পাতা:ভানুমতী চিত্তবিলাস.djvu/২০৫

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శిy ভানুমতী চণ্ডবিলাস cगरे गडौजनवउँौ जबूढौ शक्रद। क्षिज`श्ङ्ग षभ षट्रेिड भषिण\\ চিত্র, নবীন লেখক আসি সুধীবর সনে। ' অঙ্গুরী চাহিয় তারা লৈল দুই জনে৷ প্রমকরি বঁাচাইল সেই প্রিয় জনে। দিলাম আঙ্গুরী তাহে গেল নিকেতনে। অঙ্গীর ভরে তুমি পাছে ও সারা। नश्वन क्षिकांश् ५नि नग्ननङ्ग उोंझ1।। * जनू धमब चांभांद्र शउिनप्रtज शूलीज। প্রিয়ার জদুীলয়ে করে হেলালীলা৷ গুণমণি গুণ কথা কি কৰ ৰাখান। রমণী রতনে পত্তি অতি যত্নবান। লম্পট তোমার পত্তি গুন রসৰতী। দিলেক অঙ্গুরী তারে তোষিল যে সতী। जउारेकज नउि८यांद्र अरज शंउ निम्न। जबूौ ब्राषित्र क्रन यांरउ बैंब्रिl॥ मर्थौजी. फिरखद्र ¢वांश्निौ क्लिाख न कद्र बैंक्लॉरें। cश्न श्डिरद्र कहा उरानूौमारे ॥ চিত্তের চঞ্চল চিত্ত কাহাতে পড়িল। छूषिान्निाइयूक्लेिख जणूी शब्रिज॥ भूखि कब्रि भूरे जtन श्रशूद्वौ उजिण। श्ना नरैश्ौ०ीरे चमूंौ नििश ॥ *ाङ्कद्र बांबारे जांद्र नांद्र ७भव१ि॥ जहीक्लिक क्षैप्रिrठाक् िपूरे धनैौ॥ अहेक्ष बकि मांद्र क्डू निषणं रक। जांभांङ्ग कदांग्न जांद्र मां कङ्ग ॐष्ठाग्न॥ बहूौ एणि मङ्गी श्tiविश बङ्ग। कहिरांद गोंद्धिं कम बांग्रैौ उांब्रां दछ।॥ । अन्; अश्नीं श् िछ्र इं । . ேே: