পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৫৫২

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अशिङ्गिक-नङ्ग *ब्रिष्ट्रॉलच §t श्नब । कश्चिमक नाशश कब्रिवाह छछ विचिद्र atश्रण थॉर्षीब थांबलिक क्रशि}ि8 अौिद्ध झछ ? कृरश्च शक्रtशाश्वग्न कशिक्लिग्न नडा. बेङ्गृ श्वtश्चिम । ७ंश् झशिfश्च भ्रश्याः शूद्म विभग्न ८ु विनिर्क्ि LDD DDS DDS BBB L BBB BBB BDDDS BB BDDD AD क्ला:ि४ डिनेि श्डौिम्न भूअtरू ८क् क्क cल:थम, छोइोग्न भाषा होक्रेोहब्रम्न शिष्ठ छैोझोङ्ग शाकTांनान गब्रिबिहे झहेङ्गारक । ॐहां★ मिtrांकृष्ट अtथ ईष्ट प्लेड़ विनम्न नद्रिकांत छाम शॉइंस्प्रइ : হুষ্টায় তাহা কৃষ্টলে আপনার অধীনেস্বাধি। পাটল, ভাগলপুর, বর্ধমান ও উড়িষ্ক এক্ট কক্ষ BBB S BB BBBB BBBB D DHHHH DDDD DDDDS আছেন। স্বামীর বিশেষ জহুবিধ বোধ হয় না । ইন্টার । আর ইহার ভিতর আপনি এডুকেশন কমিশনের গুঞ্জ প্রাদেশিক রিপোর্টের পাণ্ডুলিপি প্রস্তুত কপ্লিয়াছেন , জামি শুনিয়াছি---ইঙ্ক প্রথম শ্রেণীর লেখt #াড়াইয়াছে : श्रांश् ि! कबिौिद्र ब्रिt*ाग्ने गचक श्थाठि हल्लेब्ररिक शबिंब्र! স্বধী হুইলাম। আপনি বোধ হয় তাহ দেখেন নাই । श्केंjब्र । ब| । फेझ fक cलय झझेब्रtइ ? कष्ठ वर्छ ? था।ि कङकउनि चल ७ुकलम कथिीद्र चङ्कप्याश्छि হইয়া গিস্কাছে , সমস্তটা এখনও হয় নাই। পরিশিষ্ট হইরা ১৫-১৬• श्रृङ्ख्या श्रेक् । ( 'ड्रक्व क्लब्रिख्', २ब्र छान्न, श्रृं ७०५ ) সাময়িক-পত্র পরিচালন कूटश्व विक्र-विशद्रक इहेथॉनिं शांश्ना नामद्रिक-नख नैौर्थकान विष्tशब शख्रिशः श्रिश्वांश्म ॥ ४ंलिङ्गं शिरश् शः:चं नििखड् ि+