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পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/১৯৪

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- भाचक्षाँ ** § कन श्रेष्ञश्, *२४१भानश् शकि बॉन्न cबdद गझनाक्चति श्रt ऐउिशश *१es नानन •७ कच्न अंकां:िइौद नॉर्षरसँौं शानूनां क३ि । छौभनथून चांगाब भूर्कभूक्रवद्र नवा हरेण थांबारश्द्र वांनष्मद कक्न श्णि, cनशत्र चावाप्रा नाकबम पच्,ि निश्च् ५क निइराष्ट्रज (cशङ्ख शंश)८नपान कर करिज्न। गिरे कादन cथाdद्र ऋष्ट्र एथनांtरू चांब वैौदकूरब कांक रहेण घा।“छश्रणभूत्र পড়িতে গেলাম। সেখানে গবর্ণমেন্ট স্কুলের সেক্ষেও ফালে ভর্তি হইব, ক্ৰমে ১৮৬৩ সালের ডিসেম্বরে এন্টাল পৰীক্ষা ৱিা ভাগলপুৰ ত্যাগ कब्रेि । वैौजङ्गबहे वाक्ना निषिrठ थांबच कति । छत्रणभूरत बावना निषिदांइ ऋषीन हिन न, ७%, भक्लिकाव। किच् ७भूोण भौक पाँक्णात्डई शिश्णिाश्। cन एकक्ज बाँइकुज पनिएउ झ्रेरद। cकम मी फधब *{स दांत्रण किडूcनषः इश नारे । 3. 생 अनूीण भाग कविदा कनिकांठाऱ caनिtछणि कांश्नरज भग्निरल cभजात्र । चारण कथन७ कनिकांछ cबर्षि बांहे । कणिकांछ निहा चाशंद्र नौज कान श्नि मा, क्ब७ छण श्नि म। श्रfबान भrबरे कलांर्निण ईणिकह कबारेहा इजणैौ कtनरज चानिणनि। . ५. चांबि चावग्रहे चणन । नक्की-अमात्र चोबांद्र थाः एव ब1।। **** नरनद •नाइशैश भूबांद्र नवाज़ दी भांनिशा थांबाब थक्न अद्र एव । । चक्षशब्रन बांटन नईौकांद्र नबध्न शृर्वीच चांभांड अद्र । कांटखरे शृङ्गां दरेंन मा। छपानि नवॆौचर्ण विणाश, शर्षोंबिषि ८क्ण श्रेणीब॥“८क्ण दर्देशः इव ररेशश्नि, गयe श्रेशश्णि। इभनी शप्नव चार शिशि cनंणां★ मो। कनिकांचाइ निद्रा बगै-ऋ* छर्डिं हरेलांग । शै हांब

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