পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/১০৪

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क्षिण, अशद अथाननबंगाथकि नासिका थानक बिक्रिर। इौखनात्क्व“श्वश्वनाश कभश*{‘ऋच्यवाद पबिकां अशनिच्) कदिखां* कबः श्लेशं* न ! थिकिफ षष्ठिांशेौ sकश्चि#श्वध्रसाद :छौ 8 निक-डtव वांछिद्राश्णि, जबँौबध्रकइ “ कथांन-अर्थम शूनकिख रेोश्नि । चाङ्ग बूत्रनदिक्6न झदि भक्र्डिन श्रेष्ठाएछ । चाश्न्जा tरे इहे बम भख्रिशान् कक्ति कौद्धिं फूनिरउ वनिशाहि । देशद्र थाइकिद्धबङ्गभरें sई "माश्डिा-नाशक-sब्रिडशांना”द्र ¢हमन्नरवद नशक्sि औदनौ 4{कॉनिठ इहेशं । कविह् श्रानन नद्रेिऽश् छैशह कांtदा शिनिक् । DDDBD BB BBBB BB BB BDDDD C যখাইয়াছেন--তিনি ভাষা ও ছঙ্গে উচ্চশ্রেণীর শিল্পী ছিলেন না, তাহাৰ কাব্যের কোনও অন্থনিতি স্বাভাবিক প্রেরণা ছিল না, গিাষ্ঠী कtशानांtळे दैiझांब्र! अङjप्र, फ़िनि वt#fभूक कांबा-नाश्छिा झहेष्ठ प्राणमनन गtrई क*िइ14शांनड: ऍiइtवग्रहे किंङ्गविानांश्भ कfध्रप्रांtश्न, उनि श्लङ डांबूकडाँझ भी छांनार्देष्ठा छणिzउन, हेछादि थरडाक $ख्हेिं बलान्-म}-ेन नििश् क्षिप्ता चैीहश् चाष्७ eftक्षि शोंश्* श्रश्नंणवॆ। कशाहका चौकांब रुद्भिशांtछ्न ¢१, tश्भ** $ाइt६ काँtश e कदिखां★ tांढानौट जाडौइउ+cरा ९९६ कaिाशिनन । तृशाश्नाश्न छैशर প্ৰভাৰ সম্পূর্ণ হ্রাস পাইলেও হেমচক্সের রচনাযুগ-প্রয়োজন পরিপূর্ণভাবেই [ाश्न रूहिक्कांश्लि । cश्5tअ* श्रट्नक काद!-कदिङाहे निडा कtणद्व tश्, क्रुि बूझिाइ उश्।ि क१मई झरणफ्नै नछ । (श्श्ष्य स्रेमविश्न छांकौ* cनशt६६ *ी िदाझाली. कवि, बांडलिौशनां★ गंकज tबांक्s4 ीशtछ क्र्सवान । cग-यूशद बांटार्नेौद्रा ♛हे कfar१ cश्धक्ष्वाक