পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/২২৪

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

grafi] শিবাজী ও আয়ার্থ ארb क्षा ७ रुणा अिस्था गिरुई गिन। শিয়ারী সেনাগড়ি আবান্ধীনো ঐ দেশ ঘটিকার रुगििरजशशु घाँझ्शाश्झौउनै%ुर रौ रुजिन पर निराहौ निरु (छांjन ऐ"शब्द-ऋ* *"शेगिन । तिरुवितांबौरकिौ स् ि५क्रां.ि शांत कांक्षि रगिगन्,"षांश! घांशांक १ इति श्रु झरेऊ, एार स् िशश रिश श्रेष्ठ! थांशंitशकां९ भूर श्का श्रेष्!" हेब्रु(शौरु शरगि छााि प्रिश्रु रु िप्रांस र घज्ञा-गाउ छि%ा अंशह१षrा किो जनषांत्र १ी"शेनिन। गरे एशरैशgरु ष्य शै-षतिग्रसन्नषांकरी श्रेण। हेशः १र बिराम्रै रुग१ ७ ब्रिजै ऐल्ला शांझौठूर्ण झश्न कनिन (? छांशौ, yet)। dहेका ऐक्ल-(रूँरुन १ज़ रुर्तिा क्लश क्रि দিকে কোলাবা জেলার কিয়দংশ অধিকারে আনলেন ५र उ१ी षनरु हूं निीं रुणिन। कलां, ऐझ "{ौकस शप्त ठरल सार्ग १ लू रु,ि बिराम्रै घिि। शूर्ण शउिल घछ। গাড়ান। আর, ক্যাণের নীচ ষ্ট্রে গুঁড়িতে शंशंक्ष निषः कति शंका (गैगनां, गुड़गांख् করিলেন। (8)

  • ४tv गृीता चै१ङ्गळां षक्षिप्तिौर नििणि স্ট্র দিলে, উনত্রিপুরাণটি মূল বন গালৈ। মীজাণ্ডাংশে ব্যিক্ষ লোক,দ্বার प्रीषशंछ वर्णैौ गति वज्ररु (उव 8 किठां, मूहिए प्लक्षदां{ी कांगाशेउ लांगिन। 5ांिित षरांश गरशीर श गि fो गिर गनि। गिरोस् रुम्ला क्न क्षेल(, ऐंश शिशै%ास् १* षश्न। ठिनि ऐक्लगित-“क्रिांप्रांशांत छांव*ं । षीनां एाशंस गांशं तिष्ठ१ीतम्, षांशाः षश्च ग्रीवां निरन न।"

ॐन निराशैः रिक्षbा 'नागराष श्रेन। ीि आ सि। भारै शाषत्रिा प्रण মধ্যে একটি গানের বিড় রাখি দিলে,-“নি এই शूद (न७ श्रेष्ठ ¢षण्, (करण शिर्मरे रे रिज़ गिा गरेरन र ऍशास्रौढ़ाव र१ि स्न झोरा' घांरह औ(िशास्-रत्नै;), ऐश१िथांश्वग१; रिवाणूनांबा ४१॥(औ७झा; पूगा श्रुि १७ जूष शिक्षाप्रस्रांत रौद्गर ९&ष्ठख् ि(शरे शनी षईन तिानि। ििनि१ानातिां (५ বলিউট্রাইলে, এমো বলিনয়ে,ঘোড়া ऐ* र१िस्प्लिॉरे शिर्म क्रिाशैस् १शांए समिि शैक्षि गरे। घरिन। क्रि उ शूदा शग ब्रांक्गालंह चर्ष७ (गांतरण रघ्नरे रशिा ािइ। शंकरे षांश्शन गृश एवं शशं★ घषाशै; tरनै bछ *निजहर ऐनन। uशिस् त्रिशंक्वौ षषाःाशैर्गृहे ए * शबॉक्षा (रनै, एांशः ऐशन (नारु रनिए, शंरगैक्काशगऍशन घौन्नश शंबा शर्ण१ाष्स् िक्लाइ। इष्ठ ईरान गरगै झाकणार्गरिशभूताप्लांशी शारे ऍशन (रएनाछनै श्रेशश्गि। श्रा रिशंभूहा गिौश घाँस्छन ििसि,—‘शूफअप्ति गिरीशैल कूशांशा रौ रुज् िति" (एशीति शेषांक-स्नि कििष्क्षणो रन हरेःाइ।) (t) घाश्वन १रिवाणूः श्रेष्ठ १श३(गांव ऐक्षत्ि षfगा रे शाऐ गर्सथ शै{ पूगशभूत औहि। (निरतःि प्रागैतःि धनि। वीणा f ៩ ខែ តុះ ចូត្ ति शिशि शिनिं शृष्टां *क्षा २० शरेण ऐझा बाँझे नाश्त नः (गैशिगन (किंग ५५१ । ।े ौि ऎीशः शनैता गान नििश। {शने षनल शंग १ीतःि, स्तािं श्रिानैरु

  • शागैिश्रीशः जॉा, िि* पूगशांशृशा "ा शगिरुषा, १ांीं,&तः शांतिं शतिग्७ ।विा हि षग्रीतःि जरशांकन कान। जै, रिनाक क५ wा १११, 4 क्ष

रैर गरए रेग्नना। इंगठन छ१ ॥ाप्त 'ग्लश