পাতা:রামায়ণম্‌ - পঞ্চানন তর্করত্ন.pdf/১৩৯৪

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

$80 a अन६tबॉन ठू८४ानै श्रृंक्रतू१श्नमृद्धि6 उमृ ॥ २७ জাজাৰ শ্রেণী পিঙ্গুস্তে হবেশ । दूषष्ठ नववर्तॐ हैंण तूंछ५ मशषजम् ॥ २8 বুৰ পূকৰীভূতং স বৈ সংবৎসরাস্তম্। কথাতী রময়ামাস ধর্শ্বযুক্তাভিরাত্মৰন। ২৫ ইত্যুভয়কাণ্ডে দ্বাধিকশততম সর্গ ॥ ১০২ ৷ GmM ত্ৰাধিকশততম: স ঃি । ওখোকতি ब्राप्य ठू उन्न छद्म उनहूउन्। ইৰাচ লক্ষ্মণে: ভূগো ভরতপ্ত মহাযশী । ৯ ইলা লাগোৰপুত্রঞ্চ সংবৎসরমথোর্ষিতা । यज्रब्रK लि९ मद्ररखछे उरु५ *रनिफूमईनि ॥ २ জ্যাজাকামাধুর্ঘ্য নিশম্য পরিপৃচ্ছতোঃ। রামঃ পূমরুধাচেদং প্রজাপত্তিহন্তে কখম । ৩ পুরুষত্বং গতে পূরে বুধ পরমবুদ্ধিমান। মাদারমাজুহাৰ মহাযশাঃ।। ৪ छादन५ फू७%जक भून्क्षित्रिंडेtन“भनम् । akनानन१ (यान रूद्र६ ७xउ ठूकँनिन९ भूनिम्॥ 4 4णम् श्रेन् िगमामौ॥ दाकाश्वसृक्षुः । शरैर७ वृषद्र छष्ट्र व4*ानो प्रशदन मशrउछशै नूतফুকলীমক পুত্র প্রসব করিলেন এবং জন্মিবা এই সেই **কে শুখিার পিতা বুধের করে সমপর্ণ করিলেন, ** नद१९गद्र दिश७ एहैंcण दूष वङ्गशम् श्हेड़ * স্বাক্যধারা গেই পুরুষরূপ রাজা ইলেক্ট্র

  • ৰিঙ্গ করিতে লাগিলেন। ২১—২৫। * { ای
  • ...* , , ,

. ব্র্যধিকশততম সঙ্গ । এক্টনখে, রামচত্র পূরয়ার অদ্ভূত জন্মবিবরণ বর্ণন कर्कं★♚-क्तंबौ छद्रउ अक् नत्र१ चावांद्र पनिrणन,*ङ्ग* ? पूषन्न निक्रछे ७क द९नद्रकणि बान कड** उaहब कि करिनम ? cनदै नकन दूसांड, अनाशक, निकरछे वास कब्र वनंनाबू केठिण एदेुं ऊँराश्रितः ‘विष्णगी-श्ञ्याः ८१ श्ं कच कमिधः क्रन्छता cनदे ●जानउिपनघ्नन्न विक भूछान्न पछाि गरिनन । मशबौद्धी ऐन किरब भ्रुपस्:**५९देtन, षाकf६लाद्रन उस्पर्शो वश. के कितु पू.-4क्रवापङ्ग नक्6, फू७ुख

    • नांनन #त६ छूर्षिीनां

বাল্মীকি রামায়ণম | উৎlচ সৰ্ব্বান হুহদে ধৈর্ধেণ স্বসম্বাহিতা ॥৬ चद्र९ हजा बएबाह* कर्कमछ देना ए७ ।। छ नौऐउन९ क्षाफू७५ (अरा श्ञ्च शेिइज्रान्। १ তেষাং সংবদ গুণেৰ দ্বিন্ধৈ সহ মহাত্মভিঃ। ' বৰ্দ্দমস্ত মহাতেজস্বিনাশ্রমমুপাগমং । ৮ পুলস্তাশ্চ ক্ৰতুশ্চৈব বৰটকারভৰৈৰ চ। ওঁকারণ মছাডেজাগুমগুমমুপাগমনৃ॥১ তে সৰ্ব্বে সৃষ্টমনসঃ পরস্পরসমাগমে। fতৈষিণে ৰাহিলপতে পৃথাকাংখাক্রৰন্থ। ১• . কর্দমম্বরৰংকিং হতাৰ্থং পরং তি। . ৰিজা শৃণুও মম্বাক্যং যন্ধুেক্ষ পাধিবন্ত ছি ॥১১ নান্তং পঞ্চামি ভৈষজ্যমন্তয়া বুষভধ্বজম্। নাৰমেথাৎ পরে যজ্ঞ: fপ্রয় এৰ মহাত্মন: ॥ ১২ তস্ম দূৰ সামহে সর্ষে পাধিবর্থে ভূরাসমূ৷ কর্ণমেনৈৰ্বমুক্তাস্তে সৰ্ব্ব এব বিজধভা ॥১৩ রেচয়ন্তি স্ম তং যজ্ঞং রুদ্রস্তাগুধিমং প্রতি । সংবৰ্ত্তঞ্চ তু রাজর্ষি শিষ্য: পরপূরঞ্জয়: ॥ ১৪ মরুভ ইতি বিখ্যাতন্তং যজ্ঞং সমুপাংরং। আহ্বান করিয়া বলিলেন। ১–e। ‘এই মহাবাহু রাঞ্জা ইন্স প্রজাপতি কৰ্দ্দধের পুত্র ; ইলিখে কারণে ७ङ्गनं बनी"ॉब एऐब्रारश्न, ७श अन्नांच्च नकरनदे चारमन ।' मशञ्च1 आफ्ना १ऋनम्न जरि७ cनाक्छमए, पूषन्न ७टैक्रन कथावार्डी रहेrज्रह, देऊदनला बरcफजचौ aयणानजि १#ब cमदे चक्ष८ग Şन् हिड श्ऐप्णन। बरारज्छ। “लखा, क्लफू, क्यिहेका थप उँक प्र७ चैशिांद्र **कार, उर्षां★ चांनिध्णन ।*अदेऋन जक्रणद्र नबीनमधपूछ, ठराई नकरणहे ? कठिछ। বাহিলপডির হিডের জঙ্গ পৃথকৃষ্ণণ, পাপন थानंन जडिब७ अंकांच कश्रिजन । • ****षjणले कर्फब, भूखन्न बघनजनक ●दे कष वनिमन-दिछवङ्गनं* ! ●दे प्रांचt cवक्रrन मदण अक:/कहिज •रिश्, चीनमनि। शकिरण चांबाङ्ग ॰ं श्रृतः, -aहे ब्रांज cष cब्राcन भांजगष रदेश्मकजषाम् छेवानउिनकद्र शजैौज् चत्र काराक देवत,संकलि सेवष cनक्रिडक्षि ना । चभमष पखदै cनदेकरांचांद्र चणरू यिा ॥१-१९ । प्रच्छR थादद्य नक्रनबिनिन। • ●है ब्रांजक बछ cनदे नवtनव करणs**मकूटैन | कक्षि" कर्षमा करेऊन अङि, जलcनहे बाक***१ नकरनरे उभवान् ऋकानला जत्र | चचमत दछ कघ्निरफ ऐश्कमैनल ॥***:मरर्षि

      • के रवर6|कच्+ Hनागासवशी ज*स्थल