পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭২

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कथासुख शूद्भवाखागम् । ♛ १ ताभिख समुन्नत-कुचकुश्व मग्छखाभिर्वारिमध्यप्रविष्ट करिर्थौभिरिव वनकरी परिद्वतस्तत्चण रराज राजा (प) । ढ़ीर्णोसलिलादुयाय च खानपीठममलस्फटिक धवख वरुच्द द्व राजद्य स मारुरोह (फ) । ततस्त। काश्वि-(१) गमरवात-कखस-(२) प्रभाझामायमाना नलिन्य इव मूतिमत्य पत्रपुट , (ब) काचिद्रजतकलसइस्ता रजन्य इव पूर्णचन्द्रमणकल विनिर्गतैन ज्योत्स्राप्रवाह्रैण, (भ) काखित् कलसीत्चेप-श्रम खोदाद्र शरीरा (प) तामिरितिो शरिर्मष्यबिट जखद्रीषीमध्यगतो राजा एद्रक समुन्नतम् अतौबीथ कृचकृषानखख यास तामि ताभिर्वाराङ्गनाभि करिपीभिवगकरोव परिव्रत परिवेटित सन् तत्वच तलिन् समबै राजु । स मुग्नतेति विशेषणम् उन्नतकुनाशालिगौनां करिशौनां साम्यप्रतिपादनाथ म्। बनकरौति बनपद तब खोकीपद्रवाभाषेन परिवेष्टनसभवताप्रदयनाथ लीकालयै तु लीकीपद्रवेण तथालभसन्ध्रवमिति बीध्यम्। अत्रीपमालद्धार । तथा वनकरिणतथा श्रीभाया सव दापि सञ्चवात् बनकरो राजते राजा तु ररात्र ऋति कालमैदात् कायभिख्या तयीरासौत् इत्यादिदप शीदाष्ट्रतक्दुपमागतभग्नप्रक्रमतादीष स च वनकरी यथा राजते तथा रराज इति पाठेन समाधेय ! 傳 ट्रीर्णौति । यमलरफ़टिकैन धवल स्खचक्कस्मैटिकमयतथा शुश्वमित्यध । थत्राप्णुपमालड़ार । तथा वरुषी राजध्य समारीघ्रति राजा तु थारुरी दृति काखमेदात् पूव वइभन्नमक्रमता दीष सीऽपि वरुणी यथा राजह सम रोइति तथा राजा खानपैौठमारुरीइ इति पाठेन समाधेय । (व) तत स्मृति । ता वाराङ्गना राजानलभिविषिचुरियन्वय । मरकतकखसानो हरिणाथिमथकुञ्चाग प्रभाभि झामायमाना चझामा अपि झामवदाचरन्ता अतएव पत्रपुट मूति मत्यी नखिन्व पद्मिथ्य इव त कखर्स राणानमभिविविचु । बेमानलिनौना नरकतकलसपत्रपुटानाञ्च स्वानलात् साम्यन्। चत्र क्धङ गतीपमा वेश्याप्त नलिनौखजात्युत्ग्रेचा च अनयीरकाङ्गिमावेन सडर । AA AM MMAMAM AMS SSAS SSAS SSAS SSAS .مسیحیہ ہستی , یہی ہستہ ہی عیدسمبر مبهم বসনারা গুনদেশ দৃঢ়ভাবে বন্ধন করিয়া হগুবলয় দূরে উৎক্ষিপ্ত করিয়া কর্ণালঙ্কার উপরে উত্তোলন কবিয়া এব, আলুলায়িত কেশকলাপ কর্ণের নিকট হইতে অপসারিত করিয়া, জলপূর্ণ কলস গ্রহণপূর্বক মহারাজকে স্নান করাষ্টবার নিমিত্ত অভিষেকদেবতার স্তার চতুর্দিকে উপস্থিত छ्रॅण । (প) উন্নতকুচকুম্ভশালিনী বীরাঙ্গনাগণ, জলদ্রোণীমধ্যপ্রবিষ্ট রাজাকে পরিবেষ্টন করিলে, তখন তিনি হস্তিনীপরিবেষ্টিত বনহস্তীর ক্ষায় শোভা পাইতেছিলেন । (ক) বরুণ যেমন জল হইতে উঠিয়া রাজহংসে আরোহণ করেন রাজ শূদ্রকও তেমন জলদ্রোণী হইতে উঠিয় নিৰ্ম্মল ও শ্বেতবর্ণ স্ফটিকময় স্নানপীঠে আরোহণ করিলেন। (ব) তদনন্তর সেই ৰরিাঙ্গনাদিগের মধ্যে কতকগুলি মরকতমণিময় কলসের প্রভাৱ প্রায় শুামবর্ণ হুইয়া সাহার জলে রাজাকে স্নান করাইতে লাগিল, তাহাতে ৰোধ হইতেছিল যেন, মূর্ধমতী পদ্মিনীগণ পত্রপুটদ্বারা (পাতার ঠোঙা দিয়) স্নান করাইতেছে। (ঙ) কতক (१) काचन । (३) मरकतमकल । т