পাতা:বিশ্বকোষ ত্রয়োদশ খণ্ড.djvu/৭০৮

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    • मे १डिक शनम कब्रिदा ठश्नtन्न प्रश्मै जणभूल कणन यनादेब्रा बां८५ । छ९*८ब्र ब्रथमैनच बद्रष्क ठपाह श्रांमिब्रां কপালে পাঁচ-ৰাৱ ভৈল হস্থিত। ছোয়াইবার পর স্বান জ্ঞাৰ। अहे नवइ भर्षीड कब्र ७ कछाररू cदङदङ्ग श्रृंहिषान कब्रिड्रा थांकिtछ एछ । थकt१ cनहे.cचछयांन छाॉन कब्रिहt छोशन्त्र ब्रजिष्ठ दांग *वेिषांब कtङ्ग । नृङन करजच भवषच्णङिब्र भँहेछ दक्कम रूङ्ग एछ । *

अ९°xब्र श्रुअरूले भार्दश अझिब्राद्र नद्र इन्श cवtवब्र मूबा कब्र इज ।। ५ई इगरारश्वरे विकप्रब अकिॉर्जी खुडिब्री गं★i } o रिद्राभभtनग्न नग्न इंशtबद्ध “नाकच्शन’ झा । ॐ जषविदाश्ठिा कूणदषू चश्च शाक कबिद्दा चबांडिपर्षक cखाजन কল্পাঞ্ছয় থাকে । 羽 <अङटिब्र धद्विtबछ *रण “दौला' विदाइ ७ दिवषाब्र नरक ‘भाश्राश्’ विवाद धछनिङ थायह । बैौपीविदाइअषी कडकt५८५ अक्बtथ*इ “पञ्चबाबाई’ cधंथांच्च यइकन, किड़ यहे रिवारश् जानाडाहरू रूबरूवर्ष चैंौह आदौ चछब्राणदृष्ठ कोई कब्रिरख हेछ । 隸。 * # मात्राहे बिषाप्र cक्षञ्चरक विवाह रूद्वाइँ गर्रवामिचफ, किरू ष१ि cत्रकइ बाहणज्ञैौरक अदच कबिरच् चर्चेौङख्रश, छाश श्हेप्न मह ब्रक्ने थनब्रहक विकाश् कश्रिङ गोरन्न। इंहारक्ख्न क्य्षा क्षिाहदकब cझ्रश्द्र cरूाब निद्रव बारे । वाधी ऊँबाथ, सक्थछच पी बिबरचन दहेरण झयकै नञख***ख्न कभिरख भारw, किड *कन हरणe &क्षश्चरक क्विाइ कब्राहे भिइव । भोभाई विद्याध कोरल रिकची चमकैश्च नू#fक्कांद { . سامو ] | शंशोंझ wimiinäärmán अिवख कछात्रल बूख्न चाभैरक cक्द्रङ रिच् श् । डेब्रनजांछ नूयत्र१. गिङ्गशरमह अश्विकोबैौ इझेब्रा थोरक ? वकविन निष्ठा औविड शादक, ऊष्टमित्र ८कइहैं अच्छरुि छात्र कब्रिह्छ थाप्द्र मा । निच्ात्र घूम्लाङ्ग नत्र देशब्र व च यात्रा अश्त्र छांनं कब्रिग्री लरेंबा वडङ्ग शाrम वांन करग्न । विवांशिक नईौब्र গর্ভজাত ও রক্ষিত রমণীর গর্ভজাত সন্তারগণ পিতৃস্থাপ্তি প্রাপ্ত इह, किरू श्ररेक्ष जाऊ नडानभ१ चळथगैभtश ®कछ जांशद्ध কঞ্জিতে পায় না। छाष्टशूब cकान क्षिष ब्रयनै क्षत्रि ऋजांङि भtश विशाझ् করে, তাহ হইলে তাছার পুত্ৰগণ পিতৃৰক্ষুগণের লছিত একত্র বাস করিতে পারে ও পিতৃ-সম্পত্ত্বির অধিকারী ছয় ; কিন্তু যদি ঐ স্বাদ বৰণে ৰস্থিত অপর কোন ব্যক্তিকে বিবাহ করে, তাছা হইলে তাছার পূৰ্ব্ব-স্বামিধনে কোন অধিকার থাকে না, বরং সেই পুত্ৰগণ জাহাদেৱ পুৰ্ব্ব পিতার ধমে অধিকারী ছইঞ্জ থাকে। কিন্তু কোম কোন স্থলে ঐ পুত্ৰগণকে উভয় निपछाब्रझे शरज अधिकांग्रैौ ह्हेंद्रक cनथी योग्न । विश्वय अभ*** चाँझैद्र शन्निछि मडै कब्रिरङ ल्याएग्न मा, किस्त्र cथाङ्गरकोट्यङ्ग झारौँ কঞ্জিণ্ডে পাৱে । -

  • क्षिकाइ छेछष्ठ श्रानिजांड नडामहे नषांभ । 'उंशिtशद्र भाषाe विप्नष८कांन जाद्रज्मा गक्रिकइह मा । निडांब्र वरम अकबांय नूजनर्भर छैखब्रांषिकाबैौ इहबा थरिक । cकक्ण बाज ८जाई शूबरे मध्नखिद्र जघांम छोtणञ्च मथा१भ छोध चशिक <थासं श्छ। शूबग्न अङांप्द "ब्रिवीब्र-अक्षइ अॉड की जाछूशृजनन ७:cछाई की धूखछोटङछ णम्नङिग्न भषिकईौ शश्ब्र भारक, किरु ऐशइ गकरणहे मुड वाडिम्बंपिक्चt **ौत्रलएक छब्रण cभाष* कब्रिtफ दांव । नष्कृद्विबी विवबोर्जन चार्जीयम খোরপোৰ পাৱ। তাছায় চৰিত্ৰ কলুষিত হইলে ভাৰকে গৃহ श्हेप्ड वश्कूिरू कहिल्ला cन७ब्रो श्द्र । कछाभ५ दिदाश् नर्वास्त्र निकृषप्नद्र अ९*उॉनिर्मौ इहेबा धारक । ऊाशरश्छ ठ९काण

•ाबीउ औषनवाख्रा संवियार-दाङ्ग क्तिहमञ्चखि खद्देहज्र निक्ल्याङ् कश्विरख एद । निकtब्र शृङ्कब्र *ब्र आठभूख निकृनन्नद्धिब्र चश्नडने इश्रख् भाrग्न न। उcर अर्षि निका बुछूकोtण *ौद्ध भईौधरéब्र कथः खेरब्रष कक्रिद्रा वांइ, छाशं दशरण छाशश्च नन्नखि-आरउच्च श्राना थीहरू । ईद*ानैि कङिब्र क्षमांथिकां★ नौरे । , ; भूथरीय कखि बखक बह१ रूब्रिtछ काiहै, किछ tशेश्ळि : बँीविक वाकिर्दक कादांड७ गडकः अहष्पन्न चमक.माझे । । ऋनकक्षश्चि'लिब्रम স্বার্জেষ্ঠজৰে এই ক্ষএকটা প্রধান— }" }