পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৬২

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

लझैक्क्लु श्व खाँदा-जछि, ༤༨ अवtष बइब्रॉछांद भक्लिाउ ५कौं नॉयांछ वाद्यै:उ नांवड झई निक्कै८गाल भरिपिछ इंद्रा आवद्याण काकन। आशा राजाढ , नशा करकद्र बण भूहिशश cरुश् हिंग भा। - ॐहांtक असांश$ान थtन कब्रि:ग टैशिङ्ग ५हे ¢नश जक्झांड °, ििश्ड ध्:क अण चाहेन ! भाद्र ८शंश छैइच्न ७३ झर्रथा श्रृंइक्लिड, इरै अम्ल जोड़ल कहे इङ्ग । - सैरुक खोलद्वाञ भ;न करिण% छैाझाङ्ग स्थछि अर्थ श्रेष्ट्रक मl ; डिनि वtशहे कहे नाहेद्राश्tिणन । डि िअड'प्लान् श्झेम, आइ छजल्लाखारे हजेम, चडौिई tणांक हेिनन। ठिनि" कहे गाँहेब्बाहिरण५, ५हे बिभूिद्ध श्रादड़ा ठै;क्षर्क झाणशनि । छिनि झ्ुक्कमृ:९ ८नहे कहे जङ् कब्रिाप्टिजम, “हे अक्क भाथड्स छैइएक ठछि क ि। ( मू. ४०-५४) भावकैौनक : এক বিংশত গ্রামে একম ধৰ্মৰামু আৰু ৰাগ कािख्न ! सिक्रए१८ग क्षाथ अहे, ८न ब्राम्रा७ अहे, कषण पृश्९ • दृश्९ अप्लेोगिकीद्र इ३ ५:कन्नै छtार= **ि* श्रा:धूं ? कबषाबद्भ শেষ চিহ্ন এইরূপ–এণ্ড খণ্ড ৰ গুৰুত্বপ। উপযুক্ত পৰিণাম। क्रियाश्डिा (यक्र५ tिझ्वारुद्र ७क स्रष्टांक्ष बस्न थitछ । क्लि अब्रिह रुगिनाश्नड़ भङ्कतन अधानि बर¢भूठ काननकूशवब डां★ गछझ ? भूstवद्र छाइ शबश्इ ७ रिश्रदशानैः । भूर्भ# नेिकछे भकूढन दूधी । थकब्र त्रिकी ध्यक्ष १ि५ ।। क्जियार्मिष्ठा प*निःशगtब, चाब्र कांतिमान बिtब, tशकईल ? স্কুল । (পৃ. ৯) नश्रश, गाबाहे, कैनड, १ै, *श्व, मृक्छ, नकश t&tरूदंड