कांक्रव, क्जित्रा। रेमज <!कई अग्लिङ १ ,

  • कsाज् जज्ञिरड बङा९ ऋषबांजर्व जर छ ॥ कांक्रक्क बिंजच्चांक ६कब* गांचङ isष छ ॥“ (भत्र ४०२७ ) ঞ্চে ৭ সেশন্তেক সাৰত দেশ, এই জর্থে এই পক্ষ বহরমান্ত । “कक्वस बनाई छा जाँच७n कृङ्कोक cछ ' (बिस्ती" ? দৰঙী (জী) সমজ্ঞাপত খ্ৰী,সাংগী, • निछ. **ीणकडिों (अब्रड क्षser४) ९अच्ज । (अंबक अ*ि*****)

XXI mos - धां "ঞ্চি। " उब्रडी गाचडी ०लेषिकद्रबंॐों* इंकः ॥” (cश्वं अरे झडनं शक्न झरेब्रन निविंड*थ******** शक गकणं अखि हर्ष*षांज, मैगः चर्षिक अक्ख*कैिके, छोश्रथषान ज्वाइ शकापूर श्ब्द्राः कनॉल ख था+4 मथ१शārप्रडण श्छ, ठषक और नांदेडी दृसिंहऐब्रlथां८क। cष हcण श्रृंच दिछन। अङि भ्रूज़र्षक मरश् ७क इणणिङ लक्षांझ मध्नांबध दछ, उषांत्र७ uरे वृद्धि हद । शैब,cबौज, चडूङ ७ श्वांलग्नtन श्रहे चांचउँौद्धि krizब्रां★ कब्रिट्रड इइ ! “हर्षयषांमांबिकनफ्यूखिद्याirर्णांखtब्रथांच्चवटळ बrमांछ । जांचकर्षगन्ञ९ छ्छजांछ क छां९ गा गांख्डैी जांभ बछ२अ इखिः ॥ अठिभूदगम्भखिः अंबानकमरनारत्र । शैरब cऔरङ्गश्इड नाप्ड इंख्रिशष भड दश ॥” : - ( श्रृंबांझाडिलक ७०३-१०) रष ऋण प#| ●ांनांयeनविनिहे, ७ श्रणणि७ अर्धग*मूल इब्र, उषीब्र aहे दूखि इछ । देशव्र ठेवांइब्र+- - “जस्त्राक्ष छनएको निविष्क नृत्वमो५ 8िtश्रवद्रङ्गकरङ्ग भ$ांमिश्रश्ठषट्षषि चण८५ झरखश्म cबगंश्छiगृथं । कि९ cशकछ शृंश् गंडछ थकष वत्र नक कृकद्र ब्रांडrछांबद्रभूऋभशन न नाशदङम्बनां७:नशभम्॥” ( चुंबांब्रङि" ० नब्रि' ) সাত্ত্বিক (পুং) সন্থাৎ সম্বগুণ প্রধাৰাং विण्कtफूडः ग९-*७.५ & של

  • बकां । गांवर गचखtणां २छांपैौङि *न्। दक्कूि ।

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