পাতা:বিশ্বকোষ নবম খণ্ড.djvu/১৭৭

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Mummummamusmatumiditammtu वव्रेरकईन [ s१8 ] *) ৰজুৰ্ব্বেদ जच ॥-“éौङ्गः कैवेद्ग दांइ विक रूद्विरङ श्रेष्ठच, कांशरे লক্ষ্য। খুখঞ্চলে কত প্রকার লক্ষ্যভেদ করিতে হয়, তাছায়) चित्रङ नॉरें । cकन जब्रा ध्खब६ जूब्रिटठरह, ८कर वांछूट्चरण 'cऔफिाउtए, ८कर नूकांबिउ छtव वा१ भब्रिजांन कऋिज्रह, * *८कन बख चछि क्रटैिन, cफ्रांम मख भक्ति यूइ९ ऐङग्नॉमेिं छिन्न खिन्न • डका खिन्न छिन्न छेनांtग्न क्कि कब्रिटछ हद्दे८ब । किझएcगरे नकल बिक कब्रिtण झछकांर्षी हवेष्य, श्वश्रटिश खांहाँब्र खेभदूङ खेगप्शन मनख रहेक्राइ ॥ ६ष*~ोइन, थॉनषद्र ●ङ्गलि छांद्रि थकांग्न विछिन्न शरऋग्न छेहल्लष क्रद्विश८इन ? “णनगर कडूर्विष* cछद्र हिब्रक tद कणखर्थः।। छथतंक्षण९ बग्नछण१ ६२षनैौन्न६ फरमण फू ॥* हिब्र, छण, छलांछश w चक्रण sई छांग्नि ७थंकत्रि नक्र7 । aश८भ श्ब्रि जयश्च, हिङ्ग गक? श्रांब्रड श्रेध्ण गंथकां९ छजलक्रा, छांहां८ङ निक झ्हेष्टल कनांछण ५ीयर डांशरछ छणिक एहे८ण दब्रहण निक्र कब्रिएव । गजूष एकांन ७क श्ब्रि वज ब्रांषिब्र यांथनि७ हिछछttद्य हैंiफ़ॉरेंब्रां क्लरञ्च उिन «य कांtन्न भिक कब्रिएव । cमरे चित्र णक्रा जलाख शहेरन छांशएक हिब्ररक्षैो वण बांग्र । গুৎপরে জঙ্কুর ও তাহ অপেক্ষ কিছু দূরে ক্ষোৰ এক সচল शक शानन झब्रिहब ७ बिरज ठाँशंग्र जत्रूष रुिन्न श्रेब्र দাড়াইকে, স্থিয় ভাবে দাড়াই জাচার্ব্যের উপদেশক্ৰমে সেই शरुण एभशृ दिक कब्रिटब ।। ७iहेक्रन झचक्रवथ जांङ्गख इरेtण ठांख्नं८क छजहयवैौ कृtरु । षष्ट्ररीशैौ cकtन (gरू किब्र ब्रचणद्र छाग्निलिएक गांज्ञछद्ब्रहे झट्टैक दी चाश्वांtब्रांरूtणहे इसे क अम* कग्निदृठ कग्निष्ठ cवरे शिग्र नक्राणै बिक रूब्रिटब ।। ७३छन्। गरक्राम नाश sथांठन । श्श ७क जडूड बrांनाज । क्रण नचलद्दछन। छtण ब्रश्रूम श्रांब्रप्ड म* एहेष्ण uहै 5णांकण णक्रा अब्रख कब्र थाम्र नं। ८यथा बज्र ७ थश्षीौ ऊंछत्त्वहे त्यक्ण cबाश्र घूब्रिতেছে, এমন অবস্থায় ধাতুকী সেই সচল লক্ষ্য বলপুৰ্ব্বক बिक कब्रिtण ठtइtएक इग्न5ण दल ज्वांम्र । কোন ছন্তে কিরূপে লক্ষ্যসদ্ধান শিক্ষা করিত্নে জুইবে, এ जवप्झ भन्न पङ्ग शिधिग्रारश्न,-यथएम ब्रामक्ट्रक, अिग्न भक्रिण श्tरछ, ड९ण८ब्र छैकब्र क८ख ब्रt१ चांकर्ष*, ¢कtजब ७ संब्रिपठाॉर्भ कब्रिtछ *िक्र कङ्गिर६ । cष वjपिङ थश्वएथ बांधश्रद्ध श्रृंब्र त्यप्ञान्न अख्ााग कप्न, मिजरे डाइाग्न पश्९ख निरु वा आब्रख् थन मू१९ नंद्र दिवाए क्रुङक्लखन्त्रश्नांकाइज़ । 4वर पांभोः यएषांख्षी हॉक ब्रहः क्लक्झक४१" { bदश्नं★ीन कानूtस्टैंग ) • “णरशमानि कम्ब्रेक् क्लङ्कि क्राउ छु । गयानांछीछि रिजेक्लुक्लर्कीलविर्षोल्लेङ्क ४ (ऋछ4ङ्ग), इझ । बtषहरक अश्वश्ड दऐrण गभि१ दरख *बः• जिc** छखTॉन कब्रिह्म ॥ ९ञ६-रछ ऐल्लेखङ्ग हखकांहीं नच्चिtछ ● अन्न निtऋ* कब्रिtछ जॉब्रान चैौकtग्न कब्रिtव । अचिनं इड ८ष* पनांब्रख् इहेरण जोबाब्र दांमझ्खचाँइ भब्रिथम क्रग्निtव । क्ट्wिबठ; &कश्विक मांमक जीकर्द१ झिब्रां गच विवब खेडग्न थक1८ब्रहे जपछाॉन कशिtत्र । ३िनि दाँमश्रछ८क अभिन इtरडग्न णबांन कक्लिएपिछ भttङ्गम, ननिस्ट इtछझ भफ दोश्र श्gख ७ नोब्राहानि প্রয়োগ কৰিতে পারেন, ধন্থনি বোল্বগণ হাছাকে সৰ্যসাচী दलिङ्गाँ छाँट्ञन ! शिनगंकांटण ८वक्रt* ब्राचा हां*न कमेिरठ हब्र, cन नचरक७ डे°tनर्थ अttइ { wiांब १ग्न लिपिङ्गाँटझ्न,

