পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭৩২

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बाथायाँ चण्डिकावणना । ૭૬e. पातिमिच्च सव'पशुजीवितरिव शरणमुपागत रखप्ताक रस-रप्त पटेरविरहित चरण मृशाम, (ध) पतितल्लष्णचामरप्रतिविम्वानाञ्च शिरश्रृङ्दखब्न-केणजाखकानामिव परशुपट्टिशप्रभृतीनां जीवविशसनशस्त्राणां प्रभाभिब इबहखान्धवारितया पाताशग्टइवासिनीम् (१) इवोपलझमाणाम्, (न) रक्तचन्दन खचित-समुरत् फल-पशब कखितेश्व विश्वपत्रदामभि (२) बाख् कमुण्ड़प्रालब्बैरिव छतमणछनाम्, (प) भीणित तास्र (२) कदम्व स्तवक छाताञ्चनख पशूपहार पटइ पट रटित-रसोल्लसित >്. -- प्रतिबिन्विता बुद्बुटमाजा बुद्बुदतुख्यवभुखलौइन्नड़,श्रणै यविान् तत् तादृश कपाटवइदय कपाटफखकयुगल दधानेग गभग्टइख थन्तग्ट इस्य दारर्दशेन दौप्यमानां थीभमानाम् । (ध) चतरिति । किच थन्तम ध्य या पिखिका वेदि तब यत्पौठ तत्र पतलौति त शरणमुपागत सव षां पशूनां जीवित रिव तेषामपि रक्तसम्बन्धन रक्तत्वसभवादिति भाब भलशाकरसेन रज्ञा वै पटात भविरति चरणयोमूख समीप यस्त्राक्षाम्। भत्र जालुन्ग्रेचालडार । (ग) पतितेति । किच पतितानि क्वणचामराणां प्रतिविग्वानि यषु तेषाम् अतएव शिरन्द दे सति लग्न कैमणाज येषु तेषामिष दृश्यमानानाम् क्लणचामरप्रतिविम्बागामेव केशजालवद्वशमानत्वादित भाव परग्र प्रसिद्य पश्यद्य पश्थिी लोइदण्डी यक्षीशषार प्लरीपम । इति व जयन्तयुक्त तन्मधतीनां जौवषयसनशखायां प्रागिरुि सामस्राणाम् प्रभाभिय स्त्र उत्पादित बइल प्रचुर थन्धकारी यत्र ग्य्छ्रे तस्त्र भावक्षया हेतुगा पाताख ग्य्झ्वासिनोनिवीपलक्ष्यमाणाम् । भत्र के गजाललग्रक्रियी१ घणात् प्रथमा पातालग्रहवासीत्प्रेषणात् दितीया च क्रियीत्य च व तयष परस्प्ररनिरपेचतया ससृष्टि । (प) रता ति । किच रक्तचन्दनेन खचिता रच्चिता चतएव शुरन्ती दीप्यमाना ये विखख व फलपल्लवात कलिता सयोजितास्त भतएव बाखकमुण्ड़ानt प्राखरच सरलखग्विनौभिर्माखाभिरिव lखत विखपत्राचां दामभि मौखाभि छतमखनां विध्रुिभूषणाम् । भत्र जालुत्य चाखडार । बालकमुख्गतरतासाम्यप्रतिपादनाथ रक्तचन्दन खचितपदम् । बालकपटन्तु तन्मुखानामापेचिकच्चद्रतया विखफखसाम्यदीतनाय । ہمہ rsبر পড়িয়াছিল। (ধ) ঘরের ভিতরে দেবীর চরণের নিকটে একটা বেদি, তাহার উপরে একখানা পীড়ি তাহার উপরে আবার আলতার রসে রঞ্জিত একখান কাপড় পাতা ছিল , তাহা৩ে বোধ হইতেছিল যে সমস্ত পশুদিগের জীবন আসিয়া যেন শরণাগত হইয় রহিয়াছে। (ন) ঘরের ভিতরে পরশু পট্টি প্রভূতি কতকগুলি জীবহত্যা করিবার অস্ত্র ছিল, তাহার উপরে কৃষ্ণবর্ণ চামরের প্রতিবিম্ব পড়ুয়াছিল, তাহাতে বোধ হইতেছিল যে, শিরচ্ছেদ হ য়ু গেলে তাহার কেশব লাপই যেন সেই অস্ত্রগুলিতে লাগিয়া রহিয়াছে এই জাতীয় মস্ত্রের প্র ছায় ঘরে ভিতরে ও চুর অন্ধকার হইয়াছিল বলিয়া দেবীকে পাতালগ্ৰহ বাসিনীর স্থায় দেখা যাইতেছিল। (প) দে7র গলদেশে কতকগুলি বিশ্বপত্রের মাল দিয়া BBBB DD DDDSDD BBBB BBBBBBB BB BBB BBBB C BBBD স যোজিত ছিল , মুক্তরা সেই মালাগুলিকে বালকের মুণ্ডমলার স্বায় বোধ হইতেছিল। (१) पातालनिवासिनौम् । (२) विखदानभि । (२) योचिताताच ।