পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/১৫২

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ואף זג उछनॉर्षार्तितांश् }}} 'ुर्गौ१ीता हि तिानि ौि ति हरेण। वां★१फ़्ष्ठtा दशमांश्न गात घाशी ¢त्नं निग्। गांवीन कां श्रिांतः श्रान{१|नेकानि शिन। ३ानां िि,-षां, ति ति॥१ेी्तः षांना? ४ १शैठ स् िशिक्षा ब्रांज बांशशेरु মেরে ফোন, সেইদখোন আগে বা হয়েছিল তার যার গড়েছে! वीं निि,-ति रिशन! ५ षा' स' रुं न। 'गर सि िश्न? -ঘূৰি আন কাকৰােঁ আগ্রিনে জা গন খাটা করব? মোমলে গাছ এক্টগোরহ বলে আমি তোমার সাঙ্গ চলে একটি। g --তাড়া করে। ডোর গ্রোণে জছিল এমন কথাত আমি বলিনি। -अरशिा छ ! -মুগান। আমি কোন আশর নেই বলেতো নীি আদি। স্বগানের আশংবার ভোকে গাদ f --বে স্বান কৰে। কে বা মোৰ বৃক্ষ कििशी ज्? ििनराननषशासकांगून ষ্ট্ৰে। উদারউপযুক্তপূরণোটি। -१ँां छ (लीना हनॉ। ५नि (ितः। शिका १ां७।। --তারপর আপনি যে বিয়ের মা পড়ালেন যে কি fwj] -ृिशंसं हरंति; क्ष१ी गतःि सूतः शिंशतःि वॆिदितःि((७।। -श्न तु गा' गांशतः १ङ्गर्, ५: (लाला श७ शंकूर न। to so बी११ धांत (कॉन क्षॆ कगि छ। शक १ी क्रांत प्ल रीढ़ रात्रा भइकांग्ल, एां নীলগি । ৰাষ্ণ ৰন্ধানে নি, ীেনা ४। ाि ,ि एं रार्क प्लेगूसा कई *गिाििर। रथिा बां१ि। कारण(शाः - , וחוי שוויחNi) उत्प१ीका पेंश१ाबझाज्रु ,िशािा(साँप्न स्।बिशसाग। भारु तांइ घांश् । दशमांश् रगिग-अंश। भारः ११न बांगूर एशन कठेक क्ञिानस्मृज्झरना। हिं निशि। वीु निि,!ि !ि! খিানে তিনি বা দি शैक्ल शङ जिग। बवनां५ प्रतिान गान (कांनी रुष तिग्,नेतरश्न एलीलान निशि। ভাবিতে লাগিল। নেকড়ে পুঁত লাগিবে বলি ব্রাহ্ম। একান বালপো দিছিল, সেইখন দ্বড়ায় ৷ ঢাকাবিলিনি। ছিল এর নীেরা এখন আর $क् (ोकाः अग्निाइ, क्रुि dरे (लोक-शाना शश तःि श्रे। (्र! {सी॥१ तिङ् ना श्ौ९ तिाश्। तिर् हि दशन्तः शत्र स् ितनां श्रृतः। शश १११ ि(क्श (ििन ! शंश्क रिश् कग्निश् शंशं स्ॐ छछि (कनtा घाइ! (कझ गान (शंश भूवैज् वक्षांश शूश स्ि क्षिशि; इक्षनानि षीनिरि शिश्न तिारे ७ ७शन : सन छर्गिक शिांश्जि। घश्क़लन घांनशं? रेशंदू धर्मक भां★ति भक्षण श्रेष्ठ १ीत .{, गिर-नां का गतःि(गोलकानि। ििह ति॥ नै्र *िप्रश्; ५ नििरा तिारं षातः १ांशा क्छक वक़्नीर्ष त्रिांश् कशिंश् (गरे र ति श्रु॥ লোক। ব্রাহ্ম দিছিল স্বান জ। দিয়ে १:ारे उदक्षनाशक शारे अर्थशन का श्रेशशि, षांरांति ष१ानि; वांशरेल नःि शति। एीारी। रि} शन सनिग्रहे एांति गीतः प्रतिित हि श्रुतःि। ऐन, शाऊ शॉी ऐ**? राह श्ठ कौत्रेण। গ্রিাণো আদা পূর্নানো ऎ'ा, धनि गझ अवनी एांशतः गौता नोत्। स्थिरे। बझार शािि,Gज़न कशिन। शि नीं न रुप्ति औसत शङ्गरे। (ग। ५क रैंकि ििउdोक चांनtाश (गना। , tाrाशक्ति ऐगूका शक् िऎझा शि