পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫৭৫

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శ్రీది कार्द्रेब्बरो पूव भागै अपरेद्यच्च कुतोऽपि समुपलब्धद्वत्तान्तस्तात सहाब्बया सह बन्धुवर्गेणागत्य सुचिर छताक्रन्दस्त स्तरुपाये , अभ्यर्छनाभिञ्च बद्भोभि (१) उपदेशेखानेकप्रकारे , सान्त्वनख (२) नानाविध , ग्टहगमनाय ( ) मे महान्त यत्नमकरोत् । यदा च नियमस्माद्दयवसायात् कथञ्चिदपि शक्यतॆ व्यावत्तयितुमिति निश्चयमधिगतवान। तदा निराशोऽपि दुस्त्यजतया दुह्रित्टस्न ह्रस्य, पुन पुनम्या विसृज्यमानोऽपि बह्णन दिवसान थित्वा सर्शीक एवान्तदह्यमानह्रदयो ग्टहानथासँौत् (क्ष) । गते च तार्त तत प्रभृति तस्य जनस्याशुमोच्तमात्रण (४) छालन्नता दशयन्ती, तदनुराग क्कशमिदमपुण्यबहुलमस्तमित लज्जममङ्गल भूतमनेक-क्ल शायास सहस्र निवास दग्धशरीरक्तः बहुविधं नि यमशतं शीषयन्ती, वन्य`श्च फलमूलवारिभि (च) चपरदरिति । कुतीऽपि जनान् समुप नब्धgतान्ती ज्ञातमदीयवान । क्वताक्रन्दी विहितविलाप । तख्त रुपाय इस्तग्रहणादिभि । थभ्यथ नाभिरनुनय । इय महाश्वता भखाइयवसायात् व्रतावलश्वनाध्यवसायात् कथंचित्”पि कॆनापि प्रकारॆण ब्यावतिथितु निव`तद्धितृ न शक्यते । निरुोऽपि मम निवन्तावाश्ार चितिोऽपि । (क) गत इति । चश्रुमीचमtā ण क्षेश्वरूाश्नु जजित्यागेन । तस्य जनस्य पुण्ड्रौकस्य सम्बन्धः । तस्य पुण्डरीकरय अनुरागैण अनुरागजनितचिन्तया क्लशम् भपुण्यानि पुण्यविराधनि पापा न बहुलानि यखिन् तत् दुख बाष्ठुष्यादिति भाव षतमिता विनष्ट। लज्जा यस्य तत् विक्तवशधारणादित्याश्य धमङ्गलभू* सव षामेवाशुभस्वरूप -بی BBB BBB BBBBBB BD DS DD BB BBBS BBB BBBB BSBBB BBBS সকল সুখই অসমীয় বিনষ্ট হইয়া যায়—*হ স্থিব বুঝিতে পাবিয পি- ও মাতাকে গণনা না করিয়া পরিজনদিগের সহিত সকল বন্ধুবৰ্গকে পবিত্যাগ কবিয়া বিষ্যমুখ হইতে মনকে নিবৃত্তি BBBS BB BBBBBB B BB BBtg DBBB BB BBBBB BBBB DDK S BBBB অধীশ্বর ও অনাথ প্রতিপালক এহ মহাদেবকে আশ্রয় করিলাম । (গ) পরদিন পিতা কোন ও লোকের নিকট অt iার বৃত্তান্ত জানিতে পাবিয়া মাতা ও বন্ধুবর্গেব সহিত আসিয়া বহুকাল পর্য্যন্ত বিলাপ কবিলেন , পরে হস্তধাবণ প্রভৃতি না বিধ ড iায় বহুবিধ সমুনয় নানা পকাব উপদে ও নানাবিধ সাম্বনবাক্যে আমাৰ গৃহগমনেব নিমিত্ত গুব তব যতু কবিলেন। তাহাব পর যখন নিশ্চয় বুঝতে পাবিলেন যে এই উদ্যম DBB BBBBB BB BBBD BBB BBB BB BBB B BBB BB S DBB BB BB BB BB BBDD BBB BBBB BBB BB BBBSBK BB BB K BBB DBBB থাকিয় তিনি শোকের সহিতই গৃহে চলিয়া গেলেন তখন সেই শোবানলে তাহার হৃদয় দগ্ধ হইতে ছল । (ক) পিতা চলিয়া গেলে আমি সেই অবধি কেবল অশ্রজল ত্যাগ করিয়া সেই ব্যক্তির gBB BBBB BBBB BB KBBS BB BB BB BBBBB B BBBB BBB BB BB ಶ್ಗ লজ্জাবি7ন সবশের অমঙ্গলস্বরূপ এব নানাবিধ কষ্ট ও পরিশ্রমসমূহের (१ / बइभ ! (२) प्र रसान्त्वनश्व । (३) ग्टइीगमनाय । (४) दवस्य क्वतै अशृ#ीचमात्रकैश !