পাতা:বিশ্বকোষ নবম খণ্ড.djvu/১৬১

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ዓሻ [ Atto ] श्रुत्व ion —w बुश्रुभखि दाब परशम;कार श्रेष्ण cगरे बास्त्रि अिङ्कङश्न-ि *कि इश्ञाँ चांदृक् । पांशग्न झडाजध श्हेtऊ शंकम रहांप्न कूरुग्णछि थरचक्ष्य अपर ५कांन* शरम छव ७ मक्रन थांप्रून, cनई वांखि शनचांगैौ श्रेब्र थां८क । षाशंब्र अचनरझे प्रति चटकट्य धीरकब ५ष६ छांशtठ मनन द इश्नंछिब्र ८षांश अथवा sिथाप्क, छांश इरेष्ण cनहे शखि शबवान् इव । शांशग्न जखणcभ छछ चरमरज वांटकन *ष१ फांशद्दछ जुशन्नद्धि बा वनरणद्र इति किचा cशत्र श्, डांश रश्रण गरे बखि शबवान् श्त्र। शांशब्र अश्रगप्ध बजण क्प्णप्छ धtरकम ध१६९ ठछ, सङ्ग व भबिद्ध cब* किक भूडि थॉट्रक, छांश श्रेट्स रगरे शखि वनवान् श्त । षाशक जग्रनष्ध इरणचि चएनएब थाएकम ७द९ ठांशtउ पनि बूथ वा यनएगब्र हाँडै किदl cयांश इहेब्रा धारक, ठांश एहेcन cनरे बाडि षमै हरेचा थोरक । साइब्र अग्रणtध ७ङ्ग चcकाख थोएकम अव९ ऊोराहरू बनि ननि वा बूएषद्र इडेि किच ८षांण थारक, cगरे शक्ति शबवान् হইবে। शमशैनcषांनं-थांशांद्र णभ्रंथिगङि चांग* हांtन uव१ घांप्रषषि*ठि णtभं थांकिब्र वांद्र कांशि*छि कईक शूङ अधंदा भूडे रुन, उाश रहेप्ण .cगरे बाकि शमशैल श्रेब्र थाहक। जध{४ि१डि शॄं श्itन, क्षईश्लtक्षि*ष्ठि चांधं श्डि ड्रॆष्व। भाद्रकोविगठि कर्पुक बूढे श्रेष्ण जोडदाखि जब्रिज श्त्र । शोशब्र गध व्छ ७ ८कङ्कपूङ रब ७ष९ गभविभङिमटेम रांनश्ऊि श्रेब्र भांद्रकांविभङि कईक वूड द झूठे श्छ, उांश इ३tण cनरे दाखि ब्रांजश्रृंत्र जग्रतश्न कब्रिtन७ शनशैन इश्ब्र थाहक । बनि লপ্লাধিপতি গ্রহ যষ্ঠাধিপতি, অষ্টমাধিপতি কিম্ব স্বাদশাধিপত্তির जहिउ छूड श्ब्रा श्रां★aश्कर्तृक नृडे श्ञ, अधक मै जभांशि*ष्ठि aश् भक्ष्मषिनखि कईक हडे ष पूख हरेक cकन छठaश् कर्दुरू झूठे न श्छ, खांश श्रेtण जांउदाडि शनरीन श्ञ ।

  • ४भांधिशृङि शर्छन्हांटम ७ ब्रदभीषिभडि मृथ्य शंदन शाकिरण डांशटङ शनि मांब्रकर्षिणछिब्र छूट थाहक, डांश हहेंtण छांड बाखि निर्षनि इब्र । गर्भ*छ *ांश्रृं«jङ् नवभांषि*डि बां अभभां१िशृङि रूईक दिबूड इहेग्रा भषिकशिअङि कडूंक यूख दt छूहै इहेtण छांखभष्ट्रक थमब्रहिड ছইঞ্জ থাকে । যে যে গৃহের অধিপতি অষ্টম, ষষ্ঠ ও দ্বাদশ স্বামে থাকে, সেই সেই গৃহে বদি অষ্টমাধিপতি, ষষ্ঠাধিপত্তি ও षांनंभोविनंकि अवस्थिक्लिक करद्र यदर ऊiहाँटख भां★♚इ यां भनिग्न इडेि षटिक, छांश श्रण जांडवानरू इ:र्थी, छकण ७ शमईौन इब्र { cष नषांशtश्व छठा अवहांज कदृघ्न, cनऎ मदां१

