পাতা:হিতোপদেশঃ (লক্ষ্মীনারায়ণ ন্যায়ালঙ্কার).pdf/২৬৩

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३४६ ५ fहृतेनिदेबः ॥ चच बेशग्नाशहे सुप्तखखाः कुदृिन्यद्यहडारिखा पितकष्ट्रगठितबेताखख मूर्दनि रकमेकसुत्कृच्माले तच जुबेनानेन साधुना राचानुचाय रक्षं चहीतु यवः कृतः तद्दावेब बेताचेन नूचसचारितबाहुभ्धा पीडितः दब्राक्तनादमवं चकार पवादुत्वाथ कुद्दिन्ये क्ल पुच मखयेापकखादागतासि तत् शध्र्वरत्नानि प्रय चक्काकै नेो चेदनेन न धक़बैासि इत्थमेवार्य चेटकः ततोऽनेन स्व्बैरक्षानि लक्षयेिंताग्नःि चचायस्रषच्छूतसुब्र्वे खेोझासु समागत्य मिलितः एतत् सर्व बुखा राज पुष्षैश्चैीचे धनाधिकारी बबर्स् ितः षनन्तरं तन सा। বুদীৰয়ানাৰুছিয়খানি লানিৰ জম্বন্ধন। चनेाऽहंत्रवीमि खर्षरेखामहं खुटुंब्यादि ॥ ४ ॥ এ স্থানে বেশ্য গৃছে শয়ন করিয়াছিলেন সেই স্কfউনীর গৃহ DDBB DD BBB BB BBDD BB BBBB DDBBB এক উৰয রত্নখাকে তাছাত্তে এই লোড়ি সাধু রাত্রিতে উঠি ग्न भ4िनझेबांब मिबिरख बङ्ग कfब८लन छथब rजझे ८शङाँत्र কহুক সুৰসঞ্চারিত হস্তদ্বয়ের দ্বারা খুক্ত হইয়া ঐ ব্যক্তি মার্ক্সৰৱ কৰিল। জনম্ভর জট্টিনী উঠিয়া কছিল পূণ্ড মল রের নিকট হইত্তে তৰি আসিয়াছ গে সকল রত্ব ইহাকে ৰেও ৰভুৰ এ ੱਢ ছড়িবে না এ চেটৰ এই প্রকার ।