পাতা:রামায়ণম্‌ - পঞ্চানন তর্করত্ন.pdf/১৪৩০

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i" i - - , - i. L. A து. $$38 והדחףאו - प्र७: नोउ९ बशसभीर तृट्रवाळ १िडौदना । জুড়ে বানগডং লীগং झिझिन्। মুর্ক্সি বদ্ধাঞ্জলিঃ মানূ বিনীতে স্বাক্ষসেখঃ ॥১ | दिठौद१मित्र१ दांकानशdहे ब्राक्zवाशङ्कवैो५ ॥ ४দ্বিব্যাঙ্গরাগা বৈদেহি দিব্যম্ভরণভূষিত । ब्रांचना१ि*५७ tनोबा नजार मरिकर, ब्रज । कानयरप्रांश् छज९८७ छéी १५ अप्लेमिझज् ि॥ ५० '्षश्रीि गअि१९८ष *ि८९ णशङि१ङ्पूञ् ॥ •• এবমুক্তা তু এদেহী প্রত্যুবাচ বিভীষণমূ। ७श ९व5म्९ अङ्ग द्वाद्दश विफौष* । জম্বাত্ব দ্রষ্টুমিচ্ছৰি ভৰ্ত্তীরং রাঙ্কসেশ্বর। ১১ पछखण्ठम९ अङ्ग अफ़्दाफ़ दिछौषनः । ददांश् द्रtcभाँ कडीt c७ एळख५॥ কর্বুদ্ধৰ্বলি Ա ԵՀ उछ उहठम९ अंङ्ग! tप्रथिनौ नंडिcन १७ ।। '.গুত্বভক্ত্যাবুও সাধ্বী অথেতি প্রত্যঙ্গাবও। ১৩ ততঃ সীতাং শিরাঙ্গাভ্যং সংযুক্তং প্রতিকৰ্ম্মণ। মার্থতিরুণোপেতাং মহাৰ্হস্থরধারিণীম্‌ ॥ ১৯ च८atof Pिि५ शौश९ श्?िxश्:िRIऽिरैठः ।। ब्रचरेनर्दहडिéक्षामाणशन विडोदनः ॥ ४८ -cन२िछिभश वशग्रांम९ सsङ्गानि शाममाहि७म् । এগতশ গ্রহষ্টশ্য প্রাপ্তাং সীতাং কবেদ্যুৎ ॥ ১৬ কামাগতামূ*উ্য রক্ষেগৃহচিরোধিতাম্। , ৱেবং হর্ধঞ্চ দৈঃ * রাখব: প্রাপ শত্রুহ। ॥ ১৭ __- - ---, জয়ন্ত সত্ত্বর অন্তঃপুংমধ্যে প্রবেশ করত নিজ রমণীগণ बाइ1जोपरक न९वान निरजन । *kत्र निरज नौ७ब्र . निरंtप्ने दाहेब्र, कृउअनिन्tझे दिनौउडtव बन्tिणन; -“দেবি । আপনার মঙ্গল হউক, আপনার স্বামী জাপাকে দেখিতে ইচ্ছা করিতেছেন ; সুতরাং ६छमझरन् च्छात्र क{द्रग्न। निशाकाt१ फूबिश्न श्देश्। Պs वरन अरब्रश्न कक्रन ” ७-५० । छानकौ । এই ৰখা শুনা বিভীষণকে বললেন;–“ঃক্ষিঙ্গেक्र ! चगमि त्रन न कश्ब्रिाहे चारोtक (रषिrउ देव्ह कf।” ऍीराद्र oहे क्षी उनिद्रा क्डिोदन पनिrनन ?--चांगनाद्र शायौ ब्राध बार चारवन कशिरश्न, चूभनाइ फारा अउिणानन क्ञा अिच्ि श्दैह्रtश्।” ९िऔषz*ब्र द व तनिघ्नां नटिएक्वज अकिरी नैोड न९िछछिद*उ; “फाशहे रखेक” थणिज़ चैौकtष्ठ कशृिणन । *tद्र नोउ जमिरख উলঙ্কগণ এবং অল দ্বার পরিধানপুৰ্ব্বৰ সুশোভিত৷ दर्दैत्रा कैकबांनन्नरवृछ निक्किद्र फे&िणन ●द९ दिडौषन ॐीररक ब्रांचन-यरां★न१कर्पूक कप्रेिंद्र नदेझ पादेछ जाभिरनन। ४४-१e | ತ್ವೇsssssಿ: फूéमू९५११९७:ब कां★ब्रभान प{दि९ ॥ २० বঞ্চুকাফাৰণত্বত্র ফেব্রুকু পাঞ্জ। উৎসরিয়ন্তঃ পুরুষমৃ সৰস্তাং পরিচক্রমুখ। ২১ • ঋক্ষাণাং বানরাণঞ্চ প্রক্ষিপনাঞ্চ সৰ্ব্বশঃ। বুদামু্যংসাৰ্ধমাণাদি দূরমূeছুঃস্ততঃ ২২ তেষামূৎসার্ধমাগনাং মিস্কেন সুমহানভূং। ২iযুনোৰঞ্জৰাসন্ত সাগঃস্তেব নিঃশ্বলী ॥ ২৩ উৎসর্ঘ্যমাণান ইথ সমস্তাঙ্গাঙ্গামাল। S DSgCSBDBB BBBD BBE SED সংখ্রস্ত জ্ঞাব্রৰীয়ামশ্চক্ষুৰ প্ৰদৰি। १िछ्ौ५१९ ३ शleवं'खं cशvिiलखिि५ ।ुः ॥ १े। | क्बिर्ष९ म:भनहण प्रिंथएज्रप्र चबा जब ।। ' नि १ड्रैः कांश् चरश्ांश् चच्रयां षष ॥ ५७ ন গৃহাণ ম যন্ত্রাণি ন প্রাকারাবিরঞ্জিয় । ८मनि।। १ीषण९३ङ्गि कूडमानि१ जितः ॥ ५१ t— হেন শুনিয়া, শক্রম্বস্তা রাৰ একুলে শোক-ৰূর্ব এবং cखएक शनैङ्कज रहेरwन । भrद्र चक्कण जोउाद्र 4श्व.किङ्ग दिएकी कब्रउ कुपिउf%क स्नेि दफ्रक DBBB ASDDDDSBBSBB BB DHHHHHS ऐश्रणरोtक मेंऽत्र अभ्tत निकरछे चानि७ -क्न।" | श*िकवद्र विशेरन ब्रामप्रवद्र च्; के कथा रुमित्रा न६१ नवणरक नाहेब्रा निर७ चrपन कक्रिन ८वद्भश् च दे कौषशशैौ र पूं'कनन श्रििक्षक नजिक कव्र७ श्रृङ्गक्त्र°एक चणनब्रि७ वf८७ जुन। उपन क्षक, शबब्र अ६९ प्राचगत्रन न*ि* दूध *नतन कहिल गानिन। ५०-२९ । एाशद्र अरेarन नक्रिल क्षाक्षिणि, १,श्रृंग्tश् च'ष्णाज्७ि मशश्रे' ण॥ উৰণ পঙ্ক উত্থিত ইল। খিচত্র সেই লেখাকে উৎসারিত হই। মন্ত্ৰৰ গান করিখ গেঞ্চি प्रागद्वषन रदेश, नraरिणि cरन दछ कई७ डोिक्कक ६९नन्। काि बन्धन “कि अङ चावाक भक्जा कशिा देशक्तिक व्ड़्त क्लिब ? !

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