पृश्ांक्षा বন্ধ ভাইলে দেখুলনলাজ লঙ্গে সঙ্গেৰ ज६ इsछांद थां८क मां । नूझव उर्षम यूख जर्षी९ रक्षण श्म। जङ्ग जषञ्चवर्थिछ एउक्लब डिनि च्षन चौइ क्विन चसोरव ७यछिडैछ"वंोएकन । मृनैौ (बी) इनि बाइबक९ डौद्। [ इनि प्रष। ] দৃশাক (ত্রি) দৃশ কৰি ঈৰন্থ। দর্শনীয়। “স্তোমং রজার हर्नौरू९ ।” ( ककू ०२१॥४०) ‘इनैौकर नर्नर्मौद्र' (नाद्रन) দৃশ্যে (ঞ্জি) দৃশ কশ্বণি ক্ষেত। দর্শনীয়। "শেঙ্গে মনি जभिरुः ” ( थक् ५०v४११) ‘हcभछः म*मौबt' (गांद्र१) দৃশোপম (রা) শায় উপমা বৰ। cश्वेउछान्नु। (श्रृंकबोजl) मृथ (जि) इउण्ड हेखि झुभ-कश्वनि कान्। १ जर्मनीब्र । २ भरमाँग्नम । ७ जटैषा । 8 cजघ्नमांज, eथकtश्च । “এই দৃশ্যমোঃ সংযোগে ছেহেতু: ( পাত" ছ' ২১৭) • প্রক্ট ও কৃষ্ঠের সংযোগই খেয় হেতু জর্থাৎ দুঃখের প্রতিकांब्र१ । अडे, आचा ७ शृङ अषीं९ अख:कब्र१ uरे इरेरब्रव्र जशrयांश्न थांकिtणहे झू:थ ऎ*हिल इब्र, cकवण झूःथ नररु, प्रष, झ:५ ७ cयांर थ नभएहे जडःकग्नरभग्न दिकtब्र । चूंकि अशा या च्यखtशब्र१ देक्षिप्र नचक चांब्र दिवग्नांकांरब्र ७ श्रृंथ झःषनि आकांtग्न भब्रिगठ श्वा भाज ठांश रिलङि दाब्र coधांज्झग श्द्र । श७ब्रां५ *ग्निनाम वडांव दूकिनच या अख:করণ পদার্থটা দৃষ্ট এবং তৎসন্নিধিস্থ অপরিণামী চিংশক্তি छाइब्र जडे । - দৃত ও দ্রষ্ট। এই দুয়ের যে সংযোগ আছে जर्षीं९ ५कौखांव शहेब्रा अtिइ, ईशहे गश्गांप्रैौ बौदग्न झ:र्ष गभूप्रव्र बूण । "প্রকাশক্রিয়াস্থিতিশীলং স্কুতেজিয়াত্মকং ভোগাপবৰ্গীৰ্থং ,*कां★ण्डांश जच, क्रिब्रtश्वक भज● (سده t۰) و ۹و তন্থগুয়ের প্রতিরোধক অচল স্বভাৰ তম, এতৎ क्लिब्रांचाक छूड ● ऐछिद्र हेराइ एउ । *क्ष छिद्र ब्रिबृछ अभएरू पांश किङ्क नग्रन cणोध्द्र इव, সকলই পৃষ্ঠ ; ইহায় সকলেই পুরুষের cछात्र ७ भगवर्ण अवांमार्ष जेमाङ जांtइ । नच, ब्रज, ७ ७म ●हे ७भजनांचक थकृङि ७ छइ९°ब्र «य किङ्ग कूठ cडोलिक cन नकणहे शृक्लबड़ cछाcभन्न ७ जनदार्थब्र निबिड काब्र१ । खरे इछ जविश्वकौब cछात्र ७क् विrस्कीव्र ८मांक्र eयनानार्ष डेशच् जारइ । [३शत्र विप्नव विदद्र१ अङ्गडि cनथ ] দৃশ্যকাব্য ( झै ) काषाविrभष, cय कांश ब्रनगरद्र नग्नेशन कडूक aबनिड इज, डॉरप्क् पृथकवाक्प्र ! “ह्छबवाचाखएक्न ग्रन: कविाe विकांनछ१ ॥ इ७१च्जलिनङ्ग उत्क्रयाप्ञागाउ.