  • উদিতে ভাস্কয়ে লক্ষ্যং পশ্চিমায়াং নিবেশদেই । অপরায়ে তু কৰ্ত্তৰাং লক্ষ্যং পূর্বাগিাশ্ৰিতম্ ॥ डेखरब्र१ गनां कार्षीयष४मवष्टब्रांषकम्। मteiष्ट्झ१ शिमीं गच्ह१ म एf$१ हि१fयूक्षम् ॥“

হুর্য্যোদয়ের সময় পশ্চিম দিকে, অপরান্ধুে পূৰ্ব্বদিকে tgब५ अरुtब्रां५कांtन लेखब्रएिक शक्रल हाँणन कब्रिञ्च शंद्रांडTांग रुग्निष्य , यूककांण छिझ अछ गमरब्र अभिगनिररू णभा रुङ्ग फेप्तिउ मtश् । असrनि कारण कठजूद्ब्र नभशश*न করিতে হয়, সে সম্বন্ধে এইরূপ লিখিত আছে-- "बडेश्रुखाब्र शक्रा cजाई शक्रा१ अकीरुिँउभ्। চত্বাৱিংশষ্মধ্যমঞ্চ বিংশতিশ্চ কনিষ্ঠক ৷” ७० पन्न भख्रका अर्थीं९ २8• शछ मूछ शक्रा शं★न कब्रिब्र विक कब्राहे उँउन, 8• थइ ( ०७० शांड ) जूब ब्रांधिग्रl cछन कङ्गां भक्षम भद१ ९• १श मूरब्र ब्रांषिब्रा विक रूब्रtजथन বলিয়া গণ্য । २s• शङ भूब्र गचा ब्राषिब्रां वाणथएब्रtण जडtांग कब्र दफ़ नश्क कथा मम । देहांशब्रिtई छश्वनश्वtद्र (द्यां८कब्र दाझ्षण ७ बप्णिच्न cरु' रूठ अधिक झिण, क्लtश्। "...ले बूझ झरेrफरङ्ग । - *ांश५ब्र ५क हां८म किशिमरक्कम, ¢ब टोब्र s०९ इtछ "धैjल थाहेtठ नांtग्न । u४शकtब्र नायक क्यूएरूछ भनe ८बां५ श्ब्र 8०० इङि शीघ्र नं: , कठवांद्र चाउTांन कब्रिtख हब्र, cन गचटकू७ ७रैब्रण डेन्cशश्नं चञाँ८छ्- 4 × “कफू:शरैल-क क्रांडtनां५ cव श् िणक्रार दिन्थátद९ ।। श्रूणिःङ्ग ष्ठां१७भ्रश्रि श् चिार्क1 चित्रां१ विश्५ ।। बिभरैड१िाम्।ि बृहै५fंf१ अत्रिं: s” cय भूर्लॉएडू ७ छ*श्रयङ्ग s** बांइ कछ दिक कब्रिब्रां कांख रह, cन लेखक ग्रइकीकैप cथ ७०० पौत्र छrीरभद्र भन्न