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পাতা:গৌড়লেখমালা (প্রথম স্তবক).djvu/১৪৫

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আমগাছি-লিপি।

প্রশস্তি-পাঠ।

ॐ स्वस्ति॥
मैत्रीं का[रुण्य]-रत्न-प्रमुदित-हृदयः प्रेयसीं सन्दधानः
[स]म्यक् सम्बो[धि-वि]द्या-सरिदमल-[जल-क्षा]लिताज्ञान-प-
ङ्कः।
जित्वा यः काम-कारि-प्रभव मभिभवं शाश्वती[ं]
प्राप शान्ति[म्]
स श्रीमाँल्लोकनाथो जयति द[श]बलोऽन्यश्च
गोपालदेवः(১)
लक्ष्मी‑जन्मनिकेतनं समकरो वोढ़ुं क्षमः क्ष्माभरं
पक्षच्छेदभया दुपस्थितवता मेकाश्रयो भूभृत[ा]म्।
[मर्य्य]ादा-परिपालनैक-निरतः सौ(शौ)र्य्य[ा]
लयोऽस्मादभू-
द्दुग्धाम्भोधि-विलास-हासिमहिमा श्रीधर्म्मपालो नृपः॥(২)
रामस्येव गृहीत-सत्यतपस स्तस्यानुरूपो गुणैः
सौमित्रे रुदपादि तुल्य-
[महिमा वाक्‌पाल-]नामानुजः।
यः श्रीमान्नय-विक्रमैक-वसति र्भ्रातुः स्थितः शासने
शून्याः शत्रु-पताकिनीभि रकरोदेकातपत्रा दिशः॥(৩)
तस्मादु-
[पेन्द्र-चरितै र्ज्जगती] म्पुनानः
पुत्रो बभूव विजयी जयपालनामा।
धर्म्मद्विषां शमयिता युधि देवपाले

^(১)  স্রগ্ধরা।

^(২)  শার্দ্দূল-বিক্রীড়িত।

^(৩)  শার্দ্দূল-বিক্রীড়িত।

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