পাতা:বিশ্বকোষ চতুর্থ খণ্ড.djvu/৫৮৩

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ব্যাপার মেধির বলেন যে, ছন্তে পূৰ্ব্বকালে এইরূপেৰেদি ऋिभद्र बtश भूननझब अबिहे रहेब ‘गर’ रहेक 'cगशब' नाभ गईझ aक वरुज कून रुश्द्र हैोफ़ाहेबाइ । . पाश इडेक रेशप्बज मcश cष नरून कूरी मरवन कब्रिध्न वज्रह कूण शऐब्रांtइ, . ठांशङ्गां ॐांब्रहे ७क ५कन्नै বিশেষ বিশেষ স্থানে বাস করে । মুল নদীর উপকূলে জালোকের অন্তর্গত কোস্কুল নামক স্থানে বৰ্ম্মল, বাৰ্ম্মত্তি, छात्रयङ, निषप्ण ७८षारफ़ ; ब्राक्प्लग्न नफिएम यदब्रl मशैब्र উপকূলে গুsে, ঘনে, জড়ে, কারে, খদালে, সঙ্কে ও পিচয়, ( এই পিচরকুলেই রাজুরের দেশমুখবংশ উৎপন্ন) ; অকোলের উত্তর-পশ্চিমে ধাদৰ, গোড়ে, সাবলে, ক্ষেত্রি ও খলপারে কুলের বাস । মহাদেষ কোলিয়া সাধারণতঃ দেখিড়ে কৃষ্ণবর্ণ, খৰ্ব্বকার, সরল দেহ, দৃঢ় ও স্থলপেশীবিশিষ্ট, কিন্তু উৎসাহহীন । ইহাদের স্ত্রীলোকের সাধারণতঃ স্বরূপাও নয়, কুত্ৰও নয়, কিন্তু সৰ্ব্বাঙ্গসুন্দরীও যে নাই, তাছা নহে। প্রায় সকল স্বমন্টই মধুরস্বভাব, হুগঠিত, লজ্জাশীল, পতিপরায়ণ, সতী ও পরিষ্কার-পরিচ্ছন্ন। ইহারা ভাঙ্গা মরাঠী ভাষায় কথাৰাৰ্ত্ত কছে । তৃণাচ্ছাদিক কুটীরে ইহাদের সামৰুি লোকে বাস করে । এই সকল কুটীয় খুব বড় বড় হয়, প্রতি কুটীয়ে দুখানি বড় ঘর ও ক একখানি ছোট ঘর থাকে। একখানি বড় ঘর সদরের ঘররূপে, অপর বড় ঘরখানি अलएन्जङ्ग शब्रक्र८° दाबक्षऊ श्ब्र । अन्नप्द्रद्र शटब्रहे ५शानि উঠাইঙ্গ রাখে । ধনীদিগের গৃহাদি কুণবীজাতীয় ধনীগৃহের মত । ধনীর পশু পক্ষী প্রতিপালন করে ও তাহাদিগকে আপনাদের আবাসেই রাখে। মহাদেব কোলির পূকর ও গোমাংস ব্যতীত অপর সকল মাংসই খায় । ইহাদের সাধারণ थाश कान निशांनात्र झः । देश:नद्र म८षा औभूझद সকলেই প্রাতঃস্নান করিয়া থাকে। প্রত্যেক পরিবারে বয়োবৃদ্ধ <यांठ:ब्राब फब्रिप्रt छमानशून्नान्निदाग्नी श्रृंश्tभदपठांद्र गूजा कtब्र ও প্রখণ্ড খাদ্যাদি দ্বাঙ্গা ভোগ দেয়। প্রত্যেকেই স্কুলসী-প্রদক্ষিণ ও প্রণাম করিয়া থাকে। সকলেই সকলে এক্স এক পংক্তিতে খসিয়া আধাৰু করে উৎসৰাদিতে দেবতাকে জয়, বক্ষিও ময়দার ফাট লুচি ইত্যাদি ভোগ দেয়। পৌষ মাসের राक्रांशश्रेष्ठ हेशग्रा ५८खविा प्राभरू ८षषष्ठाब्र निकछे कृf*{चणि ८क्द्र ७ cनहे नाश्न ब्रकन कद्रिब्र! अब्र ७ निडेकाशिब नस्छि cकांच निइ थाइक ! हेशच्च ऊष्मारू ७ नैणः ८वदन DDDS DD DDDD BBBBB BDDS DBBBB BBS কাঞ্চজৰাপানক্ষয়ে না,কেবল শের ক্ষঙ্গি দোঙ্ক শুকাই৷ IV 凉 { v} }

