পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৫৮

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

$o ៥-(Nyee וו זוליאון प्रित किािातिारे अंशा (पोस्। 6 झिा गीि (छा। कत्न गरि पर्ण * िलग्ला भौ भौति परे, सप्त झत्र गिी, भारै भ सै। DD DD DDDD DDS DD DDD DD DDD DD DD DDS DDD Dm mm DDBBS DD DD D tttiDDS DDDS DD DD भण। ७(शा र हे। ि( त्रेर अंशाफूि गि, छार गरेरे भरिको (शगशागिक प्रिश्ष शन गरे। शीw गणित। dशशाङ्गा रौषन ऍशारे द्विान शंशा चशर्ष इौ गरेक्षरांशै चांगिागि, शभिtग। शाश शसागरे शाशगौरवांशांशांकर DD DDD DD DD DS DD D DD D DDD DD DDDD DDD DDDD भा रेग्रे6 सिरुष रहित राशिारे ऊिइ। श्रेग९ १rा गांशrारे रिस (झगशाशनिस् शासगिर १झ शझै घर, ज्क्ष गौिर क्रा शशस्तािहिर गतिि। D DDD DD DDS DDD DDuS DD DDD DD D DDBB DD भा शिा शौरे प्रा। धात शौला रेर क१ि१रे शिश ग्निर (न। महा शीशकक्स्, का५मचानांशौरीनििर्मारे। उ,ि रुज्ज्वभावगञौ'शिमबाघ'क गरिगौ शुनि शन 'ि णिनःि ऎतिु,७म तिा षाड् एन ति॥ तिति (सति ।ttतःि षण ऐकs dशंश कगि। शन) १निक (श्न नस (गिाउ गणिन। अग्निरकिौनागानांछि जाति हण। रुक्ष र शश गर्शरेश*ष्नि। ऍशा घना षांतरे गंज़रे गिर गणि। g षरं नि षीकां छि तिष्, एश् िझेन संनहे ( . ) लिनि (हगत गिरीशका १्ररेण्न न। ति॥ किरा गिण बाकौ राकाशशी ईक्शन' परनए एांशान शंकौ कप्ति भरेता का थार गणा ईतशिगन। (रा ९बशनशक्षि रुगा होंठ रेर गौना ( णशा शा ऐशा नििरे षचरि प्ाि न। ौिनाङ्गीकारा नििश। शिक्ष१ो७शासिनक्स क्स् ीि शाक्षपिरे५" ति र शन गिरे। निए। तिा थारेऍशा राशैनि। 8रि स्रि गति गरे ब। शशा शहनान (१शा झशि ऐक्षाशिारण गस्रग्निशिगन दिईन (क्षि और गतिं शंगार्शनि कहिण् निषणशा ऎगा कि शांतांति (*ाश १शरौ गांगि। शशा शाः चक्षग घrा स्नै काि {ा शप्त, शिा-शिना चाक्षरारा रप्ति किए गणि। ५ स् िdरे (इणdशरेशानि झिक। शिा8ऍशा (शांश गिन। फैशन सैशिषैशाल बारे निश्गि? ५ tान शंशं D DD DDD DD DDS DDD DD DD DBB BBDD DDD D DD छा १९इरेौ शानि। श्रृंखा इन क्षा काि नििश्। प्रिशेराना ' ग्निईशा चर्शगङ्गा * १शति गौ गालस्तरेंकिलन शशाgाप्त गझ पनि रारे गिा रे गणिन। राहण पक्ष शश गहिनशाचरणका शांशtस्त्रणशापाrशास्त्र ! शख़ रहीतगा, (कौन रwा। भा भू- गिोदरागैशैर, प्राकमा शश् परिः dो कार्श v# शिारे शो। ऎशस् गशश काणशप्रोश प्रजा शं स्ष नि", धान्नस् शीरा , ऐ*ान शिा भक शहर गिन। को क्षऐwा trा,विश्रेष्ठ शश्चातििभक pलारागैशागागात रेशा का भी क्ष५ मण ना॥ १ीणांज ग्रेि भराभश्न