পাতা:বিশ্বকোষ একবিংশ খণ্ড.djvu/৫০

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नखने TSCSMSS সপ্তকభ్రాతి रंखी)जङल्डक्अिच्छ उकबज अिनच् क्षइद मछ? ‘. . . . ... ; ; ; ; ; ; ; ; ; সজ প্র (ৰি) সভায় কিন্তু,জীড়াজিত। জ্ঞ भीबs*बले नङ के ° { उr कह****?णछ,3ः भरूचि बैइरङ ब्रिमैक्लिङ्गहरू' (cवक्शेन्} ४° su ' - সক্তসিন্ধু (*) সজ অবনদি "প *৭১৯) गकृथिन् (ी) क्वल्र्ड झखि बन्कनत्र (चनिनणिा९१न्।ि खे५७ses ) देखि कृन् ि४° বিশেষ । r . . . . - नकृविबद्रम् (#ी) eश्चद१ प्रथलनिविच्च्मल्द ०, ३शब झन ५कांकन ; फ्ष-क्रि७, ७ण, कश्ध, कूé, कूडैनिकान्, ७णर, खबलि, खांडू, टैक्र, cनांझिडणि ७ किलेन । ( छखन्छ भीीप्रश° ७-च- ) [भं cश् ॥ .} লৱণু (A) সমৱেতৰােগ, মলিনযোগ্য। “जब्रर नजन्। विगर्षि क्रिथ° (कक् भ७०४०) ‘जन्नन् नळनैौcश, नकदङ्गवाश्व-गछ गमषांछ अरङरजांशग मृओळख हेडि मनिन्' (नांकन ) , - नद्रा (गै) गाउबनाई। “नांबलिद्रनिक गन्ना९ cग:* {थक् ওe৮৭ ) ‘সরাং সংক্তজনাৰ্ব’ (সারণ) সক্রতু (জি) সমাৰকপৰিশিষ্ট বা সমান প্রজাত।-ইমং ভোক BBDDD BSDDS gggHS BBBD BBBBBHHS गमांनéवज षा' (जांब्र१) २ कडून नश्डि। जन्क्लॉग्न°डन (गप्ङ्ग***मt) बहिशत्र ब्रांtबाब्र कांइब्र जिणांब्र अकèी *७sांभ । अक४<* २७ ॐt ७श्वर जांषि* १e° ev*** भू। अरे शंन किबक्नू श्रेष्ड xe महेण उच्ञभूरको चक्श्ङि । uहे नर्णब्रौ वह थांल्लोम, हांमैौइ tणादक देशtzक-मह• • छांब्ररङांड अकांजक ब्रांबांग्न ब्रांजषांनैौ वणिकांई छांtन ॥ ७थांटम कङ्गी शैडिंछख जारश् । क्रूचएषा (शंमविन्न नामक अइक्रोब्र नांद्यांकब्र शृकब्रनै ब्रक्रांर्ष बिरुअन्न अभिषमिडिलां★क छख केtझ५cषां★ । अङडिञ्च ७षष्मि अकणै। ७गर्छौन गगनांन जॉरइ । ●क সময়ে হিন্দুরাজগণ এই স্থানে জাধিপত্য করিয়া গিয়াছেন। •७a• क्षुः च८च क्षरैश्ांब बङ्क्षिन्निद्म चांजनtशैम एष ॥ ५५fहतः। dयलिबहर्ष ब्रबमारपद्र ब्रषदांखाँ नtर्स ७००० हांण कञि इहेब्र খাকে । - जकिग्न ( बि) बिंबद्र नए दर्जरउ । किद्रांबूङ, जिन्नांविकिई { সত্ৰী, ৰম্বালার হাজাধীৰাগ জেলার একটা নদী। গর ও পাটন cजणांग्र बधा निब्रां छेखब्रयूथ अवांश्डि ॥ aहे मकैौकी शचांद्रीবাগের জলনিষ্কাশনেৰ প্রধানত্তম উপায়। প্রায় ৮৯ বর্গমাইল t = } ॥**अनङ्ग)-२ चकपदव | दाप्नद्र बन जरे नशैशृष निकन रहा। इक्रत करेनझेभशब sist риндианции îi ww - - i •. - i - भश्च <दककाचणनायश्चयं* नभई ददेशंभदध ۹ زنان و ് अकृकोद { *) cबनइन नद कर्डनभम् १ ऋकर्मैककेश्यिनषff : ! {ళ ? : స .*; v . भचsावभ्.४३ शरण मिलेमीनिभजित्रे अछह चक-४क'ड** ३०* ७१ अषः वार्ष्णिं ४•*ss*ं#*श्चैः कौन # वचिनंetछे इनम विश्छक हeथदेण अकिछन थdहैaन जकहिल ? g DD DDDDDS DBDD DDD DDD SDDDSDDDD cक्खइन। अरे बढुवज्ञ निरण रिक्कमे मलेङ्ग डेन्स अक्जेश्वोद লক্ষ, প্রক্ষিপঞ্জী জুৰি পাকৈ সৰু নেই। দী দৰজি, क्रिक्वे, मनक ? बूड जमकौ१ ।.णिह नक्ब्रछि ! शूs. चयकक९.! जक्र (जि) * चकिजबवैद्र । ३ गब्रांकूड। (xल्लविश्लेखन*****४) अकन (बि) ४भब्रांकृङ}, {अक.s॥१४:e } ३णकतनद्र गकणेि { जि) गठबैौक, ८कपा * *cवरदा ठूवमछ मगनिः” SiDS gggSDDD D BBBS BBBS शङ्क्ष ( वि) फ्रश्न झश् चां ग्रश् वंशागः । * श्वप्नंविनिि, चमडांबूङ ॥ ९ चबांध"विनिडे । - সক্ষীর (ঞ্জি ১জারে। লছ বর্তমান। স্কারযুক্ত, লবণজিঞ্চি। मशिe { बि) गमानकर्षj.cांश । • “cवक्रिज जज़ नचित्ञ केरख” ( शक *****l०) 'नकिड नकिरको नबानकांक्षरणभू५भावन६ नव्हत्डौ' (नांच+) जग्ंीता ( बि्) ब्रौनं मड् बर्डझॉन् । श्रीलिङ्ग ग्रहिल बंबनि, चौब्रबूक ! . . .) - সখ, (শেল) बिडा मूख्न जरक अङिणाब १ अख्गिक्डि क्स ७धांखिङ्ग हेव्ह की ce(६ääह ॥ 零 সখী, (cषु) ग्रथिं, षड् ि॥ शक्षि =्चषा यश्नः ।ेह बघ्छ्रब्-*्ष'॥ जद्धि ( श्: ) गवांबः शाक्रड ऎङि गमन क्षा।। { गवांश्च धiः ग्रगाबांडt । ॐ s॥००७ ) देखि ३५० xिणां★वरणारभी गयीमछ गडांवक, दव नवान थाहरुङ जटैनs, नॉबैौछि स्sि डमैकांश्चिां९ थाitठ*ना”ः नवीबछ गडांवः ।। 6नलेशéकृरू, गर्षांझटकांकन, * क्रिय, ध्रुख९, वइड, गवबन्, विर्ष, नश्छद्र.५ { cश्न ) . ... • नृशंद्र, नदक्लद्र १. - “जडांशनदध्न कद्रः गtकनांझनङ* ऋष९ * * sकबिब्र९ छrदत्रिजइ जeथबॉलं* नथ अकs * ( केंकि,<थ ) दिनि दिएमङ्गव नक कब्रिtड *ोंकन म:, खाँशंक्षक कछ,. ििन STTS DDD DDDS DBBzSYBB BDT DD