  • iरषत्र अरिक थादेn थारू । ऋजदरबा निभः कडीच् गनच् वडक भूखन कtछ s*१ ग्राफ्रेिं कांधारेझ थाद्दक । जैोदनांश्कब्र

23% mono हून बँीtष, cर्षभरिक ईशब्रा ‘वृहाक' वtश ! नक्षरान्न निघूब *टक ! भूश्रदब्रा झोरमन्न नग्न छन्भग्नन्न ***** करके । देशां८भञ्च <नावांक कफकछे कूनवैौ स कफकल्ले झांबनविहभन्न छांद्र । नणाश्र जोश स थांब नूकिङ्ग प्रांणां नtद्ध, कदाटक ‘दबलস্বয় ৰঙ্গে। প্ৰাৰ সঞ্চলেই কঠি, বলিষ্ঠ ও গমছৰ জুইcण७ कूलवैौजिटभग्न छात्र नब्रिधबैौ ७ जूक्रियाम् नtह । ऐशङ्गाँ ङ्कि चलन ७ कविबाश्रुझैिन । किरु दबोडिव९नन, विश्वप्न नांझांदा कांग्रैौ ५व१ जष्ठाबांधैंौ । अलि नकल शनिझीं थाँहाँ किंथांख छ#हाँहे *िथ । दिट्टभनै छ भद्भग्न अकि देशग्नः दफ नहमहरुिख । छट्व विtभनैष्क देशांच्चt दफू झद्र! कtग्न । हैंहाँ८क़्त्र कँौहणांएकञ्च अtइन का अ*ि*ौम । ८नवः शिङ्गाँtइ, ठाशङ्गां नूक्रब-*ब्रिव्हएम जांकूटशांभभ कब्रिङ्ग दे९ङ्गाँछ भूशिtन পাহারাওয়ালায় কাৰ্য্য কম্বিয়াছে । cचनिएकांनिनिtनञ्च भरश अrमरकहे भ९श वtछ, मशिांद्र भरनएफ ८मोफ्यांश्म कtग्न । देशभ्रt cननॆभ ८णारकक असंशcखस काज क८छ, किरू छूग्रां★ीबभ८भग्र जशिक अकब काण कtद्र न, डांशtस देशांब नमांजष्ट्राउ श्द ! ऐशrनन छैौरगा८कब्र बाघश्रण काटछद्र हूज़ि नग्न ७ बगैौडीौन्न श्रेcछ दाचाtब्र भाइ झांबिब्बt cबइ ! भूअरषग्न कॉरू क्झिक कहक । विषttइब्र गभइ रेशtनग्न औरणारकब्र प्रक्रिपश्छद्र भइन द हूछि भूनिब्र नषूण cषनिद्रा cनग्न । उरकछ ७रे -कछान्न चाभैौ य९६छ थप्लेिटज्र ८१८ण छण८मिथङ छाझा८क अप्ण शृको क८िश्म । भइब्राङ्कटनब्र बन बाछी छ हेशरश्त्र •ाकाग्रस्त्र वर्ण मा । अक्रिब्राब DBB C BDD BBB BDD BBBB BBBDDD कtर्षी कब्रिफळ । हेंहtcनग्न य८५; श्रtनक थर्मौ श्रttझ् । cयांचाहेtब्र, ঠাণ, তেৰী, কল্যাণ, বালিম, দমন প্রভৃতি স্বামে পৰ্ব, গীজের বলপূর্বক এই শোশন্সেলির জলেককে খৃষ্টান कब्रिब्राहिण, किरू ०v२०-२० धुंहेtरच दिन्ट्रठिकfग्र भाद्धांड श्रेब्र! जटभक श्रृंडेान श्रावांद्र भूर्लक्ष* श्रबणषन कब्रिब्रारह । ८थोत्ररकाशिग्रा श्रठि*म्न मनाशात्रैौ, हेबांब्रीं चलांबमृष्ठ नतबांशअस श्रांशंच्च क्रब्र ! जैौनक्tिभद्र नश्फि पनिईछ क्लftष । अtम८क श्रीवांब्र ग्रैण वणिइ! *ग्निछङ्ग cनङ्ग । अtरीब्र ¢कांगिब्र! थtरकtण गै*{{ * १छां*ी मकै जैौ८ब्र दtन श:ा ।। ऎश्iश्नः ८ष्ोक्षौषf*ौशं मिश्रूयश्च । DD BBDt DDBBBGG GGBB BBDD DBB शत्र ! crांबारेटब ऐशत्र *ीकौ८थशांच्चाँझ कांर्षी कक्रिय थाटक । छाकि ¢कॉनिद्रां काबिारफ्द्र श्रद्ध#च् छ्नीनछः शंदेष्ठ