পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় পঞ্চম খণ্ড.djvu/২২২

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পঞ্চণ সংখ্যা । ] কুমারসম্ভব। R)డి

  • कि हांम्र वियब्र «थछि म८खाइ cछांमांब्र अखि ! मा जानि cना उनवर्डि । কেমনে আও ৰে क्बिारहम्र शूरड1->iब्रां* एछब हांप्ङ विष्टव थब्रt छूजश्न-वणरब डब्रा' निनाकैौब्र छूरज ! (७७)

e “फूभि निरछ बिरबध्ना कब्रि' ८कन cनषिइ नl, फेडरब्रब्र ५ ८षांखानां मांनांहे८ब कि cब्रৰধুর হুকুলৰাল আঁকা বাছে কলহঁাল, জার গাজিনপাশ ভিজে বা রুধিৱে ? ( ७१ )

  • কুলে-ছাওয়1 মেজে‘পরে সদ। যে চরণ চরে— চলিতে-ফিরিতে ঝরে আলতায় আলো ! • ৰেড়ালে শ্মশানে এসে ছড়ানো মড়ার কেশে, জরাতিও ছেন কে, সে ৰলিবেক ভালে ? ( ৬৮)

“अछूक्लिपङ ५ब्र *८ब्र कि चां८छ् दणइ cमांरब्रভূমিও শিৰেয় ক্রোড়ে পড়িৰে সহজে ! ८काष1 फेब्रनिजइछि श्ब्रखिरड ब्र८ब कूछे,’ তা’ না ছ’ৱে লুটোপুটি খাৰে চিত্তারজে ! (৬৯)

  • आरब्बक मजांब्र क्षl, cनांन ८णां कनकलङ ! नजब्रारज फूमि ८कौषी नाजिब्राणानिरक्छा' नl, cठांब्र विप्ब cनरब्र' बूफ़ी बैंॉरफ़ छफारब cब्र, মছতে ৰে তাছ হেরে’ মুচকি হালিৰে ! ( ৭• ) "निमाकौब्र गश्वान वथन क८ब्रह जान, डषन ऍछङङ्ग जांब जङिण cनांछनlइदिमण ननिकणा ठारण जांरभ ८ण विकणl, फूनि७ रहे८ण मणा जनउरजांझ्ना ! (१०)
  • উপ-জাখি ৰপুখান । ফুলেৱি ৰ কি ঠিকানা ! चन पड <भ८इ जांना शिकू-वन८महे । - cणा वृनमबना, व८ब्र cणारक पा’ वांछना क८ब्र,०

खांशांछ cष cएन एप्न किङ्ग cणनं cनहे ! (१२) to कछा छन, बाजबन, दिशा छान निज, छगलिहाँ *ांप्रव कूण, जनरब विटिके ॥