পাতা:বিশ্বকোষ চতুর্দশ খণ্ড.djvu/২৪৭

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* & . - -حماعمگ ബ কাৰি ৰায় সেই মঞ্চগুলি জডি হুদরঞ্জাৰে স্বলজ্জিত ইৰা ब्रश्णि । ब्राजी करन दूङ दाब्रांतूबरश्नाडtब्र निवजन कब्रिह गार्टाहेtणन । पृषाकांtण मिबङ्गिछ वासि*१ थानिद्रा मझबूझ দেখিার জন্ড উপস্থিত হইলেন। কৃষ্ণবলয়ামও কংসদূত । अङ्कङ्ग कङ्गीक निमन्जिङ श्रेब ८णाकूण श्श्रङ कश्मागरी चाश्रमम; कब्रिहणम । जtण गटन बकcशानांशिs मिथजिङ झ्हेग्रां মধুমার আদিলেন। তৃভামাভ্য ও সামন্তরাজগণে পরিবৃত . श्हेब्रा दब१ ब्राजा कश्ण यवः अछाछ गब्बाढ वर्षकशं५ भल्लभूक দেখিবার জন্য স্বয়ম্য সুসজ্জিত মঞ্চোপরি উপবেশন করিলেন। ৰখাসময়ে মল্লছসূতি বাজিয়া উঠিল। রণরঙ্গে রণক্ষেীয় । निनांदन भन्नशरणग्र शमद्र शैव्रब्रtग फेकौनिफ इहेण । श्नाब्र ! cवलङ्कषाद्र नजिकड इहेझ बनष्ट्रश मग्नश५ विनूण ठे९गttश् ब्रजछूटम थ८दन कब्रिण । ५हे गभद्र झकदणब्रांमध थल्लझन्नूछि खनितः। भूच cषि बtङ्ग बब्ठ श्रश्च चथtश् ऎश्रमैौड एऎकाशम । श्रेष জাপিৰার সময় তাহাদিগের বিনাশের জন্তু কংলেঞ্জ জঙ্গদেশে ৰে बननख इडौ ब्रचिन्छ श्झांब्लिन, छांश८क निशङ कब्लिब छांशब्र इरे किनाण नख छtक शं★नशूर्तिक कृकवनबांभ श् छाहे शूरू cभविtछ चांनिप्लन १ छक्न कज्ञइनङ्गश्र cनहे अनाथांछ ब्रा-- লাবণ্যপম্পন্ন ভ্রাতৃদ্বয় সৰ্ব্বজাতীয় দর্শঙ্কের নিকট ষে কিরূপ अङ्कङ-शूली नृत्छ गषिउ श्हेब्राष्ट्रिप्णन, काश डाश्रवहरू अडि प्लेजङ्ग छोट्य डेल्लिखि एश्लेब्रोप्छ् । फाइब्र ७को cश्चोक यहे

  • ময়ানামশনিৰুণাং নৱৰত্নঃ খ্ৰীণাংশ্বরে মূৰ্ত্তিমান গোপালাং স্বজনোহসতাং ক্ষিতিভুজাং শাস্ত স্বপিত্রোঃ শিশুঃ স্বত্যুর্তোজগঞ্জেৰিয়ত্বেৰিন্থৰাং স্তম্বং পরং যোগিনাং স্বাক্ষীণাং পদ্ধদেবত্তেত্তি ৰিনিক্ষে রন্ধং গতঃ সাগ্ৰজঃ।” * - f 't જાન ૦ગઢથી ૧)

ङ्गक्रवणब्रांभ झ={क इहेछ* श्रीनिग्रांझूिरजन । किछ कtrनब्र চক্রান্তে গুহাদিগকে চা" মুষ্টিকাদির হিন্ধ মল্লযুদ্ধে ব্যাপৃত श्रेष्ड रहेन । चावाङ मझश्लूछि बामिण । अन्त्रश्रम्शब्र श्रुकांप्द्र बनङ्गभि कैंनिन । गर्नकम७णेो हिब्रटमtण ब्रश्णि । च्षम व्यूबा बडि क्रक चाब श्रृंख्य्कड गश्डि बगबाब बन्न যুদ্ধ জায়গু ক্ষঞ্জিলেন । ছন্তে ছকে, পদে পৰে, ধক্ষে বক্ষে,

