পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৫৫৩

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¢ौि-फॅ१ि, y७७७ [२४५ छाँ, : ११ ماه، و بیمههای مخته सीात् भूत{न तििन्नः। 4रं सन (*४.१); ডায়ার পর স্থায়ীর শোনাল এবং শাস্ত্রায়নের गश् द्राक्षा इंग्लिश ऍश शैश् िऎञ्चन। शू षांश्चाशिक कांक्शन रेल्%र्सशः शूक ",ि घर ऐझा भरुन, नौः शैः श्रेषु शक्षिीण रिझ१ १{ष्ट सैरे श्छ गरे िि गझिझ्न Jर गरेि ११ गांउ रुझिन। ट्रांझौग्नि कीज़ गिाउ8 क५ ग्लश क्लेिशन न|| रायिश्५१%ि, र रुन साङ्ग झएिक्षऐश्रा डीि कस्मि। এই আট বৎসর বয়সের গ্রী নেতা আৰু দক্ষিণজোর Jक छ?...... १ाक् स्था रुरि अिलिन। क्छि ऍशब्द घ्नाः षा लिन। *ि शून्, स्ि fাগুী সোণী ক্ষেই শিবাজীর এ পর্যন্ত পান্ত रुाि७ |ुन गई; प्रिस् ', 'ररु श्रृंह श:ि iिइन। एांशं; १ः, ऍप्ल: छाए श्शेछ এবং সৈয়দ আলি, বিজাপুর ও গোলাকাণ্ডার স্থানা মূলের ডা শিবাজীর সঙ্গে মোড়ি গায়, তা দ্বীৰে মেকিং ঐ বান্তি श्झेर। ििन गण द१ट्रे रशिक्षक ििशल, "fiাড়ের মা এক মুহূর্ডের জুমুণ্ড বিভ্ৰাম ভোগ १|ः १, ६११|{१ २|६ शर हेतःि शशंक्षिप्तानां উংি কি না।" ( ; ) दिक्षु १५-रिश्रहेि ¢क्लउ श्राष* ७ङ्गए १शैश{! पश् िषटिश sष्ट्रौ९लए रिए जरौ शून्न जर रामिश्रु कलिन। ७१७, ििन निष्ठ १ण যথাসম্ভব লোক আৰ্নিাড় এবং শিবাজীর শঙ্কগ্নিকে ऎ१िए रतििप् नातििन।। १ीः (*श्ािः षां ३;tा:ि शाश ििन शृगाशढ़ रवि श्रेक tाष्ट्रीय शहर, शशिर र शिश ि মোৰে গো "মারি নিী १iते शिशै; (गैल षश्श ताि छ शृशश क्लॉगिन। धक्षिाः शंतनै विििस्8 6रे श* १ऽ (ग१ रेन। रिश, रांगदर्शन, झै सिद्धिार्सिकप्ति देिी तःि तििबहा' नि (, झे रतां शैति %ाम्रभाविि% श्ञान वा गैिपिन षश्श स्झ (*सरा ऐझा (शगै{ात्रः ছোট ছোট সাগর মূলপক্ষে আনা দ্বন্ধ कलिएझ (उ१शनाः ििशै (फ्रागै निशग शंश्रौढ़१शन श्रेण। नििौरु, ताि गता गिरीशै (रीं गतः। পাঞ্জলি ডায়া কিয় "দিল্লীষ্টার নি तिन। पृष्ठ घांश्ल १, १ फ़्छन १९:ख ३१ t॥ा १ राशै द्वा8 क्लिग्नार शिरण गरेराः ॐ शा? इंग्निन। प्रश्न मानक রাষ্ট্রপঞ্জেলো ক্টোগি (कनtशन हर्षाशैर् अंश्लकेशन श्रें। আয়ার পর দ্বিগুয়াকে বেষ্টি ও গ (श्रीन श्रेन। िि१ि अग्ननग्नरें ग्रनग्न गर्शक কাল আর বাশা আর তাৰে ীি ীে যার লি না কিনা, এর বলি নে श९ िशः स् िअिफ्ना पिरे गिी (संश्लेन। ढिझम्लाि यिक्ष गरीछदेि' ५३९रि िगिइd ४१तौऽशु iगरेरनि বসমিল্লা বাশাগ্ৰং আর্টিরী ताि बतानि जल् हिस् ताि ऎन। द्रौ रसे निश् िईशा ५ी औशिर कई बा षषिा:धूनई शेरु षष्ठश्रेगपूर शंगल আন্তর বে। বুঢ়া শিবাজীকে গান্ত বর্তি श्रेल देशः शारौंग्निशाकरें0-काशी नर्म स्त्र त्रिा:,गल् शराः षां शतानि नििर्दैत्। ५इछ इश् िछि एिर, १९ रण*५ ស្តាំ রোমারীরস্থা বোন্ধ গুণ্ড আঘাত বলি। छष शांईरान,३ निछ ििक ििक्ष् १ि अस् िश१ि तिरुनन। राक्षर राष्ट्रराः स्थगैि६# দে এল আর রিড কৰি कृशा श्रि श ६ौगः सन्न श्र' ं किं त(,तिां नि,१ी षह निे रतःि