পাতা:বিশ্বকোষ পঞ্চদশ খণ্ড.djvu/৭০৩

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भेंद्ध1 ৰখৰ খঙ্গোলার সখের ও পেশাদাৰ-ৰাত্রায় বিশেষ প্রান্থভাৰ, তখন চন্দননগর ( কালম্ভাঙ্গা ) পেলাদারী বাজার ¢कथा झण झ्हेब्रा नष्क्लिब्राझ्णि१ तमा यात्र, 5न्तनमशब्र प। हूँझफानिदानौ खप्टेमक गर्छौंछक्क वाखि जे गबप्ध यूठाগীতের আলোচনায় নিযুক্ত হইয়া খেমটা ঢঙে নৃত্য छेइादन कtब्रम । मक्रम मांडेrब्र rङ्गछि उमै cणा कve 5मानলগরের সঙ্গীভালোচনার সহযোগিতা করিয়া ধাত্রায় গান, श् झ, एठाण *स्रुखि श्रेिष८॥ विखब्र षॆ९य्-णtश्च हद्विघ्tश्शिन । ङ९नtग्न गामिश?ौनिबाणौ cमांश्न मूtषीणांशान्न भै नाक निभt করিয়া কলিকাতার নাচওয়tণী মহলে শিক্ষা দিতেন। পেস্ট। आt5 ८बाश्न बाबू अदिउँोच्न झिप्णन । श्ष्ब्रब्र गच्न पि•षाम्ब्रम्न লঙ্গে নুতন ঢঙের খেমটা-নৃত্যে cशश्नषाद् विt*य कृछिद्भ দেখাষ্টয়া গিয়াছেন। তাছার পরে কেশে ঐ নাচ অভ্যাস कब्रिग्रो ८भा°ाण ७८फुग्न शिछाष्ट्रमा प्र-बालाच्न यदर्सिङ क८ब्रन । কেশে গোপালের দলে মালিনী সাজিক । কেশের মন্ত নৃত্যগী তপষ্ট মালিনী যাত্রার দলে আর দেখা যায় নাই। গোপাল সখের জল চালাষ্টতে মসমর্থ হইয়া, জগুগগুৰাবলার সঙ্গে পেগাদারীরূপে বাক্স চালাইতে মনস্থ করেন। তদবধি গোপাল উড়ের দল পেশাদায় হয়। স্কুলো বৈঞ্চব ওরফে ভোলানাথ পরে মালিনী এৰং উমেশ মিত্র স্বন্দর সাজিয়৷ গোপালের দলের খ্যাতি বিস্তাৱ করিয়াছিল । ঠিক এই সময়ে কলিকাতায় হাড়কাটা-পলিনিবাসী प्रक्र” नख कडूंक ५कऎौ नtषब्र झाजांब्र मण ऋानरनब्र कथा तुमt खाँब्र, ईfन ७ नेिझItप्रमग्न *itण1 *ाहे८ठन । 'दब्र२ घाब्रकনাথ ঠাকুর স্বরূপের গানের প্রশংসা করিড়েন। স্বরূপ দত্ত ৰেীবাজারের বাট ছাড়িয়া বিডন ষ্ট্রীটের ৰেখানে ৰেখুন কলেঙ্গের মেল নিৰ্ম্মিত হইয়াছে, সেইখানে বাট নিৰ্ম্মাণ করেন। विख्न हैीछे इछे वtब्र कtरण $ो दाग्निौ मछे र ७ब्रांइ ब्रांडा छ ऐल्लेख्द्र পারে পুনরায় ৰাটী নিৰ্ম্মাণ করেন । কোন কোন লোকের মুখে শুনা ৰাম, স্থ প্রসিদ্ধ “ৰিদ্ধাস্কার-পালা’-গায়ক গোপালচঞ্জ দাস উড়ে, কলিকাতাfमबानैौ v बैौब्रनूनिरए बfझcफब्र कृङा झिण । धहे दौद्रनूनि र थाबू क्रू जर्षयाcब १िञ्चाशमग्र दांखाग्न अण गर**न क८ब्रन । निबूफमियानी ८ङब्रवsत्र शणवाब्र * *ाण ७ भान ब्र5न। कब्रिब्राझ्प्णिन । गैोङ्गबाबू ७कथानि दार्फो (१र्द्धधान 4peace's Hotel ) ৰেচিঙ্ক লক্ষাধিক টাকা পান । ঐ অর্থে वा * छ८न । चिन