*ौिक मर, कनिर्भ-गप्शक्त्र ७ नकन्”i८कख निकछे इहेcङ बज4श्न कब्रिएछ नाइँ । “পিতুৰ্দ্দন্তং ন পৃষ্ট্ৰীয়াং তঞ্চ মাতামহন্ত চ । kनtबद्धञ्च कनिर्छछ वब्रि°ाचकाञ्चिउश क ॥” ( cयाणिनैौख्छ ) वाञौ *ङ्गैौ८क, निखां शूद्रकछांtरू ० लांफ बांफांटक गैौकिठ कब्रिtङ *ांब्रिtवन मी । नखि जिरुमञ्ज झ्हेटण नंग्रैौरक गैौचिाड कब्रिहड नt८ब्रन ।
- त्र नज़ेौर नैौक८ब्रडé न निष्ठ नैौकtप्न६ इङाँ१ ।। ज्ञ शूखर्थ छथt ऊाँछ बांछब्र१ म छ जैौकtव्र६ ॥ निकबाक्ला पनि नंडिगुल अज़ी१ म ौकरङ्ग९ ।” (ङ्गङ्गशाझण)
शडिभिtभब्र निकछे इहेtऊ, निऊनं ७ बनवांगैौब्र निकट्टै इहेरख ७द९ विविउiथमैौ अश्रीं९ नृश्शांब्रजrांगैम्र निकल्ले हरेष्ठ झैँौको अश्ण कब्रिट्ण cजहे ौक्र। कणाtणलष्ट्रिक1 हङ्ग म ।
- श्रुर्निह'चिङ्क्रुह शौचह18 बनबtशिलः । .दिविहांथभिर्णांश् शैत्रण न जां कलTां★मtग्निकt: ॥*
{ গণেশবিমৰিণী ) ७हे नकन निररुष दछन थारूनि हेशंtनब्र निकके इहेरठ झैौक्रा ५श्५ निषिक्ष श्हेब्रार्इ, किस्त्र हेश्। निप्क७ङ्ग विबन्न জানিতে হুইবে অর্থাৎ ঐ সকল নিষিদ্ধ ব্যক্তিগণ যদি সিদ্ধ श्न, ठांश रुहेरण ऊाहारगग्न निकै मैौक्र &रुण बछछ झ्हे८व न, रुग्न६ कणr१मांब्रिक श्रेtब । cषरश्छू *डिम्यांमाण "সিন্ধমন্ত্ৰে ন কৃষ্ণতি’ এবং “शनि छाञाय८श्रृंटेनरु निकपिछ१ि जrछ९ टिप्न। ऊtनच उाछ नैौरजङ छाड, ७क्रबिक्रांब*१ ॥” (निक्रयांमग ) दशि छांश्राां★नादग्र गिकविना गाछ शब्र, ऊांश इहेtण `॰ङ्गवित्रiद्म श।। झञ्झिन्ाः नैष्का।। ८व१ि झद्विंश्यः । नःि क्रििश् ययान वा जखांनठ cश्छू निछांब निरूछे मजढहन नटब, उांश श्रेtण *ब्र थाब्रक्रिख कब्रिब्रl *नब्रांब नीच aश्१ | করিতে হইৰে । “প্রমাদাচ্চ ভধাজ্ঞানাৎ পিছুীক্ষাং সমাচরন। প্রায়শ্চিত্তং ততঃ কম্বা পুনরীক্ষাং সমাচরেৎ ” (গণেশবিমৰ্ষিণী) ७रे श्ष्ण णिकृथक् फेणगक्र५ जानिष्ठ श्हेrर अर्षा९ मांठाभइ यकृखि शूर्क cष cष निरिक श्हेबां८इ, छांदtrनब्र निकछे इहे८ङ मज्ञ aश्ण कब्रिहण यांब्रक्रिद्ध कब्रिब्र नूनम्नांब्र बैौचt aiश्न क्रब्रिtठ इहेष्व । ●केक° वैौभ1 ●श्न कब्रिहण, , फांकtग्न अtग्रक्रिख धूलशबtब्र शtबिdौ जशं । “ब्रुनाश्व बtaन ग¥कखबननिलेँ ।” (संश्व) , { re৭১ ] | 'श्नः किरू ७ जस्तक निषिड कांहइ,-*ौथfकtछबूक, कहलकविनt. ब्रन, छांनी, जशष८ङछिब ७ मिछा कtरीड**ांच्च दृष्कमणesधन बडिएक छब्र कब्रिरङ *ांब्र! यांच्च । निखांङ्ग ऋा त्रिज्ञैर्षी अर्थ९ निछाब्र निरूछे औभिन्छ ह३ह्छ cगदे कबचाव क्रतभूबांकि कब्रिtण cकाज भएणन्त्र क्षफाथि कब्रो खाद्देइस वाट्छ स्रो । ” किरू *रु ७ भाउ भङ्ग विबद्दब्र ८कांनcदांय जाँहै । #fनन्छांध निको भैौकिङ श्रेrद मा' ७हे षष्ठम cकोण-ोकान्त्र अर्थी९ cकोणाकांग्न शिश्ङि गैौक्रांप्ऊ निपटांझ निकdè७ मड अंश्च कञ्चिtठ *tब्र । कडिन्न नहि मtद । काँध* cदांनिम्नेौछtज भडrांनि विभागज कङ्गिब्राहे शिखांकि हरेgड गैोभ१ मिदिरू इझेब्रॉयह । अषंवा ‘अरब *ांtख न इकृछि' ●दे जूईएमब्र प्रोफ्ना भनी cकदशमल्ल कांङ्गानिक्लिाक्क्रािई बूटिक्क इद्दे८द अथf९ छांब्रांनिम्न भङ्ग निजांनि हरेरङ अंश्ल कश्चिद्दल सं#ब्रां ध्रि । म९छश्नः .५aऎ॥१ शिक्षिष्ठ .ष्मांश्,--fojस्रः ८ब्बाळै श्रृंझरक शैोकि उ करिङ •ोUङ्गन, देहाएक cकोन ८गोरु मरे । शंभ ७ कां*ौ अफूछि महांऍडौहर्ष aव१ कक एर्ष 6ह१कांtन गिजांनि हऐएक मज्ञॐश्c१ cकांन cगांव बिछांद्र रूग्निtरु ज्ञ! । दध्रणक्र ७ जैौstनङ मज्ञ शूनकैंब्रि गश्झांझ कब्रिएलहे ठरू इब्र ! हौ८णां८कब्र निकै नैौक aश्ण कब्रिrङ ख्हेtण ऊाहांब्र ७हे जकड सन १fक श्रांशश रू,-गांधारी, शमisांब्रद्ध९६{इl, ४क्रब्र धष्ठि छडि*ौज, लिङविग्नः, गर्दभश्चांषडज़ल, छनैौण ७ शूजांनि कांtवी अश्ब्रख्ग अर्षीं९ sझे नक्ण \s*नम्णद्रा धौब्र क्रिक्रप्ले शैक अंश्१ मग्नां बांदेtठ virब्र, किछ दिक्ष्वां uहे मृकण ७५गन्wiब्र! इहैtणe फांशंग्न निकले हहेएफ शैक्रt aश्ल कब्रिएर न । ब्लौसक्रब्र निकछे नैौक्र @श्t१ ७छ झण इग्न । क्रि.श्वद भांडांब्र निकों जैौलिएक शहेण अटे स* झण ज्ञांछ , झ्छ । यनेि माळ फांशंग्न छेथानिक भड प्यमान कtब्रन, छांश इ३tज अठे ७१ कण, नएक९ छछ झण । ८कांम .cज्ञांन फतदिन् बrणन,-गिकभज्ञ 4श्t१ ●क्र बिक्रीब्र नाहे । ब्रिथया दौब्र भङ्ग मिषाञ्च अषिकtद्र नाहे, हेहांब्र यष्ठिaयब्रप्र sèमाण शिक्ळि जांtझ्, विश्वषां छैौ भूप्यब्र नहळ: ब्रदेब्रt, क्लछ निपsiद्ध लाख ७ नवबl छैौ बांग्रैौब्र,-जाखfङ्गमtब्र प्रेौक्र मिएव, मtछ९ देशtबब्र ऋांकजा लाहे ।. शृॐब*ौ जौब्र मिक्लt? झैक धह५ cमोदोबइ मद्दह ? किकृ.ग¥य झोग १उँदएँछौ धौीव्र मिकछे शैक्रिठ कहेtण.cब्रोद्रब नद्रक,दहेब्रा थizरू · मज्ञ बनि ऋध्र णjछ दद, उtइ! श्रेtण भै मढ़ गन्४क्रद्र निकछे इदेtठ शूनखांक अद्भ1 कब्रिाय । अनि शन्७क्र णांछ मां हन, फांशtरहेण चबभू{ लगान छक्रब्र- <थांनeवडि# कब्रिब्रां कछनग्नश्च ऋङ्कवः हिइ : नष्ठ लिविब्रा छेड क्रनध्व है "ज