ब" to , * ? (नश्डिान" ७२१३) “. . . . . ¥ÍIÍ [ હન્સ ] »ዓሉ® }; * * • कांक इरे अंकांच-कृचm ७ अद, वांश् चखिकैछ-इद, " खांशहरू वृक्षकांदा करर । देशहरू गांचांद्रन cभाइक झाल्नेक कtर, क्रुि नांश्डिान*१ ●कृछि जणकांत्र भारञ्चद बडांइगांtइ मांझेक नृङकांएषान्न ७क थकांइ मांब ।। ब्रषांणरच मी गं१ cष दृष नूचक जछिनइ कद्रष्ट, जकणहे इश्चकरषान्न नरश चचडूछ । cष माझेrनांक , इडकtरवाई eथाक्षत्रक्रम, फोश्। छद्रज्र भूनि कर्पुक ऋडे हछ । अिऐकल कथिड जांtइ, डिनि ®श बचाब्र निकी निच1 कब्रिह नकई ७ जन्म८ब्रांशंवदृक किंचl cनम । क्वट्य ॐश *छणिछ हदेब्रॉरह ॥ * भृछकावा झरे छाएम विज्रङ क्रश्रक ७ खेणझणक, ऐशंन्न भाषा ब्रनक नश्वं ७ष९ खे°ीब्रथक अडैनिर्ण ॐकांछ । छनक- ,
- मांछेकप्रथं७थंकछ१९ छ[*वrांtब्रांनंणचक्काँकड़ियाँ३ ॥ * छैशंभूभांकवैौषrt ७श्नमनिखि ब्र”कांनि नच ॥”
উপরূপঞ্চ— *मांछैिकांtखाँल्लेक९ cनांéी लडेक९ मीछेrब्रांनक९ ॥ (धन्हांtमांल्लां★ा कांशानि ¢éथेजबानर ब्रांनष९ छ६ ॥ जश्णाणक६ औअनिच्९ चिल्लकक्ष विज्ञानिक ।. इकईझिक थकन्नकै शब्लौहली छांगिएकछि छ ॥ अठेन्निभ थांहग्न-ब्रान्कॉनि भनैौयिर्थः । श्मि विार्थश९ जरकॉषां१ लग्न नॉड़े कक्काडर ॥* ( ગtf Rints નશ૧૮૧૭) नtüक, थकब्र १, छां१, वrाँtबां★, नमदकांब्र, ख्रिष, बेहtमृर्भ, जक, बैौथा ७ यश्नम आहे अभविष ब्रथक । नाशिक, cबाüक, cणtछ, गप्लेक, मt¥Tब्राणरू, यशन, ऎझांगा, कांदा, ८७थजक*, ब्रांणक, मध्लां★क, औननिष्ठ, भिन्नरू, बिजtनिका, झईन्निरू, अकब्रनिक, शन्नैौ* ७ लांनिरू uहे जडेविश्व थकाग्न উপক্ষপঞ্চ । इष्टकांप्राइ बtश माध्क गर्स अवांन। रेशत्र गन्न ८गोब्राकि बिक्ब१ श्रेtछ श्रृंशैउ अप६ किछत्रश्श्व कवित्र मनःकब्रिक हरे८व । देशद्र लांब्रक झूत्राडब्ल. छांश वृ*छि, ब्रांबकरछद्र छांद्र चटगोकिक क्रमशानस्थलब्र, ५ष* Pौड़दकब्र छांब cवबद्ध रहेtव । मूंबांब्र प1 शैब्राव देशांइ *षांन ब{मौब विदग्र । जछिखांन-लकूखण, बूब्राब्रचण, cवीनशदाब्र, जबर्दब्राथथ aयकृछि नाझेकम्ब*कूल * *क्ऋ*ज्ञ श** नारकत्र छाय, ८क दल हेशश्च गम्भ ननांtअत्र यज्ञवि ७ c८म-विदग्नक वर्दन थाकिम्ब ! अरूज१ झ३ अक्षर्ने छिड छक ७ गईौ{। छक अकब्रtगड मांशिक cबलr *कxगकीf DDDBB BDD BD DBBBHHD DBBBB BDD का नहळद्री । , aयकऋणद्रः मांबक नैप्चब्रः छां★♚क ६***