८*ग्न अदिक्षुछि दधिं श्रांङ्गकहांमहिक किश्वां मांङ्गकांविष्णुंफिडू CSCSLSCSCSCSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSLL স্বস্থিত যুক্ত হয় তাহলে জামহুৰ জি ইন থাকে। णधंiशिशृठि cबबवt१६ण वांकिटूब, cनदे मषांशषङ्ग अविश्वठि

  • * दक् िवांननं, रुई व चमटेम हांटब शिक्त इदेइ भांङ्गकांषेिनंडि

कईक झूठे दछ, जांश श्रेष्ण बांखबांणक वञईौन्न दहेत्र छांदक । णर्थोशिनंडि बर्छ, जबैम, कि५व चाँगभं इtमहिज्र इहैङ्गां श्रृंt*गश्बूड ७ बांब्रकांषिगडि कईरू बृहे श्रेष्ण जांच्यइश ब्राजब६°ीघ्र हऎष्ण७ थलहौम हरेब्रt भांहक । ( *ाँच्चtभद्रौग्न } श्रृंज६६ो दिवटङ्ग थोम्न सिक्कम*cभट्रु श८ष थांएक लिनकक, ८णांनंtग्न ब्रभांद्र छहइ इद्र । छूमि थन विवाब थांब, "७िछ इद्र नcद मांम॥ cशांशंखांटम इब्र निकि, श्रृंदर्ष शक्लिब्रl *tछ निशि । नां5 cनt१ शैड c*ांtब, शॉरण cथtण जांनज भएम $” (भम!) अभ ७ छtछब्र मनन इtप्न cब &वंश् शंiकि८ष, cनई अश् खांब्र १म यांखिंद्र बिबग्न ५१मां यद्विघ्नां हिब्र कब्रिटङ इहेरद । शनि लभ्रे ७ छरञ्जग्न प्रश्नंथ हॉरन ब्रवि अदइॉन काङ्गन, छांश शहैtण भश्च निकृषन ●iखं श्हेब्र थांरक । ईहि कक्ष थां८फ्न, छांद! हरे८ण थांकृ५म, शनि वजण थाएक, ठांश श्हेtण नंजब्र निकै श्रेष्य, बूष षफिरण बिरल्लङ्ग निको शशाङ, शूझ्न्wiऊि थॉकिरण बांठाग्न मिकछै। इ३८ङ, ७ङ्ग भांकिtण छौब निकछे एहे८ङ ७१९ श्रमि षांकिएण छूtठाब्र निकछे श्हे८छ ९म७थाद्धि हिङ्ग कcिख श्रे८क् । पनि णभ्रे ७ क्लप्छङ्ग अश्वम श्ttन cकांन &र न षां८क, ठांश श्रेरण 5ञ ७ शृtéiङ्ग प्रशंभांषि*छि aइ cम नषांशt* श्रदहिठि कब्रिटूरुन, cगहे ●रश्न ब्रांत्रिक जषि*ठि-ctश्ब्र इखि अषणशन कब्रिव्र शन लेभां★♚न कब्रिटद । ब्रविद्र नथांशcनं भवशिखि रुब्रिटण फून अधीं९ छ्थकि अब, प्रद4, **ब ७ 8दष बाषगांद्र अषणचम चाँब्र, ध्रुअब्र बयां६tणं प्रचहिछि कब्रिएल कृबिकन्छं, छणज अरयाब्र बjकणां, वीं ईौष्णां८कब्र जांश्वंtग्न थांकिब्र, मजtणब्र नवांशtथं थांकिरण थांडू ७ यूखिक-वाषजांब्र, अधिझिब्र, जङ्गबावना अर्थयां गांइनिक कॉर्षी दांब्र, बूषग्न नषांtrण अबहाँम कब्रिtण जिनिंदाशणां जर्षक किल्लकॉर्षी दांब्र, बुरुन्नंकिब्र मवांशtर्ण थांकिएल मछ्रवृक्जिकर्डब* यांचज बावनाग्न, 6गबाणकाँ ७ इंभिजाँछ अद्या षrवमाँ दांब्र, सुरक्लग्न नवांशt* , वकिtण ब्रध्न, cबोश्री ७ cभी बरिवारि वाक्न जवनवम बाब्रा ♛}द१ मकाँ१*ोथिं★डि श्रृंनि इहेरण बहनंब्रिथंभ, बश्वकई, डांब्रदश्न, नैौछक्न छ निग्नकदनां दांब्र! शत्र णांछ हदेव! पांसि । कईििवेथछि cष नवांश८षं थ*किरक्ञ, cनहे अररुग्न लभf ७ जखদশাভে প্রচুর ধনপ্রাপ্তি ও কার্বন্ধি হইয়া থাকে। । नक्स्था'िडि विब ऋर चक्रम करिण, बिरुहाङ",