পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২১৯

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* १. ' ' श्वमां श्ाणीवार । জাহাড়ে ধর্ক কৰিতেছ। তোমাকে উপদেশ দিড়ছি, লেখা ছাড়ি৷ बाe॥ थांशद कथान मा इोw, cनrर नशानांछक यशभrात्र छाछांद छाग्निर ? फांश कि cफांशांड नाच cनौशक्द्र दिव इश्व ? श्रद६ छ प्रेम गं इच् िभारि ना ? कि क्लि चर्षणक श्शनि GBB BBB BBB BBBB DDD DB BDD DD DDS DD হইলেও বলি, চেন্ন হয়েছে, এখন ইস্তফা খাও। জমেৰ উপায় আছে, क्वाड़ा ८श्नबस रुगो५ श्, चालमाइ७ रिछ श्छ। ऐशत्र अंश ७को BBBBB BBS BB DDD GGGDttt DDDtt BBHHDS -फांशनां९ फ cनष-भङ्ग शैठियफ कब्रिशांश् -८कश्म चलागভিৱিাত দেশে বোতল বোতল সভ্যতা ও জ্ঞানের জামানি করি দামান্ড জাভাবে (অর্থাং হুমিমা দেশের লোকের) নিকট নি निन नबिबईयनैन चाश्न जाछ कब्रिस्टक, भश्नाe नारेणाइ । अॉड्र७ লা আছে, স্বাৰান খানাৰ মূল গা না, প্রাণৰে ৰাও नत्रय क्रङ्ग मा, क्ण कथा, काप्च् मारेन कोशरक७ शत्रु मा। छाशद विक्रक cरून क्निाशै। क्वथाण गाeमा ? cन पकैफूछ श्छेक माँ देक-थब श्रेक्न,° कपास बिकि७-८उबाइ छ रूष श्रद! cहदcारि, उदयौडब्बझै क्ष चक्णश्न कब्जिा कि मा कमि ? कि ললিীেন ছিল নিমাৰােণাঞ্চল *ि* श्रीडs हरेण । ५क *क कशिश कउ कनिद? ५कल एन शचत्र नइनाइ भाrरु। «कांनघैरे छान म1शtत्र इक्रेि छनश ररेर “ ब्रालि अछाउ श्रेज। अर्नाबद cध्य इन।. क७कञ्चन कjक की की चाह नद्रांदर्भ कशि नक्न थक मिréर वाणक-बानिकांश केररुरत्र भो भाइ श्रेच् फ्रिा cनन। रेशदा निक्पन्नन वाध्य प्र, कन्करे.cरुनत नाण श्राप्स्य चच उगफ़ोक्यनाषबी नरेश श**