পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২৬৯

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• *. x cराrत्रबश्व दर 'कक्वानो अथक् गाथा अकानिउ श्इ-३७ घबरोइन २६° (°” fअनरब w**)। अकांनक्श्रrन अनवरांबूत नाव नाज बूदिछ श्रेष्ठ । 'क्क्वानी' कैबरे श्कूिनशाrथा वृषभज-बrन भनिनड श्रेण। ऐश ७उहे बनश्चि॥ इहेग्राहिण cर, बकवान नश्वांशगज बनिरफ 'क्क्वांनौपकरे सूबारेछ। क्रास क्णा भए प्लेब्ा इ कश क्रि पो प्टेशक्षदायू वक्शनौज नश्वर छात्र कब्रिtन ‘दवदागौ' cशtशक्षकtवह cमछ्रहे eयकाभिछ इई.उ पात्रु। 'क्क्यानौं' cशाश्ठध्यक्ष चञ्चउश् शैपिछ। কেবল বৰৰাণী কেন, ধোগেঞ্জচন্দ্র আরও কয়েকখানি সংবাদপত্র aछाछ कब्रिदाश्निब *७eणि-‘श्किौ दक्दानैौ,' बांश्ण देशनिक' e ইংরেজী দৈনিক গান্ধ্য পত্রিক টেলিগ্রাঙ্ক। গাছুৰি : একখানি উচ্চায়ে মান্তিপত্র প্রকাশও ৰােগেশচন্ত্রের পৰিকল্পনার মধ্যে ছিল। ১২৯৭ সালের পৌষ মাসে জন্মভূমি “বঙ্গবাসীর भशक्षांग छाद्रा aउि?उ” इं। ७हे शानिकभङ्ग थप्लोरङ्गश् सैंरक्षु गद्मक ¢क्षश् मृ५५Iांश् dईक्लन णिधिरू इ६ :~~ • স্বচনী।–“আমরা অনেক দিন হইতে একখানি প্রথমশ্রেণীর মালিঞ্চপত্র প্রকাশের কল্পনা করিয়া আসিড়েছিলাম ;-ক্ষারণ আমাদের ধ্রুব বিশ্বাস ভাল মাৰ্মিষ্ণপত্র ব্যতীত লোকশিক্ষা সম্পূর্ণ হয় KS BBBBB BBB DD DD DDS BBBBB S BBS ग** कशिा फूग। श्ऋि दाशरड निका जन्मूत्र श्, wरे कामना अञ्चन ब्रांशिक्षा, चांबद्दा बॉनिकशज टाकावीर्ष ●षश कब्रम ककि “ •ज स्रो', sक्-१र्ष जत्था (cोद-प्लल्ल ४७८६) शुरु 'चत्रकृ'ि क्क्वानो-काशगा श्रेख् अकानिउ श्रेराष्णि। रेशा गइ क्षेश इशोचदिङ श्, प्रद६ नव**ारकह ‘अग्नङ्कश्'ि भ्द छाज-** वर्षे (*७** आर-१०•चाबाक्ल)काब र कुक अरुउि रा।