  • छेक्रएछ छेड़छ, बढ८क नषरक गब्रचक्र शङ्क”tब्रङ्ग वांछयजैौ- | ,

पाङ चाब्रड इश्ण। "ब्रिजम*, किंtभ", "ब्रिब्रछ, थदनाङम, উৎসপক্ষেপথৰ্প, উথাপন, উৰন্স, চলন, স্থাপন প্রস্থতি थविर थकं★&ञरे मनग११हत्व थियिद्भश्द्र भूक कविड গাগিল জপন্নয়ন্ধের পরঞ্জা","টক প্রভৃদ্ধি কসের <थाशबन्नक्कतनधान्त रुणभिधान भाष रö। मिथ t २e१ ] o - -o-o-o* इमाग्न छनङ्ग भर्ष eयंख्ठ झ्झेण । भू-भांशा, cठांग्र१ ७ i°ङां- | 繼懋 মল্লযুদ্ধ r ਾ जवानरर कश्न भवः ज्यौह बाइगन इक বলরামের ক্ষে হইতে জৰাত্তি পাইল মাi *** এই উপলক্ষে স্ব ৰ জীৱন গির্জন করিল। 3. ** মহাভাৱতে উল্লিখিত আছে—যুক্টির যখন দ্বার जालन्न जारबाबब कब्रिप्च् भनश् कछात्र, उषन अनिरु মগধীয় ब्राजा जब्रांनक८क छांशद्र <aवाब भडब्रांब मप्न कब्रिडा शर्कखचफिजटम गर्फीटल छाशरकहे निषन कब्रिवीब्र गइब्र इव 14हे गकब्राष्ट्रगादग्र उषम श्रछ cरूॉबबग बूकाणकब्र१ वरन ना जहेबा उँौत्र, जैझक ५द१ अ4म यह डिम रीज बांगक्ट्वाभ यत्ररष DD DDDS DDB BBBB BBBBBB BBBD DDD ॐांशत्र निकले बूरुब्र यखाद करब्रन ! अब्रानक केनष*ी दाकि. ब्रां७ यूरु नयउिगांनशूर्कक चबर औरमब गश्छि दाइमूहक अङ्गड इन । कार्डिंक यांtणब्र अभन जिम एstद्वांबद्वै फिधि अग्रक निम अनांशज ।। ५हे १िम क्विांबाज, जरिधाड cषांछडब्र आरब ब्रूक झनिण । भब्रनिन जब्राक्क ब्रपल इश्व हि। उषानि झटकब खेरखबनाद्र पूरू थमिश मा ॥, cनtछ sएँ. ह्क , उँीब जब्रानकएक दिनत्रैौण्डitत निरफ कऋिणमt wहे . बूत्रु cकाम चञ्चावि श्रीड र मारे। अरे चछ श्रांडु बाक्ष भषा । जहांगारूक द्रुङ्ग गइ जीव्र खाम्लाङ्गु . সংখ্যক নরপকি ক্লদাক্ত করেন। " ... . . आफ्नै श्रृङ्ख्याशाहिएक “श्क्रण अज्ञ० कन्क बब्राहकबुदङ्ग१ गाम्ला बाब। श्रृष्णि महर्काको अथाम कूरु बनिद्रा भगा रहेड }४: दéवणि अफझ० खाब्रङबार्दङ्ग नानोश्रन मल्ल" ७हे मल्लयूक बी. अलऔफ़ अवर्णन कब्रिवः षट्क, छाडङ ब्द्रि dगिढ़, झडाश्न ७:चाप्बब्रिकाश् िविकिडू, cनtथe wहे अन्नपूरु बा मझक्रसैwांत्र अङ्गाँव महे । w -

  • इब्राप्नब eiौन गवृक cब्रानब्राप्जाe : वज्ञकोक्राब्र বিশেৰ স্নায় ছিল। তথাকায় কিলোসিন্ধান নামক প্রসিদ্ধ बनवप्क¥ीमायकांप्द्रब्र कौफायदर्शनैौ रईत्रा गिशप्झ । હાણ ভিন্ন ভাস্কার বিভিন্ন সম্বরেও এম্পিৰিয়েটার রচনা করিয়া छत्रप्श बहजौड़ा रहेर ॥ t६मानcरष।]. - इदूब ३ष्णt७७ अङ्गकोौफ़ाब्रभज़ाबहिण न । उथाश यशङअङिदनौ नाशक दूषण श्र च प्लेयाक्प्ल नब्रणब्र गड”tब्रब्र প্রতিম্বৰকে গাখসমূহে ৰিন্থৰ ক্ষস্থির প্রগরিলীর প্ৰেমাস্পদ : श्रॆश्चन ।।, श् चक्षींष्ठुण-इष् हांश् चाणड । श्ांश्च ज्वानीकिन्तु भनिन्त .िकक्श के पिछल्ली

शृण्ण इंa’६.एषष्. )هيويتهم وليبيا. والعتمة(