পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৪৩২

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  • दांबिंकर नवरांरब्रखः कङ्कर्जजर ब्रपूबtशै । এজাৰবাখনে তীে ছি পৰ্যান্ধোন্তৰাৰোঁ।" (রযুগ৯৬) s९ खेनरूद्रथनांमबैौ ।। ४१ वृकॉनरूद्रनएकाचक् ि।। ५० अङ्खजा, चाइनयम । >♚ नछ । »eनिzकोकवि ॥ ४७ छेनांब्र।
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  • जइमांच्छ्वांम९ छां९ बrांभीर लिण* नांथन१ ॥” (ल्लिक/*) ३१,cभांइन ॥ ९० जब ! (चछब्र ) .२e जॉषमl, भडजिककब्र१, छ°छक्ब्रि जङ्गलिमि । बाइ! चांद्र यtइब्र निकि इब्र । সাধনায় সিদ্ধি। মঙ্গেয় সাধন করিলেই সিদ্ধি হয়। “म९छ९मृश्नक मशक कुञ्ज टैंबर्दूमएबदछ । विशांमांtबद बैौद्धानां९णांश्नई छबगॉषन१ ॥“ (भू७बाणांडज्ञ ) छाड़ वहविष णांथनeनॉर्जी जडिहिंड हदैतां८इ, शिंद्य यथाविशांप्न नाषन बांब्रा निरू सहद्र निकछे भब अश्न कब्रिज्ञां गांश्नांद्र প্রবৃত্ত হইবেন। ভক্তি সহকারে বখানিয়ে মন্ত্ৰ সাধন করিলে चन्निरग्न उोश निक, एइ 1., मरह९ गjषत्रl.बिषण दश। का?itङ किङ्कहे जनांश मप्र, झांश अञ्चांदा थाद्दक, गांश्म बांब्रां फांश ऋनाश इह । क्रुि षषानाज नायन कक छरे।

• +్య• शश्ब्रटिशj** णांषनअनाथै चन्तनका निवडक क्चानङ्गदर्भ * इहेब्र सेक्यूड गाँझकरक्र केछथs ♛♚गांवमभकर्णी मिटर्कन कवि बिश्रावक छवन माक्गालुङश्रेष्ठ ऋरिक्न। ●दश्चांच:* सईकन-सकता झन शर्कोड-कईटछ नीरज न|}° छटानोट्ज़ देश#ञ्च विप्नव विवद्रन बडैचा 1 फ्रtखांड़**३ नवमथवाणैौ कर्णिकारण इकनिश्चिमी कांमका ह्क थाओख ♚नांच्च॥* टेक्नॉडिकशिए*ञ्च. मरछ बिछा छ+अलेिपछ, कज्जथिरक्क ।। ४lहै जनप्ड cकपन्क्ख्बिनच्छा अकcच्न् क्स अनिच्छा, श्चोकाङ्ग बकछांननांकम,० जर्षीं९४३ णकण नॉर्षम*षांमाँ"बकश्चांत्र णांख् इदैत्र थांप्क । बकजन शांडदे ७कबांख औरवब <थtब्रांबम, जैीब *हे नांषन चांज्ञां बचनांचगं★कांश कब्रिरख नांदन । छिप्न छिप्न अनि अितिरङ्ग छिक्क -छि गोश्न८यमानौं ििश्छ हहैद्रांरह । उड, ऋद्धि, शूद्रांच, छांब्रड eङ्गडि श्रीरङ्ग वह ●यकांञ्च जॉषमक्षयलॉजैौ tषषिरख नों७ब्र' वांछ । ब्रठिंब्र छित्रछ अछूनां८ग्न cष ८कम णांशम७ध*ांकी जवणचन कब्रिङ्गां णांश्म कब्रिtज निरूि श्ा।। १tहि ॥ मनिौ शश्राणन्न वृक्षवि शंडिषा श्tन cषषन जशृणं, cनहैमन विचित्र अकब्र नकल जांक्षामङ्ग३ ७कबांब शभा मेचब्र । “कौनार देवछिबाहरूलेणनामांनषक्षाः । SSBBBB BBBBB BBBBtD DDS SDDDDDS সাধনক (জি) গাম্বল স্বার্থেক। উপকরণসামগ্ৰীবিশিষ্ট। जांथनक्विब्रा (जी) नांक्ष्मन्ननं कई, नांषनकां६ । * जांशमएछ (जैौ ) नाथमछ छषः डश-9iण । गांभमब्र छद व कई, जाँवनकांर्षी 1 ।। - *धडिहूणखांबूननरङ हि क्रिकेो विक्णन्नरवछि कहनांषनङ । चणिषनाश्च निजंब’भश्चिज् झगर्हरैवङ्गनि ॥” ( शश्चिाश्*१ १० १* ) সাধনমালাতন্ত্র ( ) অস্ত্রবিশেষ। এই জন্ত্রে লাল বৌদ্ধদেৰcबरीब्र थrांन ● नादमथणांणैौ क्टिनदब्रहन जांtणांछेिड इहेब्रांप्इ । जांश्मय९ ( बि) नांषमा विध्टछ दछ भडून बछ व । नाक्ष्म বিশিষ্ট, সাধনমুক্ত । ༔ ལྟ༔ ། - সাধনা (স্ত্রী ) সাধ-নিচ ক্ষুণ্টীথ, ১ মিষ্টি, নিম্পাদনা २ चांब्रांक्षम', cवदडांङ्ग छैननंगम 1 -