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পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬৮৬

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वधायाँ कादम्बरोसवादसग्रह । 4ձ* विनिगत लोहितांशुजालेनाञ्जलिना देवमच्चयति देवी कादब्बरी, महाभल्लता च सकण्ठग्रहेण कुशलवचसा, पथैस्त शिखणड़ माणिक्य ज्योत्स्रा खपित ललाटेन च नमस्कारेण मदलखा चितितख घटित सेोमन्त मकरिका कोटि-कोणेन सवाल कन्यालोकख, सचरणरज स्मर्शन च पादप्रणामेन तमालिका” (ब) । सन्दिष्टच तव मच्हाश्व तया-*धन्या खलु त, येषा न गतोऽसि चक्षुषीर्विषय (१) तथा नाम समचत भवतस्त तुहिनशीतलाखन्ट्रमया दूव गुणा विरहैि विवखगझया इव सष्ठता ( ) (भ) । स्मृहयति खुलु जना कथमयि दवोपपादितायामृतोत्पत्तिवासराये -یہ حجیتے۔ حیہ --۔ (ष) चब्र'बौदिति । च ख्रामयि षुक्षति ख्य यंतौति तेन कीमखानामङ्गलौनां विवरंग्यी विनिगैत लीडितम्। थ ग्रजाल करतलकिरणसमूही यस्य तेन देव भवन्तम् अञ्च धति समानयतीति सव व सम्वध्यते । सकण्ठबईथ मययागिशनसहितेन । पर्यस्तस्य शिरीनमनाल्लश्वितख शिखण्ड़माणिकचस्य च ड्रारब्रस्य ज्योत्क्षया प्रभया खपित परिच त ललाट य चान् तेन । थितितीन घटित स्य प्ट सौमन्तमकरिकाया सौमन्तवरि मकराकाराभरणख कोटिकोण भयमागकर्दशी यधिान् तेन नमखारेण सकलकन्थालीकथ । तथा चरणरजस पादध,क्षे अमेग सईति तेन । भत्र थश्य यतीत्येकया क्रियया बहनां कत तयाभिसम्वन्धादुख्ययोगितालडार । (म) सदिष्टमिति । धन्यत्व छैतुमाइ तथैति । भवतस्तै प्रसिद्धा गुणा कपादय समक्ष ६न्द्रमयाञ्चन्द्र नियन्त्रा द्रव तुनियौतलास्तुषारवत् शैतला आसन इदानीन्तु विर६ विवखनाया सन्तापकलात् सूर्यनिष्यत्रा इव श्रद्माक सब्बता प्रतएवदृशविरहसन्तापाभावादेव ते धन्या इति भाव । अत्र द क्रियोत्प्रेचे एका च शुसीपना ¥यतासामङ्गाद्विभावन सङ्कर । (म) स्म ईति । कथमपि द वेन भाग्य न उपपादिताय सन्यादिताय यखिान् वासरे श्रद्धतीत्पतिरासौत् तद्यै -w ٧-م ٦م *م۹ میــحي٧ -امر سر - محمد مر --مر. .--م--م میه .م. هم میبا সারিকার গণ্ডস্থলের ন্যায় পাণ্ডুবর্ণ তাম্বল শিবের মস্তকস্থিত চন্দ্রখণ্ডের স্তায় বৃহৎ একখণ্ড কপূর এবং কস্ত রীর অতিপচুর সৌরভে ম না র চন্দনাগুলেপন। (ব) তাহার পর কেযুংক বলিল “কাদম্ববীদেবী কোমল অঙ্গুলিবিবর হইতে নির্গত রক্তবর্ণ কিরণজলবী চূড়ামণিম্পর্শী অঞ্জলিদ্বারা আপনার পূজা করিতেছেন মহাশ্বেতাদেবী প্রশৱলিঙ্গনের BBB BBBBB BBBS BBBS BBBB BBB BBBBB BBBS BBBBBBBBBB BBD BBBBB BBBB BDD BBBDDB BBBB BBB BBB BBBkDD BBB কস্তাগণও সীমস্তের (সিথির) মকরাকার অলঙ্কারের অগ্রদেশদ্বারা ভূতল স্পর্শ করিয়া নমস্কারদ্বারা আপনার সন্মান বদ্ধিত করিতেছেন এব তমালিকা আপনার চরণগুলিম্পর্শের সহিত চরণে প্রণাম করিয়া অৰ্চনা করিতেছে। (ভ) আর মহাশ্বেতা আপনার নিকট বলিতে বলিয়াছেন যে, “সেই সকল লোকই ধন্ত, আপনি বাহাদর দৃষ্টিপথে পতিত হ’ন মাই। কারণ, আপনার গুণগ্রাম সমক্ষে চন্দ্রনিৰ্ম্মিত বলিয়াই যেন শিশিরের স্থায় শীতল ছিল , আর এখন বিচ্ছেদেব সময় স্থৰ্য্যনিৰ্ম্মিত ৰলিয়াই যেন আমাদের সন্তাপজনক কষ্টয়াছে। (ম) এস্থানের সকল লোকই অমুতোৎপত্তিদিনের স্বায় কোন প্রকারে, দৈববশত সঙ্ঘটিত (१) धविषथ । (९) छता ।