পাতা:হিতোপদেশঃ (লক্ষ্মীনারায়ণ ন্যায়ালঙ্কার).pdf/৩৩৫

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३९८ क्ष क्ड़्तॆिtषझंझः ॥' तदाहं तैः पचिभिहुंच् कथमकडूनै चरति इत्यनि धाय राज्ञश्विचवर्णख समीपं नीतः ततॆाराज्ञः पुरीमंा श्रद्श्वॆतैः प्रणम्य खङ्गां देव षबधीब्धैतंी । एष दुष्टोबकः यदखाद्देशे चरझपि देवपादानधिचिापति । राजाह काऽयं कुतः समायातः । ते ऊचुईिरखगर्भनाचेो राज इंसखानुचरः कर्पूरदोषादागतः। चवाई थ्धेष मन्त्रि खा पृथ्कलच मुख़ामन्तीति मथेर्क सर्वशाखार्थ पारगः सर्वज्ञेानाम चक्रवाकः। छत्रेाबूते युज्यतेखदेश जेाऽसे ॥ यतः॥ खदेशजं कुलाचारं बिशुद्वमथ वाशुचिं मन्नुज्ञनद्यसनिनं व्यभिचारविवज्जैितं । श्रधीतयव हारज्ञ मैाख खातं विपर्धितं चर्थखेात्पादकचैव विद ध्यान्मनुिषडपः ॥ चचान्तरे शुकेनेोक्त देव कर्पूरडी पादयॆालघुद्वीपाजब्बुद्वीपान्तर्गताण्व ॥ * * * * তখন অরে मूके জুই আমারদের স্থানেতে চরিতেছিল ইহা কহিয়া পক্ষিরা আমাকে চিত্রবণের সন্নিধানে লইয়া গেল BBBBB BS BB BBBB BBBB BBBBBS BBBBS KBBD কনিয় কছিল হে মহারাজ অবধান করুন এই দুষ্ট বক যে BBBBB BBBB BBB C DDBJYB BBBB DDS BD0 রাজা কহিল কে এ কোথা হইত্তে আসিয়াছে জাহাৱা কছিল হিরণ্যগৰ্ভ নামে রাজহংসের অনুগ্র কপূর্বদ্বীপ হইতে খাসিয়াছে। অনুষ্ঠর গুপ্ত মন্ত্রিকন্তু ক আৰি জিজ্ঞাসিত হই