পাতা:রাজা রামমোহন রায় প্রণীত গ্রন্থাবলী.pdf/১৮৪

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( 8&o ) ch, శిషి, वेदथास सिद्धान्त करते हैं जेा अनाश्रमि पुरुषभी ब्रह्मविद्यामें अधि ܠܓܘ कारीहैं जिसकारण ऐकवाचक्रवी यादि झाश्रमवार्मरहित मनुष्थेंबे. ਅ tra �ܣ A भी ब्रह्मझानकी प्राप्ति भई हैं यह वेदमें देखते हैं और सदा दिगम्बर रद्दते इस कारण वर्णाश्रमकर्म रश्ति जे संवर्तच्यादि तिन सवकेोाभी .tra S ܡ ܠܟܐ महायेगी करके इतिहासमें कहतहैं। ‘और ब्रह्मवादिनी मैत्रेशी धादि स्त्री सव जिनेके वेदाध्ययनका व्यधिकारका कदापि सम्भव नही तिनेाकाभी ब्रह्मविद्यामें अधिकारहै यह ‘तयेाई मैचेयी कृक्ष वादिनीबभूव (यात्मावा अरे अष्टव्य, ‘इत्यादि श्रुति में बुझायाई और सुलभा आदि खी सव ब्रह्मझानी थी यह स्मतिमें और भाष्यमे देखतेह ओार शूद्रयोनिमें उत्पन्न भये ये इसी निमित्त वेदाध्ययनहन जेा विदुर धर्मव्याध प्रस्टति वेा सवभी ज्ञानी थे यह इतिहासमें देख N or a ܓ तेहैं अतएव जिन्होने वेदाध्ययन करा हैं उन्हीका केवल ब्रह्मविचारमें अधिकार है यह जैी नियम आपने कियाई तिसमें इनसवश्रुति स्मतिका N a al gisa, NA अवलेकिन करते हैं जा सव मनुष्य से सव कदापि श्रद्धा करेजू नही | ܓܘ ፵ ፃ ܝܵܐ، धार श्रवणाध्ययन इथिादि” इसी स्त्रके यथ में शूद्रादिका ब्रह्म tra N. N. s ܒܝܬ݂ܐ ba विद्याम अधिकारह के नही यह संप्राय ट्रर करण के लिये भगवान N. N. ܠܗ ܠܓܒ भाष्यकार लिखंतेहैं जो मतिमं यहुद्दे जो इतिहासपुराण घ्यागमने चारेंवर्गका अधिकार है इसलिये इतिहासपुराण आगमसामान्यमै y ܢܝܬܐ ܠܗ ܓܙܗ DDDDDDD DDDDDD DDDDB DDDD DDD DDD DDDDDD सिद्धान्त करेंहैं अतएव ब्रह्मयज्ञादि वर्णाश्रमकर्म रहित मनष्यें का r "MN SNA ब्रह्मविद्यामें अधिकार है यह भगवान् वेदव्यासके सिद्धान्त द्वारा और ea ܓ .r( ܣ वेदाध्ययनहीन मनुष्यें का विद्यामें अधिकार हैं यह श्रुति स्मृतिमं प्राप्ता Q. ger ܓ हेाता है इसे येार भगवान् भाष्यकार केभी इसी प्रकार निगाय करण के इारा निश्वयभया यतश्व ब्रह्मविद्या घ्यपने प्रकाशके लिये वेदाध्याय pa ܓ R A. नृादि आश्रमकमके अवश्यही अपेक्षा करती हैं इसवाताके वर्द