পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২২৩

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" * ৰজনীখ ৰঙ্গ্যোপাধ্যায় श्रीकां★भङ्गव! कई इक्वेल ख*म 1*८कम श्रध्न, भकबिरि, कचौङ्कणशनि, नैफ श्रृंहेिश्वtrद्र gयांग्लश कङ्ग चक्रस्तीय ? श्रृङ्केन। दक्कन्। कफ, थiर्रेटका अढाइ आो चक्छ छछि अ,ि cभरर अiष्ट्रि स्वशा, बोल पब्रिबाटङ्ग खडे, अनि पनि ऋछ, चपूनि कनिष्ठ इव : क% झांफ़ि थमेिं भक दीक्लिरङ्करज क्ङ्क कट्रख्न cकाल क्रिम, चनिड-मचम छू७ दशमम श्छ । श्राब कि 6न निम चांट्झ ? *थम छूबिरे बश्वभूछ श्रोझ भब, जौ* किंच्चक्रिम ? ८ष शैछ अंहेिइड हैछझ1 नंte cब्र भवॉट४ ॥ कोदो, छोय, पछि, बिल, ब्रम, डुम, खुङ्ग ফুৎকারে তোৰা, লৰ হৰ জড় সড় । थाश निथ ठांझे कांबा, वीं श्रte, गर्थौठ :भांबी श्रङ भूज, दक एहेबांइ फूबेि । জেৰেয় অরণ মাই তাই বেঁচে ক্ষাচ্ছি, সহিলে শক্ষিতে গদা ইতিহায়ে লাখ कोच्च छेिदक ऋञ्च यल ? करव क्रूद्रॉईटक, अभ कि भचकाब कहि ध्नि चारक, ७झे ८ख्रश् दिन वेिब इहेरफहेि कसैण } छूक्रेि भe ८ब मॆछ arछ वांश्चाक्षय, अहेिरफ नॉइ छ ऋण, भोद्देश्वश्च ऋण, कनिङ्ग बिष्णाकथाझैँ यान्ति वृद्दि '