পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/২১

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মধ্যা] भितांशैः षघ्ा १ वैर्षR रई-आकांक, निर्ङ कति बांग्लाः बांग्लश: १न रामॆलन। हिाशैः कृीन७ङ्कारिकातः शि १ षज्रांप्राप्नौह नांश् १{रु (* श्रेउ (शांशं ?रेण। ऍशं★ निश्शंगाना ईश ; थाई। शि"िशांश्शै १:"गांश िdशी झना रांग कानन। ऍशं; বড় স্বাণ ছিল, বেং গাছের গাড়া পর্যন্ত নয়ন गि िगिर। शी तिीि निक्कै ली षांश् १ीलिन। निनाश हं, भग्न १ििन निवः ऐ%११रि छ िि वश्ली प्लेि शंउ ।ि মেনিড়ে ইতেছিলেন, এ মা বলে দি ডায়কে शशरे। रेश * श्रेष्ठशिीषशास्त त्रिल dरु (ज्ञांशं निरुज शृंज्ञां श्रृंग्लिश५ोंक्ऊिन। . শিবাজী লিখিতে গড়িতে নিতেন নাকিন্তু তাতে ऍश, कल्शि नारे। शांत्रि, शरेष्ठ घालैौ क्{ि ट्रि-छांनाऽ dरे ख्निक्षम दौॐ द्रांशं९ निंतूक ছিলেন। যেমমটা "বিগ লোকই দক্ষিত। एनत् तिन ।। {नििरु विारि षठर ऐंशं भुषाश वस्तु तिि:१ो, वर्षप्त কাৰ্য্যদক্ষত স্থা করে নাই। কার, শিবাজী রামা शंऽब्राउ; ; dरः श्रृंह}" ९ शैई शर्मा শুনি গ্রাচীন ভারতের জ্ঞান ধৰ্ম্ম কত কাব্য-কাহিনী জাম্বা পান, রাজনীড়ি, নীতি, রকৌশল ও শান নিশেখেন। যেখানে কীৰ্ব স্ট্রড গোনে তিনি शरेऊ ७त एक रे शगङ; (कम तिि স্বাণী বা মূলানগীর আগমন ইলে তিনি ঠা शाइ १ि छरुि (शरेऊ dर ११ ऐ** गरेऊ। शक्रे शिा ४ार श्न ऍशर ग५{ ভাবে লিছিল। ११ (वना कि भाई शरिभ्रष्ञ१ रशि। ३. शांग गर्श ७ ४२ क्षेउ २१ शहेल अंवत् ६ तिष्षा,शतािनां भार्गे' ष{\रुीत _

  • १lमैि शंतःि 'हिन' (infinitirं) मिीणा, ि अ१शंक्ष'।"####* 04त $झा (बर्षकालानां) शक्र, गाठ (बर्ष निी iाएं) ‘शांत 4ा कि षft**ीक मा*िगर।

ণেধাগদি। আরাগাং ৫ গ্রা বলা হয় (,१|{क्षी दानाौि भारत-शी तिं कृत्वा বারেট। কিন্তু এই আশা গ্রাৎসিং দ্বিাণ अरिषर शशाह बांश cारांश ५'शरल भर शं★ मा, घानरु शून '(१,' 8 '(नई' *त्र शांत १्रए। ऐं षौि वज्राश् षणाग्,ि षणिसीतः १ा षड़िाक, धान उशाह शंग्लशनि १ीज़ इसे नशिांश्; औ; पंतर्दृशं ?जै; ऐअशल। dरे गैफ़गा िश्रेष्tश-रक्लषन्नस् १शष्णाषा ऐाइ, अशा ऎ १ तनहीशषता र; বড় বোড়া চূড়ান। স্থান গোঁড়গা বান আজি গাছের ডা স্থা গাড় ও জাপাত্ত लिरांतू १५ रक्ष रुद्विाह । এই আবল প্রদেশের উত্তরাংশে কোলী নামক এক প্রাচীন অলভ্য মুম্বাড়ির বা, আর ক্ষিণাংশে মাৱাম৷ মান দানশীল্গুি গাড়ী জড়ির ক্ষত্রিত আছে; তাদের আকৃতি বালস,

  • स्छूि १शtर्शनै-श्न 8 स्**। ७१; शांठग

६ ९ शतक, धरः शक्शिण; प्रष्टांशु शून शेछ स्॥ ११। भारत का भौढ़ रन ि ु| 钱 iাজী বিনাশ নিজের স্বীন আনিলেন। অনেক গ্রাম মণ্ডল শোগুৰে হাড় বলি; মায়ার षरांश श्रेन शशाह शुछ रिमाण कतिगन। dरेग्लश (गरे ष$ज़ *स् ि8 मूर्ध्नि शंउि श्रेंग uरी शरण ीनि ११ (गिरि धतिौ १तः षरं ७ (गरुरान का; इसे शीघ्नरेन। dरे शश्न (* शेउ विरांशैन गर्रुथ १शंज्ढ़ि bछ, षति, क्षन्न ऍशा रागर ९ षया पशष्ट तृ१ि १eा ििश्ल। देशं गाई रांगक क्रिांशै किशाह रन-बक्रल ९ १र्सए, जौशैः ४ ऐशशशं प्ति (रज़रेष्ञ। शि.िक्लश्रे सो ि७ घेर्दगै झो ऐौला र ... ९ • শো ীি ীিভাবে নিন। ৱািৰী