পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৬২৬

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शौफ़ १ ई ę -क्छ;ता शं,क्ष्ििी प्रांगा,नाष्ट्रमण ििण{नरे। --দামানি তেীিখেলাড়,টোণ না খোলা d१ गि। १ौरार् पृन्न ढूंढरेनन। रशिगन्, ९ गर शूर न,(छांद्र छराषिक शर में। -ाश् रा, घांशक् ि(शीघांना;ि। इशहर छ। বোলু,ৰোঙ ছড়াচড়াবেন। -(मरे (उ षगन द१! शंख्न गांश्रें (१छ् চাব। এতো আর কোল-গাড় নয়। रुषौशल क्छस् (क्षागि शाए श्रेण९ (कॉन विंशः लिए राशै१rरुन। रांति षशिांता Wल्डूिल्शिब्द ना षट्स लिहू। ঘরে ড়ে এই রকম কথাবার্তা আর বাহিরে যেখানে Rঞ্জা বলে যেখানে আর একরকম আলাপ টুড়েছিল। একজন জা৷ বাণী লোক, বেশ গোলাল, (गंगा,५ढ़ शंए tर्श (श ईषिः षष्ठ शंष्ट रुंसांलि:ि ?क्षांना अश्छि त्श शिशश्न। জন্যই ভাবা ভোজপুর, বা করি লি সয়ন্ত্র বিড় গাইবে। মোৰ বঢ়িঞ্জানী ভূমিগুলো । —টো ন গোংগু জে৷ তো ৰাষ্ট্র ଏ୩ମ - —ম, আর ক্ষে। আর বা আঞ্চলিক {ांकन क्। -शिग (शंकांन? -गर अरु विश्।ि भूक्शा नै (मायाँ, মেয়া স্ট্রিীড়ি বান্ধুিবান্ধটো। —"মিজোরান ছেড়ে বেড়াচ্চ। —ম্বা লোকজন স্বাছ আমি এই সন্ম গ্রাংকার राज्ञैtीक्षांशः स्तुछ शरे। —তা এখানে কেন? -(शक्ष १छ घां,ि (एांझ९घांशाः श्कि श्७१ीतः। -घांशtण इनि १ हार्ग शार। -ीि शालिहू नक्ष झठ भीत। -(शंशं; इंग्निष्क् ि! शैगको निष्जिा एंग्नेछ७को शौना (बांग रहितः सृतःि ॥१ांीनां हलि णि। १िां १ीन शू१ ।ि संगि, र (अंश िि! ि(७५ १ीनह0ांशन गिगरेtणंशा ७कांनश। पृशौ शंगिण। शंगिए इन तष्ट्र आहे, ब्राशा ठि षझ्।. एांश * द्वौभूगtाशरेण। शंशष्ट भूलि गांग, शैलाँक्न शंश तन्नु र ,ि(शौं (ीज बांग्लौ, दर्शन कि, िि, dरे प्रक्ष गर (श:१ी ििर। ¢र्श किौ४७तृशं★ वांगि বারি বরিা রোনের ছাড়ে দিল। বলি এতোমার रारशंह शाए िित। शबांग्लान क़िौ श् ि७क्रांज़ शांष् िपॅप्लरेग, षकौए शं; ३ रीशरे ६ (नि। क्ञिान कन्,ि क्ष्ठ गांश ? -७ा षांरांता हि १ि ।। {ज्ांशं १छ् इतः (तां पृ७ ।। -षः छरुि झ। १श्न राष्ट्र छशिाशैठ शरे তখন আন ক্লিাংগাঙালি এনেতে স্বামা হাওয়া খেতে এসেটি। -t)९ (उशा राष्ट्र वशिाघ्नौ गशि शन रुन(सन! (अंश शां िअंन्ता! -জারে নান, বাংলার জমিদার। —বাট বোম্বেলী (सारेा शश शंख्tiशिश d(शन शरे (iांग हरे १शरेशाशः, श्क्षत्रिगरे इस शैशे ष्ट्रेिष्ठ शैल (सिस् गनि। ाि "श् सं नःि, वि ऐकाष्ठनििरनिशि (तः, (शांतः घउ (भँच्न रुच्न ि! ब्रशौघांशं★ शंगि, कगि, धांश (७) घशन ब्रिग झिरे श िअंशस् (स्पे!ि (सन् [षगां शशिौotशक्टूिनृशंत्रस्शना। itौ शंए ग्लशौघा शंछि शंगिाए, श्रेण्मि रा गिप्त गिक िित, षा निधशौण्ि