পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৪৩০

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इशब1श्वद्भक्षुकक्र**छन बाब, ककथकलह ब्रह्मंस्कृ** নাৰী জাগ আঞ্চায়ে পৰমেৰ এগৰভাৰে ক্ষে লখি तःि शरज ।। ५णश.॰भम श्रृंग् भैीश्.ध्याश्च *षतः। रेश आश्रम्भिइ बाँध्न शिक्षां शाश्॥ श्।.., : ,} • । क्विाश्ब्रजवगचैौद्धि- $ - *: “. . ; (೪) + G ಇ+1 ಶಕ್ತ್ಯಕ್ತಿ .. कून् छाि छम. श्रृंक्रे cवनि cीi . निगम ऋांक अल्लम छांक३{ . . ब्रॉब्र बांद्र क्ररी क्रि शकदैन । - कब्र कबजl cतांशैक्रक्र-बA प्रशं4 !: . . . . बिङ्ग४ख १ह्म नििश्, त्र श्री् । महेबी डूछेहे.गन्हण झांब्रां★. विं{क्षत्र श्ालेिंद्मं श्रृङ्गंब्रां । अरेट्न शैम मब्रवॆ त्विह मैच,, - बैटन फू ख्विtइषण थवैौद्र ॥" (१) इ१९ फून् क्बि, cछांछ९ इडांप्ब ? *र्मऊ, कवि शैजिरह ॥ ििख सङ्गम् वरा श्रांबि॥ णि श्ल, त्रिंशद् व.जैषि:॥। ॥ ििनिर् निविद् हि कश्न् िशङ्किण त्रिनेत्रं हि९ म ब्राह्मे । ख१६ एणि ंशंखं स्रम् ॰वँ श्ळैल इ१ ०षट्॥ां हि ग्रशiरे ॥ 8ख्न् जआंषि काङ्ग रीब्ररे सेछन् क्क्रमा विन्नrिछ । नफिण नॅबिन ब्रपू"ख् िजष श्रृंण झिम म विगांब्रिएल्लl ॥ श्रीब्र कौरजां बङ्गनं गैौखांचव कि यदि ¢क cझांब्रिrब्रां । उग्न डब्रजहम औब्रषिcतरश्न मिब जन्म६ न cफांबिाबा ॥ २ । मृफूकांगैौन शैफ- .. - তুঝে বিনানা কিয় পরি দু জাপলা নিৰেয় ? वांछहे छोण बजल cद्र मम वांव८ङ्ग । इफनि न cङ्म । .wद्र इकू झींद्ब्रां श्कू निहांरब्र! गमांकवांलl cकब्र । कूण बांकि बभ्रं९ कt, मम बांवtा ! एम गदछ कि cछन । . कोइरफ मान्नी गकण, डम िश्रेष्ठ अप्नँ cगग्न। `श्ङ्ग श्रीीन क्षुश् झष छिश्च cण झष बांश्ट्झ क्व पत्र कङ्गहें बृहदइ ८ङछ। खैँोक्न हिन् भण ७क, अर्ण cयो त्रि म क्षेनिrदछ। cङब्रt *ब जशच गयूब cत्र, धब मांवरज्ञ ! क्द्रि शक्रे cकब्र। गडि मूलक्द्रि बाइक नवकes कबढ़ करल । । লেন হোএ জে লিজিয়ে, মনৰাৱে,ইক্তি জান্ত জনের। कद्र प्रमाई न६७क इएक इक्ष इन्हण।, फील जमर्शिन गष्ञांब cन, मम ऋक, अन शकत গুগৎ মিলের। '; t 8રક. ]] कवचक्रह बछवक व नश्चलत्र ऋनिश, खचिहिड ऋद। देशद्ध चछाित्र क्षेडगिक कान देिख अब च्दा जुत्र चर्षनwब त्रिहरू: *कांदे देखीलब कईद, अक्षांनफ्रन ब्रज3 विषाक्षम, १९, बन, इक का गलतीरज वृष चकिमचाच् ऐब्राम्रह श्वप्रतििबकः॥ ८. लङ्गलाणदब*, गण कt cर्शनगमूर्तरू जl। जगन्नांक बाधक विशिक्लिक कर्नाक्षॆी,धूक६ कां ब्रैौद्र अस्ति इैनिकन कतिप्र.ब्राहे, बृङ्गा ग्रैल *** लौफ़ ८कोङ्करजs कक्ष्म मह्नांनिtान कfत्रात्र न 1 wरूकjब बेहश्च बांदांच्चाकल्लक ♛♚★♚ब्र किल्लं८क अक्लेिख कjषt *कांक कईऋ।... .. ** { ५६) गांव-चक, ॥ गांधक ॥ *वचन: नांद बैबाह* (कक .(irlה) לשאת אסiה" ( תנאיג गोषक (१) गाथचिनिन्थकडि vieबिलि नाम-१५ गांकनक्सी, निष्णाक्मकी, निक्काङ्गक, ििन कोर्षणष्णाक्म क्रछन। ९ जांबांषक, अफ्रैंक, cनवक । बांहांब्रां निकिङ्ग बछ cनरवttनाश्व गांशबा क्रब्रम । भीtज गांषष्कब्र दिtश्वर जच१७हेक्क”

    • खड**इ१ अदभाॉमि गांषकांनांकु शकÁ१ ॥ शनलिौणांछन्नांबूङiः गङादांबिबिाखजिहां५ ॥ মাৎসর্ষেণ পরিভাক্তাঃ সৰ্ব্বলম্বছিতেরভাঃ । क्ईनैगांच्षा९गांश म€रणांप्रूश्कूखणकः ॥ *ब्रणब्रघ्रनखडेष्ट्रिकूणः जांषक्जा फू। घैरैिः शाश्नं ब्रूंis इणहेताः शरैश्स् ड् ॥“ (ंकाशैशृङ्गीं) क्षीण, ब्रोनि5, नसाक्कै, रिङ्क्षित्र, बाँ९न्५इश्छि, गकणéथt१ङ्ग शिष्*बिक्रछ ब्रड, कईबैश, खे९गांशै, जनित्रक अर्षीं९ विनि कांशद्र७ मित्र कट्टब्रन ब्रt, लक्टणज्ञ ७ोंकि गछहै ७ अछकूल । dहे शकल४१ भांकिण ठरव फिनेि गाषक श्रच् गांtङ्गम । फेङ ७५दिनिडे गां५क फेखम गशदबद्ध गरिङ गांधन

निवगरिडांइ निषिक जांt३ cष गांवक छांकि अकांग, बुझ, मश, जडियाज ७ जडिबांजख्य । #हे झहि अकब्र गांक्षाकत्व बcश जडिमांजय गांधक गर्कीcगचt «अ# aवर छबनघूमनोटब्र ৰাইতে সমর্থ। कृइ णांषक-८न शकण लायक बरक९नाही, जकि नकू, - ৰাধিযুক্ত, খঙ্গৰ,লোকী, शां★प्तकि, कटुडांजनकाँग्रैौ, द्वैौद्दछ