जfनग्न बॉम नt७ञां इहे ब्राझिल । ८*श्ािण *वङ्न cशtन वियश्चाश्[िा "t५न बझि। १ुश्iह्नaझर्थौ श्रेtव, छाशत्र हेव्हावtड कीङ काबू छाश८क विछ1 [۹ ه. ] ধান্ত্রো प्रजग्न थाणाप्ने झाङ्गिब्रा cबन अक्९ श्रृंमब्राइ गण-भू%ामग्न •छ ए७क नश्व छैोको७ ब्रोम रूtब्रन । cनोभाएजङ्ग ए१छु भनिकाङ्ग *ब्र भै बग cगनांबाब्र हहैद्रा नरक । e o cभा”ाण वाद्धान्न अप्णय अधिकान्त्री श्हेदा देिीब्र अङ्गब्र •ाणाहे दिएक्षष नकछाम्न मश्फि अछिमङ्ग कब्रिटख शारक । প্রবাদ, প্রভুর অভিনেতৃজলের পালা অত্যাগকালে সে উক্ত সঙ্গীতাদিভে বিশেষ পারদশিভা লাভ কৰিছিল। উভয়কালে গোপাল লোকের মনোৰঞ্জলাখ সেই প্রাচীন গীতগুলির সংশোধন ও পরিবর্তন করে। গোপাল উড়ের রচনা ৰলিut शाश tभरन बर्कगाथाब्रt१ जाइरु, बिtब्र उाशत्र झहे?ी माज नमूना cन ७ब्रl cगण । हेहाब्र बाब्रा ४डब्रव बाबून कविभ-लङिब्र ७ ब्रक्लभांनtfब्र*ारürद्ध अfङtन नांeब्रा बाहेtड *itछ । कारण१ड़1-कt eब्रांलौ । “बिडेडाथैौ ब्रूहि शनि अविश्वानेौ माशी। cगाहांtनंद्र नाथdौ वtā वि८ध्छ्रमब्र कtछेtद्वैौ ॥ मांब्रौब्र पूखि नों १श काब्र, फेका छ ब्लिनर्नाङ्ग, নারীর পদতলে পড়ে আছেন ত্রিগুৱারি } মান ভাঙ্গলেন ভগবান মাষ্ট্ৰীয় পায় ধfর , नाब्रौब्र छ छ गैछक मtणl, ब्रांबल मिस्रैश्न हरणl, जामि कि उ दूकtव वtण, माईौब इण छछूद्रौ ॥* कारणtप्ला-कौ७ब्रांजैौ । “य! थtएक क*ां८ण मांनौ कानै थाहे 5tण । छाछtशां दनम जांचंtव! ७"s cषjiय ¢कनtब्र बtण ॥ • बिछाद्ध गाणि विग्नt#ी, श्रृंश्थ*ठाने অবশেষে সাজৰো ৰোগী, ছাড়ৰে সা প্রাণ গেলে ।” গোপাল উড়ের মৃত্যুর পর ভোলামাখ দাল ওরফে ভুলে ७ फेcमत्र भिङ्ग ऐंो •ाण! जहेछ। झुझेौि बरूज गण कtच्न । •tब्र स्नेहभट्त्रब्र मड फळfणिब्रn यांग्न । cभा”iण के८फ़ ब्र गमनभcग्न ५द१ मवैौम वादूद्र बिछाशन, ब्र श्रछिनtब्रब्र अरावहिछ •tब्रहे, वणिकाडाब्र विषIां ऊ ५मी स*চরণ সেনের ভ্রাতুষ্পর ঐনাথ সেন একটা সখের ৰিছাप्रश्नcब्रब्रमण गठन क८ब्रन । ॐ अcण यिषrाफ गजौफल ८माङम টাঙ্গ বস্থ ও গঙ্গানারায়ণ ৰঙ্গ্যোপাধ্যায় ছিলেন । মোহনচাঙ্গ DD DLD DBB BBBD BD CDSBBBS DDBBB BBBDS কবি ঈশ্বরচন্দ্র গুপ্ত মহাশয় গান বাধিতেল । এই সময়ে ধনেখালির নিকটবৰ্ত্তী ৰোগোগ্রামে একটা गरषब्र नन हब्र । ॐ ब्रएन४ दिछrहन ब्र *ांना श्री 8मा हईठ । जटेनक निब्रभब्र बाश्रृंमैौ थे गांtछेब्र ग़ान वैifथब्रn cबग्न । शाप्नब्र पाथन अउि sग९*[ब । निरन्न इ३tी भान छ६फ इश्ग ।