পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/১২০

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১ই हिबष्ठंङ्ग ॐंशेौ। प्रच्छाडि जांइटब्र नांश् िटैबषबण-वर्छमां, ●यंबंब चांइदब नांहि कजङ्-ग्रंखब1, রূপ আছে, লাহি রিপু ছৱন্ত ॥ }} ब्रदि उंचीं जां८णां क८ब्र, बां ब्रटक्के गांहम, बिनि बिझकौ नद्दइ डिबिङ्ग कोब्रण, वृछ् शृंकबर छिछ नांहिक नंबन, कलां नांहि छैiटन मांई कणक । बाहिक कठेक ठथ डूछब-ब्रडटम मांश्कि ऊब्रच चध्ह् कद्दज्ञांणिबैौगं८*, नांश्कि जननि उथों शूब८4ब्र बटन,

  • चह्नख जब्रट्ज बांहिक *इ ॥

》을 बांहि छथी बांब्रांबद्दनं कथांब्र cब्रांशन, नांश् िठष बांखिवप्नं वृथांब्र बनन, नांश् िफषी ब्रिथूवप्नं बुषांब वडन, নাছি প্রমলেশ নাছি অলস। श्रूषां रृङ्गं एठखीं निशां भ्रौ८ब्र न ब्रब्र, बांद्री छषों «थर्णब्रिनैो विजांणिनी नम्र, cनटदब्र कृत्रांब्र शिया खांटनब ऐलेनब्र, हेिबा cनराब बिब८थं नििर् निं॥ פופ পরমাণু মিলিছে তাগিছে পুনঃ ঘুরিতেছে আসি, লক্ষ লক্ষ বিশ্ব গড়ি ফেলিছে বিনাশি, जछिंखा बनछ कांबण-छब्रटण ॥ ८नथ जक ८कांछैि पछांछ च्षनख श्रृंत्रटन, ৰেষ্টি তাৰে কোটি কোটি ফিরে গ্ৰহগণে, जमख दर्डन ब्रब सनिटह खबंद८णs মাতিছে চিত্ত সে গীতের সঙ্গে । ८नथ कई८घटढब नब्र कङ नटल नटल, নিয়মের জালে বাধা ঘুরিছে সকলে, জমে পিপীলিকা ৰেন নেমির মওলে, निकिंडे बूबठा लब्षिय्ड मां८ब्र । ক্ষশকাল তরে সৰে ভৰে দেখা দিয়া, জলে যেন জলবিম্ব ৰেতেছে মিশিয়া, শুশ্যবলে পুণাৰাৰে মিলিছে আসিয়া, পৃষ্ণই সত্য, অসভ্য সংসারে । S& তাই বলি কল্পে, ছাড়ি দেহ-মায়া, छाज वृषl cकांड, छाच अङि-कांबा, शन्द्र-च्वांछब्रt१ ह७ छांब्र छांब्रl, निंबा भूभाषांब ॥ श्रृंहरु बां७ छाजि कांनन विनांण, थांक वङ किन नां *ब्रटनं कांण, কালের পরশে মিটৰে জজাল, जिक इटब कांब ॥* $ ls ७नि यबबांगै ८यांफ़ कब्रि श्रृंiनेि, ছাড়ি দিয়া শৰে তুলি মুখখানি, ডাকিছে, সাবিত্ৰী—“কোথায় না জানি, কোথা ওহে কাল । দেখা দিয়ে রাখ এ দাসীর প্রাণ, কোথা গেলে পাৰ কালের সন্ধান, श्रृंब्रनिं८ब्र कब्र ७ जहdछे बां*, মিটাও জঞ্জাল ॥ እዋ স্বামিপদ ঘদি সেবে থাকি জামি, কায়-মনে যদি পূজে থাকি স্বামী, ৰদি থাকে বিশ্বে কেৰ অন্তর্যামী, बiक्षं ८षiब्र कुणॊ ॥ সতীত্বে বড়পি থাকে পুণ্যফল, जउँौप्च बच्चनि धां८क ८कांब बण, পরশি আমারে দিয়ে পদে স্থল, জুগিও এ ব্যখ।" Sly बिब्रटबब्र ब्रषं ८षांबिंण छैौव4a আসি প্রবেশিল সে ভীমকানন, अंब्रजिंण कांण शृणैरु-ब्रप्छन, गांविर्बी श्रृंकईो ! মহা গদা তৰে চমকে তিমিরে, শব-পদৱে তুলি লয়ে শিরে, ত্যজে প্রাণ সতী অতি ধীরে ধীয়ে, পত্তি কোলে করি। बब्रविण श्रूण चव८ब्रङ्ग बtण, इत्रकि नदन बरिण इउटण, ভূলিল কতাত শরীর-গলে _ बिल्लेिख विवांद्दन ॥