পাতা:মহম্মদ সিরাজুদ্দীন আবুজফর বাহাদুর শাহ (প্রথম খণ্ড).pdf/৯৭

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বহাদুর শাহের কবিতাবলী ہسپا एड्ड्छन् ड>ांच्चोंन्झ न्ज्ञष्ञ्ष्डि= =ांड्छन्ढन पेम अगिनि नित मोहे जराओवे याका भेद कडू का से पी ही पास तो जी हो ठन्ढा अपनी बिपता कडू वआा खे । रतिया गुजारू रोचत रोवत दिन को गुजारू आहाँ खींच मेरे मनको मोसेाँ न पुछ पुछ मेरे बिपता से । याही बिरहा दुरजन होचे याही बिरहा सरजन होवे ना छोटे या बिरहा मोसेाँ ना छोटेॉ में बिरह से नेन खुले कुछ औरही देखू मेाँदो तो कृछ औरही और कीव घाको साँच न जाने देरन्नी बात कडू जासे । मनके अन्दर पीया कलन्दर तेरे “जफर” आ बसा काम पड़ो जब वासे तुहारो काम रहा क्या दुनोया से । ব্ৰজভাষা ও খড়ীবোল নামে দুই প্রকার হিন্দীভাষা প্রচলিত আছে হিন্দী গদ্য রচনায় এবং বাক্যালাপে ব্যবহৃত হয়—ব্রজভাষায় কেবল কবিত থাকে। কিন্তু মধ্যে মধ্যে খড়ীবোল হিন্দীতেও যে কবিতা রচিত না হ’ ইহা বিরল।