পাতা:বিশ্বকোষ ত্রয়োদশ খণ্ড.djvu/৭৫৩

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भ९गा (चारुङाद्र) रजिदणन, श्रोबिहे चइ९ (अबांभछि बच, जाभः शठौड

  • ३भ१ अछ ८कश भाड़ cछत्र क३ । भांत्रि वरज्झन श्रेष्ठ “हे बशंख्द्र श्हेरझ cखायोविक्ररक बूङ कब्रिजाय । क्षथम अष्ट्र ध्रुङ्गाइन्न भाइव यङ्गसि गर्सदकोन्त्र ७धज१ कि बच्न, कि cझख्न नभस्डहे ऋहेि कब्रिह्बन । हेर्हेम्न ठौद्ध छहनादरण *खाघशहैंৰিয়ে প্রভিল হৰৰে এৰু স্কন্ধর প্রদায়ে ইনি প্রজাস্টfৰষয়ে মোছ প্রাপ্ত হইবেন না । মৎস্ত এই কথা বলিয়। তৎক্ষণাং আদর্শন হইলেন।
  • रद्र बदश्रङ बडू बया रहे कब्रिहस्र हेधक कब्रिब्रां कर्छांद्र ওপোহনুষ্ঠান করি, তৎপ্রতিভাৰলে সমূদ্বাৰ স্বাক্ট কম্বিঙ্গেন। এইরূপে জগৰাৰু ৰিষ্ণু মৎস্তরূপে জৰতীর্ণ হন।

(स्रोब्लड वमश्रृंकी ه به ) ब९चयूहा:१ u्रं चषप्ङग्झिञ्झ बिक्षा ५श्रेङ्कश् शिशिखं चttश्, পুরাকাশে মন্থনামে এক রাজ পুত্রকে রাজ্যভার অর্পণ করিয়া ब्रांङ्ग इश्ट। कंझन । चमूं श्रद्धं चऽ इङेण क्षः श्रुतः। विन्न कथाव्र ऊँभङ्गिक झ्हेद्दा ऊँइएक कन्नोर्थब कब्रिएछ মলিলেন। ইহাতে তিনি এইরূপ বয়প্রার্থনা করেন যে, ৰখন श्रणधकांण छेनहिउ झईrव, डथम चांबिहे थकशांश छब्रोऽब्र जठरफद्र प्रक्रभदिबाष्ट्र शांनषझ* इहेब, जांनग्नि पग्र रूबिब्रा जांभांब uहे बग्न निब। उऋ! फक्षांश' बनिप्र चब्रश्फि शहेrनम । একৰ মঞ্জু আশ্রমে পিতৃতর্পণ করিতেছিলেন, এঘৰ গময় ५कप्रै ब<श उँiशांब्र शtडब्र छेन्द्र गांकरेिब्र गढ़िन, मार हाइপরবশ হুইল্লা এই মংগুটীকে একটী জলপাত্রে রক্ষা কছিলেন। ক্রমে ফ্ৰৰে মৎস্ত বৃদ্ধিপ্রাপ্ত হইতে লাগিল । মন্ত্রও ভাস্থাকে পূৰ্বোঞ্চমে সংক্ৰমৰাে নিক্ষেপ করিলেন। ষষ্ঠ সমাধ্য DDDD DDD DDBB BBBBS BDDDBB BB BBB अभ९ ऋड कब्रिtरं ७वः छूमि थश्राठि नाप्म वाजि हरेरब ।। জামিং ভগবান বিষ্ণু মংগুরুপে জৰতীর্ণ বইয় তোমার রক্ষা कब्रिणाब ! ( भ९खगू• ४ चम० ) কাগৰঙে লিখিত আছে, শুকদেৰ স্বাঙ্গ পরীক্ষিকে DDDBBDS DDDS DDBB BB BLSSSBLSS GBBBS BBS ॰ं ast ब्ं ब्रुं बिंबानि निक्षिख cशश् षींश् झंझब । ख्रिनि वारब श्राव पारडोइ छxकडे व बिझ्डे झच बदल कप्इन, किरु वध्र छिबि बिड़टे या खे९ङ्कडे झत्र मt, कांबन डिबि उ*क्रिनिहे S DDDDSDDDS DDDD BB BB BB BBS BB BBBBB • छनहिङ क्य। ८गये अंबड़कीघ्रण छूतानि श्वकणैब cणांक नव्रजचrण क्छ रछ । ब्रानडच विकडिी निबिल क्रेझ *शन कब्रिहण गड, cबढ़ नरून छरिब द* श्रेष्ठ कश्र्दिछ हरेबl ! त्रिको अडिङ श्छ। श्वऔद cक्के नकल cरक् एन्जल कब्रि XIII *oyo [ he s ] মৎস্য { चण्डास } हिष्णव । उभवान् क्कूि छाश जtमिरङ चाग्निता नरे ८वन फेषांtबन्न जछ बदछझन शाब्रष कब्रिtणब ।। - ॐ नबग्न मङाजङ मांtभ ८काम ७क नाहीरन॰ब्रांकन महर्षेि जरछ फेनैवथन कग्निड़ फीन कक्रिदछहिएगम । फोरें बड1अजई थाहें कहझ दिक्सादनम्न शूक अवशिrनक जाइम दिशांड श्इ विकू रूढूंक भइब्र गtन हानिङ इहेबांश्रिणन। झज्रनु छ ७१कश्मि क्लङ्गबाशा मर्हौरफ छअङ७६ि कछिप्काइम। cगहे नकई जै{इॉग्न ज*wिrख ५को अकन्नैौ छेपिछ। शकेल ? कृीब) गङ ब्लङ हरकश्ङि *शब्लौरक बर्दीइ अरण नि:साच कब्रिएबल, छश्वम cगहे अंकग्नौ ब्रtअtरक शैोमवारका रूबिन, इह बँौकरकएनज ! चकांबि * झर्कन,चrधाविदर्भद्र नश्रीब्रक मकब्र-कूर्च्छीब्रानि शकेइज चाबि. छद्र *ाहेर्झहि किल्ला चार्थमांइ अञ्चब्र कईइििहभाम ॥ १झननि जांभांहक भaहे ननौखरक बिद्दचन् कझिन्द्र ६कन ? यष्टाश्चढ़छब्र अबकि चङ्कअह aकोन्। कत्रिपात्र छक्क नाच्ना" गण्छcनश् बोन्न५ कfङ्घब्राह्रिलम, किरू नछIजच् छीकी खाचिrछब भी ! मैकग्रेxक ब्रक कविाब्र बछ किञि शहमारदामै श्रजअ ॥ नातू छा●i य९%णाङ्ग चछि कोखद्व कर्मंको अदल कङ्किङ्गा जोशाक कामrजङ्ग खाण ब्रक्री कब्रिब्रां जॉश्व गहेझ cरणल।

  • क्षॆी थीक ब्रांजि(फ३ cनदे कनण मादी दूरुि नहेिण tgष९ प्रकागत्र श्रद्रौष्प्रङ्ग भर्वाड हॉम बी गांश्च ब्राजाएग्र ऋरिण, जाथि isड़े कलन मtश cश वहश्च कांग कब्रिष्टक *tांब्रिष, अक्र* cषांक्ष इहेश्चरश् ब्र, जष्ठdष चांभाद्र मिभिख ♚क ऋ* फिडूछ हीम निरर्थभं कक्रश्न, षांहांtख चांबि भाझट्टन बांग क्रक्रिरङ लांकि ॥ १ङथम ब्राब छांशष्टस् cनदे कगम छहेष्ठछ वाहिब्र रुग्रिङ्क भक्लिब८ण मिाचा’ कब्रिछाब ! ४न फोझरफ घूह६बीरबहे छिन दड गद्रिबाc१ इकि नाश्ण थर क्रश्गि, ब्राजन्! भर बनिकझबन सिक्रण गर्थात नाश् ६२, चाधि धशाच्ष ब्रम्ष बांन कहिाड *ांछि १ चछ4प चांभाटक ऐद! अह्नच भ्रकृ ¢कम विड्ड चूहांम मांत्र कक्लब ? काब्रच चांकेि चलअशङ्क { fזה אא סייחידאי

cजहे बरीन्खि मृछप्न छ मणकक्ष श्रेरक अक्षताएश अश्५ कब्रिग्रा नtबॉकहब निष्क* कब्रिtअब ॥ *कही नॉनन £*द वॉब्रा GB BBDDD DBBBS DD DDHHBB DLL DD DDD कश्णि, डायन् ! चाथि मणिणवान्नै, विश्व *३ नरकायक-नजिल छायाछत्रुथकवृद्धि मन्त्राक्ज कप्छि नाक्किन्चटक्क मा, आमन्नि ऋकारक छकन कब्रिकाब्र छद्र शहब्रष्टझ्म, जक aद जाननि । DDHHHG THH GGBYT D DBB DTHBD DY BBD हद श्रो ? थन्क्वेि स्थले छाप कहिल्लुण पिछ नछुक क्षादक्लक महेन्री ४sक ●क कहिटी चक्रनञ्चपच छण*** *ि** कब्रिह्मज ।